देहरादून, 27 मई (भाषा) चुनाव पूर्व किए अपने वादे को निभाते हुए उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने शुक्रवार को प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति गठित कर दी।
सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड में ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ को लागू करने की दिशा में कदम उठाते हुए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि पांच सदस्यीय उच्च समिति की अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई होंगी।
धामी ने कहा, ‘‘देवभूमि की संस्कृति को संरक्षित करते हुए सभी धार्मिक समुदायों को एकरूपता प्रदान करने के लिए समान नागरिक संहिता के क्रियान्वयन हेतु विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है। ’’
फरवरी में विधानसभा चुनाव प्रचार के आखिरी चरण में धामी ने कहा था कि अगर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आयी तो प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करेगी। प्रदेश में दो तिहाई से अधिक बहुमत के साथ भाजपा के सत्ता में वापसी करने के बाद दोबारा मुख्यमंत्री बने धामी ने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही समान नागरिक संहिता के लिए मसौदा तैयार करने हेतु एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्णय लिया था।
अगर उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होती है तो गोवा के बाद ऐसा करने वाला वह देश का दूसरा राज्य होगा।
धामी ने कहा कि देश के अन्य राज्यों को भी इस मामले में गोवा और उत्तराखंड का अनुसरण करना चाहिए ।
इस बीच, देर रात सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, समिति की अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश देसाई के अलावा सेवानिवृत्त न्यायाधीश प्रमोद कोहली, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह तथा दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल इसमें बतौर सदस्य शामिल होंगे।
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