नयी दिल्ली, 27 मई (भाषा) पूंजी बाजार नियामक सेबी ने कारोबार या समाशोधन सदस्यों की संभावित चूक से निपटने के लिए शेयर बाजारों, समाशोधन निगमों एवं डिपॉजिटरी की तरफ से अपनाई जाने वाली मानक प्रक्रिया (एसओपी) में शुक्रवार को कुछ बदलाव किए।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बाजार ढांचागत संस्थानों के साथ परामर्श के बाद एसओपी के मसौदे में संशोधन करने का फैसला किया है। सेबी ने एक परिपत्र जारी कर निवेशकों के बीच फंड के न्यायोचित वितरण के लिए एसओपी में बदलाव किए हैं।
ये बदलाव किसी चूक की स्थिति में कारोबारी सदस्यों या समाशोधन सदस्यों के गैर-चूककर्ता ग्राहकों के हितों को सुरक्षित करने के इरादे से किए गए हैं।
नए प्रारूप के तहत कारोबार के 30 दिनों के भीतर शेयर बाजार या समाशोधन निगम को किसी भी कारोबारी सदस्य को चूककर्ता घोषित करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करने के पहले अपनी निगरानी में कुछ अंतरिम उपाय करने होंगे ताकि अधिकतम ग्राहकों के दावों के निपटान किए जा सकें।
कारोबारी सदस्य को शेयर बाजार की निगरानी में उपलब्ध फंड और अपने संसाधनों से छोटे निवेशकों को भुगतान करने के लिए कहा जाएगा।
सेबी ने कहा, ‘यह राशि 25 लाख रुपये तक का ‘क्रेडिट बैलेंस’ रखने वाले सभी निवेशकों को पूरी राशि का भुगतान किया जाएगा, बशर्ते कि कोष उपलब्ध हो। वहीं 25 लाख रुपये से अधिक का ‘क्रेडिट बैलेंस’ रखने वाले निवेशकों को बचे हुए कोष से समुचित अनुपात में भुगतान किया जाएगा।’
भाषा
प्रेम रमण
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