मुंबई, 29 मई (भाषा) शिवसेना सांसद संजय राउत ने रविवार को महाराष्ट्र में कोल्हापुर के पूर्व शाही परिवार के मुखिया शाहू छत्रपति महाराज से मुलाकात की, जिनके बेटे संभाजी छत्रपति राज्यसभा चुनाव की दौड़ से हाल में हट गए हैं।
शाही परिवार के 74 वर्षीय वंशज (शाहू) ने संवाददाताओं से कहा कि 10 जून के राज्यसभा चुनाव से हटने और एक नए राजनीतिक संगठन की घोषणा करने से पहले, उनके बेटे (संभाजी छत्रपति) ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की थी। राउत की शाहू छत्रपति महाराज से मुलाकात यह बयान आने के एक दिन बाद हुई है।
शाहू छत्रपति महाराज ने कहा, ‘अगर वह (संभाजी) राज्यसभा के लिए एक निर्दलीय उम्मीदवार बनना चाहते थे, तो उन्हें महाराष्ट्र में (सत्तारूढ़) महाविकास आघाडी के सभी नेताओं से मिलना चाहिए था, और अगर उन्हें अपनी जीत का यकीन था, तो उन्हें एक नए राजनीतिक संगठन की घोषणा नहीं करनी चाहिए थी।’’
शिवसेना ने शिवाजी महाराज के वंशज और प्रमुख मराठा नेता संभाजी छत्रपति को पार्टी में शामिल होने की स्थिति में राज्यसभा के लिए समर्थन की पेशकश की थी। उनके मना करने के बाद, शिवसेना ने महाराष्ट्र से छठी सीट पर राज्यसभा चुनाव के लिए अपने दूसरे उम्मीदवार संजय पवार की घोषणा की थी।
शिवसेना के अन्य उम्मीदवार संजय राउत हैं, जिनका राज्यसभा का कार्यकाल इस साल जुलाई में समाप्त हो रहा है।
राज्य से राज्यसभा की छह सीटों के लिए 10 जून को चुनाव होना है।
राउत ने रविवार को कोल्हापुर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि चूंकि वह कोल्हापुर में हैं, इसलिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने उन्हें शाहू छत्रपति महाराज से मिलने के लिए कहा।
राउत ने कहा, ‘मुख्यमंत्री ठाकरे ने शाहू महाराज से फोन पर बात की और कहा कि वह जल्द ही उनसे कोल्हापुर में मिलेंगे। मेरी मुलाकात व्यक्तिगत थी और राजनीति पर कोई चर्चा नहीं हुई।’
इस बीच, भाजपा नेता फडणवीस ने नागपुर में संवाददाताओं से कहा कि संभाजी छत्रपति की उनके साथ शिष्टाचार मुलाकात से पहले ही, उन्होंने घोषणा की थी कि वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर राज्यसभा चुनाव लड़ेंगे।
फडणवीस ने दावा किया कि पश्चिमी महाराष्ट्र में कुछ लोग सम्भाजी छत्रपति के नेतृत्व को फलने-फूलने नहीं देना चाहते हैं, हालांकि उन्होंने किसी का सीधे तौर पर नाम नहीं लिया। उन्होंने आगे कहा कि जो लोग राजनीति को समझते हैं वे बखूबी जान जाएंगे कि कौन सम्भाजी छत्रपति के नेतृत्व को बढ़़ने देना नहीं चाहते।
भाषा सुरेश सुभाष
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