तिरुवनंतपुरम ,27मई (भाषा) महिला नेताओं एवं नीति निर्माताओं के एक समूह ने शुक्रवार को कहा कि संविधान में लैंगिक समानता और न्याय की जो बात कही गयी है उसे सुनिश्चित करने के लिए कानूनी खाई को पाटना वक्त की आवश्यकता है। समूह ने कहा कि दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति वाली सरकार बाधाओं को पार कर सकती है और महिलाओं के लिए नीतियां बनाने में किए गए भेदभाव की खाई को पाट सकती है।
केरल के तिरुवनंतपुरम में आयोजित ‘‘नेशनल वीमेन लेजिस्लेटर्स कॉन्फ्रेंस 2022’’को संबोधित करते हुए पश्चिम बंगाल की महिला एवं बाल विकास मंत्री शशि पंजा ने कहा कि महिलाओं पर केन्द्रित और महिलाओं से जुड़े बहुत से कानून होने के बावजूद देश में कानूनी खाई है,जो चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा कि यद्यपि केन्द्र ने भेदभाव नहीं करने वाले तथा महिला को समान अधिकार देने वाले संवैधानिक कानून लागू किए हैं लेकिन तब भी खाई है और यह इन कानूनों के ठीक तरीके से लागू नहीं होने के कारण या बिल्कुल ही लागू नहीं होने के कारण हो सकती है।
मंत्री ने कहा कि इन कानूनों के प्रावधानों और इनके लाभ के बारे में महिलाओं को जानकारी नहीं होने से भी यह खाई बढ़ सकती है।
केरल उच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनु शिवरमण ‘ महिला अधिकार और कानूनी खाई’ शीर्षक वाले सत्र के पैनल में मौजूद थीं। उन्होंने कहा देश खाई के दो आयामों को पाटने की कोशिश कर रहा है,जो हैं- कानून की अक्षमता और मौजूदा कानून में खामियां।
दो दिवसीय इस सम्मेलन का उद्घाटन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार को किया था।
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