मुंबई, 27 मई (भाषा) शिवाजी महाराज के वंशज और प्रख्यात मराठा नेता संभाजी छत्रपति ने शुक्रवार को आगामी राज्यसभा चुनावों की दौड़ से खुद को अलग कर लिया। कुछ दिनों पहले उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी।
यहां पत्रकारों से बात करते हुए, उन्होंने दावा किया कि चुनाव नहीं लड़ने के उनके फैसले का उद्देश्य “खरीद-फरोख्त” को रोकना है। उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर आरोप लगाया कि उन्होंने संसद के ऊपरी सदन में उनके दूसरे कार्यकाल के लिए शिवसेना का समर्थन प्रदान करने के अपने वादे को तोड़ दिया।
संभाजी छत्रपति ने घोषणा की थी कि वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे और उन्होंने शिवसेना से इसमें मदद मांगी थी। लेकिन पार्टी चाहती थी कि संभाजी उसके आधिकारिक उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ें, जिस पर वह सहमत नहीं हुए।
राज्यसभा चुनाव नहीं लड़ने की उनकी घोषणा शिवसेना के उम्मीदवारों संजय राउत और संजय पवार द्वारा अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के एक दिन बाद आई है।
पूर्व सांसद ने कहा, “मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मुझे समर्थन का वचन दिया था, लेकिन बाद में वह इससे पीछे हट गए। मैं इससे बेहद दुखी हूं। मैं अब राज्यसभा सीट की दौड़ में नहीं हूं।”
महाराष्ट्र में राज्यसभा की छह सीटों के लिये 10 जून को चुनाव होगा और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक उसके दो सदस्य निर्वाचित हो सकते हैं।
संभाजी छत्रपति को 2016 में राज्यसभा के लिए नामित किया गया था और उनका कार्यकाल हाल ही में समाप्त हुआ है। इस बार, चूंकि भाजपा के पास विधायकों की संख्या कम थी, इसलिए उन्होंने पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और बाद में शिवसेना से समर्थन के लिए संपर्क किया था। शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस राज्य में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार का हिस्सा हैं।
उन्होंने कहा, “शिवसेना ने मुझे एक प्रस्ताव दिया कि अगर मैं पार्टी में शामिल होता हूं, तो मुझे राज्यसभा के लिए टिकट मिलेगा। लेकिन मैंने पहले ही घोषणा कर दी है कि मैं किसी भी पार्टी का हिस्सा नहीं बनूंगा। इसलिए, मैंने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया।”
उन्होंने दावा किया, “चुनाव नहीं लड़ने का मेरा फैसला कदम पीछे हटाना नहीं है। यह मेरा गौरव है।”
संभाजी छत्रपति 2009 में राकांपा में शामिल हुए थे और कोल्हापुर से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन पार्टी के एक बागी से हार गए थे।
उन्होंने कहा, “मैं अपनी स्वच्छ छवि और अपने काम के लिए सभी पार्टियों के विधायकों के समर्थन की उम्मीद कर रहा था। हालांकि, मुझे बाद में एक बात का एहसास हुआ कि अगर मैं एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ता हूं तो खरीद-फरोख्त हो सकती है। इससे बचने के लिए, मैंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है।”
राज्यसभा चुनाव के लिये नामांकन भरने की आखिरी तारीख 31 मई है और नामांकन पत्रों की जांच एक जून को होगी। तीन जून तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। चुनाव के दिन 10 जून को ही नतीजों की घोषणा की जाएगी।
भाषा
प्रशांत मनीषा
मनीषा
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.