(कुणाल दत्त)
पटना, 29 मई (भाषा) पटना कलेक्ट्रेट परिसर के एक कोने में पड़ा सौ साल से भी ज्यादा पुराना एवं ब्रिटिश कंपनी द्वारा निर्मित एक ‘स्टीम रोड रोलर’ (भाप से चलने वाला रोड रोलर) उन दिनों की याद दिलाता है, जब पटना जिला बोर्ड इसके इस्तेमाल से शहर की सड़कें बनवाया करता था। पिछले दो सप्ताह के दौरान परिसर की ऐतिहासिक इमारतों को ध्वस्त कर दिये जाने के बाद अब यही अंतिम निशानियां बची हैं।
जिला बोर्ड की 1938 में बनी मुख्य इमारत, डच शासन काल का रिकॉर्ड रूम और उसके पास की शताब्दियों पुरानी ऐतिहासिक इमारत को गिरा दिया गया है और बाकी बचे ढांचे अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि, इस पुनर्विकास परियोजना ने भारत और दुनियाभर में धरोहर प्रेमियों को दुखी कर दिया है।
रोड रोलर का निर्माण इंगलैंड के लीड्स की जॉन फाउलर एंड कंपनी ने किया था जो इस समय डच शासनकाल वाले जिला इंजीनियर कार्यालय की इमारत के सामने खुले में पड़ा है। गंगा किनारे क्षेत्र में पड़े इस उपकरण के लोहे के पहिये जमीन में आधे धंसे हुए हैं और मजदूर मलबा हटाने तथा अन्य काम में व्यस्त हैं।
इस उपकरण को हटाने के लिए जिला बोर्ड अधिकारियों और पटना संग्रहालय के बीच बातचीत चल रही है ताकि इसे संग्रहालय में रखा जा सके। अधिकारियों ने बताया कि भाप से चलने वाला यह रोड रोलर पुरातन तकनीक का एक दुर्लभ नमूना है और आसपास ढांचों को ध्वस्त करने की चल रही गतिविधियों के कारण इसके क्षतिग्रस्त होने की आशंका बनी हुई है।
जिला बोर्ड पटना की अध्यक्ष कुमारी स्तुति ने कहा, “हमने पटना संग्रहालय के एक वरिष्ठ अधिकारी से बात की है और उन्हें इस धरोहर रोड रोलर की जानकारी दी है। हालांकि इसे मरम्मत की जरूरत है। हमने उन्हें एक बेहद दुर्लभ ऐतिहासिक प्रिंटिंग प्रेस मशीन के बारे में भी बताया है जो जिला इंजीनियर कार्यालय में रखी हुई है।”
स्तुति ने कहा, “दुर्भाग्य से इस इमारत को भी ध्वस्त किया जाना है इसलिए हमने सोचा कि कम से कम इन पुरातन वस्तुओं को भविष्य के लिए संरक्षित किया जाए।” हाल में दो वरिष्ठ अधिकारियों ने कलेक्ट्रेट परिसर के दौरे पर रोड रोलर, प्रिंटिंग प्रेस और ऐतिहासिक महत्व की अन्य चीजों का मुआयना किया था।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने रोड रोलर और पुरानी प्रिंटिंग मशीन को देखा है। रोड रोलर विशेष रूप से दुर्लभ है और यह बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश में कहीं नहीं मिलेगा। इसे देखने और पसंद करने वाले बहुत लोग हैं। प्रिंटिंग प्रेस मशीन भी बेहद दुर्लभ और संरक्षित करने योग्य है।”
रोड रोलर और अन्य इमारतों को ‘सेव हिस्टोरिक पटना कलेक्टिव’ नामक नागरिक संस्था ने लोकप्रिय बनाया। यह संस्था कलेक्ट्रेट को ध्वस्त होने से बचाने के लिए कई वर्षों से मुहिम चला रहा था। कलेक्ट्रेट परिसर की इमारतों में रोड रोलर के अलावा कई अन्य ऐतिहासिक वस्तुएं अपने संरक्षण की बाट जोह रही हैं।
भाषा यश सुभाष
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