नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के अनुसंधानकर्ताओं ने मनुष्यों में सार्स कोव-2 के उद्भव की प्रक्रिया का अध्ययन किया है जिसके माध्यम से कोविड-19 बीमारी के विकास, प्रतिरक्षा तंत्र से बचने की वायरस की क्षमता और उसके स्वरूपों के उत्पन्न होने की गुत्थी सुलझाने में मदद मिल सकती है।
सात सदस्यीय अनुसंधान टीम के अनुसार, वायरस के जीनोम में ‘सीपीजी’ संख्या वायरस के रूप बदलने की क्षमता, प्रतिरक्षा तंत्र से बचाव और बीमारी पैदा करने की वायरस की काबिलियत से जुड़ी है। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि सार्स कोव-2 जीनोम से सीपीजी कम होने की दर, मानव शरीर में वायरस के उद्भव होने के कुछ महीनों के बाद तेजी से कम होती है।
आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर मनोज मेनन ने कहा, ‘‘हमारा अनुसंधान, वायरस और मानव शरीर के बीच होने वाली जटिलताओं के लिए भविष्य के अध्ययन की आवश्यक रूपरेखा तय करता है जिसके कारण सीपीजी कम होता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने 17 करोड़ से ज्यादा मानव संक्रमण में महामारी के पहले 17 महीने के दौरान सार्स कोव-2 जीनोम में सीपीजी के घटने का अध्ययन किया।’’
भाषा यश नेत्रपाल
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