नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 11 देशों में मंकीपॉक्स के 80 मामलों की पुष्टि की है. साथ ही उसने कहा है कि इसके फैलने के कारण का पता लगाने के लिए काम कर रहे हैं.
शुक्रवार को एक बयान में डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वायरस कई देशों में कुछ जानवरों की आबादी में स्थानीय है, जिसकी वजह से वहां रहने वाले लोगों और यात्रियों में कभी-कभार इसका असर देखने को मिलता है.
डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में कहा कि हम और हमारे सहयोगी मंकीपॉक्स के फैलने की सीमा और इसेक फैलने के पीछे के कारण को समझने के लिए काम कर रहे हैं. कई देशों में कुछ जानवरों की आबादी में वायरस स्थानिक है, जिससे स्थानीय लोगों और यात्रियों के बीच कभी-कभी इसका असर देखने को मिलता है. 11 देशों में अब तक रिपोर्ट किए गए हालिया मामले असामान्य हैं क्योंकि वो गैर-स्थानिक देशों में हो रहे हैं.
डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में कहा, ‘अभी तक लगभग 80 मामलों की पुष्टी की जा चुकी है और 50 जांच पेंडिंग है. जांच बढ़ने पर और मामले सामने आने की संभावना है.’
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि मंकीपॉक्स की जांच को बढ़ाने के लिए स्थानिक देशों में चल रहे प्रकोप की स्थिति पर अपडेट ले रहा है.
मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोसिस (जानवरों से इंसानों में फैलने वाला वायरस) है, जिसमें चेचक के मरीजों जैसे ही लक्षण होते हैं, हालांकि यह क्लिनिकली कम खतरनाक है.
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मंकीपॉक्स आमतौर पर क्लिनिकली बुखार, दाने और सूजी हुई लिम्फ नोड्स के साथ होता है और इससे कई तरह की मेजिकल दिक्कतें हो सकती हैं. मंकीपॉक्स आमतौर पर 2 से 4 हफ्ते तक चलने वाले लक्षणों के साथ एक स्व-सीमित बीमारी है.
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