नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने दायर की गई जनहित याचिका पर बुधवार को एक नोटिस जारी किया. इस याचिका में मांग की गई है कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ‘वंदे मातरम’ को भी राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ के बराबर का सम्मान दिया जाए.
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस सचिन दत्ता ने बुधवार को गृह मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय इत्यादि को नोटिस जारी किया. हालांकि, उन्होंने इस बात के लिए असंतोष भी जाहिर किया कि अपीलकर्ता ने मामले को कोर्ट में सूचीबद्ध करने के पहले मीडिया में चले गए.
कोर्ट ने 9 नवंबर 2022 के लिए मामले को सूचीबद्ध कर दिया है. याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों को इस बात के लिए निर्देश देने की मांग की गई है कि सभी स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में जन-गण-मन और वंदे मातरम को साथ में प्रत्येक दिन गाया जाए.
बीजेपी नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि भारत में सिर्फ एक नागरिकता होती है और वह है भारतीय और यह हर भारतीय का कर्तव्य है कि वह वंदे मातरम का सम्मान करे. देश के एकजुट रखने के लिए यह सरकार की ड्यूटी है कि वह जन-गण-मन और वंदे मातरम को आगे बढ़ाने के लिए नीति निर्माण करे. इस बात की कोई वजह नहीं है कि इससे कोई दूसरी भावना पैदा हो क्योंकि दोनों के बारे में संविधान निर्माताओं द्वारा फैसला किया गया था.
उन्होंने कहा, ‘जन-गण-मन में राज्यों को ध्यान में रखकर भावना व्यक्त की गई है जबकि वंदे मातरम में राष्ट्र के चरित्र को ध्यान में रखकर भावनाएं व्यक्त की गई हैं.’ उन्होंने कहा कि कभी कभी वंदे मातरम ऐसी अवस्था में गाया जाता है जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती. यह हर भारतीय का कर्तव्य है कि वह जब भी वंदे मातरम बजाया या गाया जाए तो उसका सम्मान करे.
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