मुंबई, 27 मई (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को आगाह करते हुए कहा कि थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति (डब्ल्यूपीआई) के उच्च स्तर पर होने की वजह से कुछ अंतराल बाद खुदरा महंगाई पर दबाव पड़ने का जोखिम है।
आरबीआई ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि औद्योगिक कच्ची माल की ऊंची कीमतें, परिवहन लागत, वैश्विक ‘लॉजिस्टिक’ तथा आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान मुख्य मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ा रहे हैं।
केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘‘विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति में तेज वृद्धि के बीच थोक और खुदरा मुद्रास्फीति में बढ़ते अंतर की वजह से विनिर्माण लागत का दबाव कुछ समय बाद खुदरा मुद्रास्फीति पर पड़ने को जोखिम है…।’’
इसमें कहा गया कि रूस-यूक्रेन युद्ध और उसकी वजह से जिंसों की कीमतों में वृद्धि भारत समेत दुनियाभर के मुद्रास्फीति परिदृश्य को प्रभावित कर रही है।
मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए सरकार ने हाल ही में वाहन ईंधनों पर उत्पाद शुल्क में कटौती, इस्पात और प्लास्टिक उद्योग में इस्तेमाल होने वाली कुछ कच्ची सामग्री पर आयात शुल्क खत्म करने समेत कई कदम उठाए हैं।
ईंधन से लेकर सब्जियों और खाना पकाने के तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होने से थोक मुद्रास्फीति अप्रैल में 15.08 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई। वहीं खुदरा मुद्रास्फीति करीब आठ साल के उच्च स्तर 7.79 फीसदी पर पहुंच गई है।
आरबीआई ने बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिये इस महीने नीतिगत दर रेपो 0.40 प्रतिशत बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया।
भाषा मानसी रमण
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