हैदराबाद: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) शुक्रवार को कई राज्यों के अपने दौरे पर निकल गए हैं. यह एक ऐसा क़दम है जो अपनी पार्टी को दक्षिणी सूबे से आगे विस्तार देने की उनकी योजनाओं के अनुरूप नज़र आता है.
उनके ऑफिस से जारी एक बयान के अनुसार, ‘अगले कुछ हफ्तों में तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस) प्रमुख दिल्ली, चंडीगढ़, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और बिहार का दौरा करेंगे. इसके अलावा विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से बातचीत करेंगे और देश की ‘आर्थिक दुर्दशा’ पर प्रमुख आर्थिक विशेषज्ञों से भी विचार विमर्श करेंगे.
राजधानी में विभिन्न राजनीतिक नेताओं से मिलने के बाद सीएम चंडीगढ़ का दौरा करेंगे. वहां पर वो उन 600 से अधिक किसानों के परिवारों से मुलाक़ात करेंगे, जिन्होंने साल भर चले आंदोलन के दौरान अपनी जानें गंवा दीं और जिसके परिणामस्वरूप तीन कृषि क़ानूनों को रद्द किया गया.
नवंबर 2021 में केसीआर ने आंदोलन के दौरान मरने वाले हर एक किसान के परिवार को 3-3 लाख रुपए की अनुग्रह राशि देने का ऐलान किया था. उनके इस क़दम की कथित रूप से ये कहते हुए आलोचना की गई थी, कि तेलंगाना के भीतर किसान परिवारों को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है, जबकि दूसरे राज्यों के ऐसे परिवारों को राहत दी जा रही है.
चेकों के वितरण के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) प्रमुख अरविंद केजरीवाल तथा पंजाब सीएम भगवंत मान उनके साथ मौजूद रहेंगे.
अपने दौरे के अंतिम हिस्से में कर्नाटक में केसीआर जनता दल (सेक्युलर) अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवदौड़ा से बेंगलुरू में मुलाक़ात करेंगे, जिनके साथ उन्होंने 2018 में एक तीसरे बीजेपी-विरोधी और कांग्रेस-विरोधी तीसरे मोर्चे के गठन की संभावनाओं पर चर्चा की थी.
उसके बाद वापस हैदराबाद में एक छोटे से अंतराल के बाद वो पश्चिम बंगाल और बिहार के दौरों के साथ अपनी यात्रा का समापन करेंगे, जहां वह उन सैनिकों के परिवारों से मुलाक़ात करेंगे जो गलवान घाटी में चीन के साथ संघर्ष में मारे गए थे और शोकाकुल परिवारों को वित्तीय सहायता देंगे.
रणनीति में बदलाव
हाल तक एक बीजेपी-विरोधी और कांग्रेस-विरोधी संघीय मोर्चे के पैरोकार रहे केसीआर के इस ताज़ा क़दम को, 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले राष्ट्रीय मंच पर शामिल होने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.
केसीआर ने अतीत में प्रमुख क्षेत्रीय नेताओं के साथ सहयोग करने की इच्छा जताई है, जिनमें पश्चिम बंगाल सीएम ममता बनर्जी (तृणमूल कांग्रेस), समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम), ओडिशा सीएम नवीन पटनायक (बीजू जनता दल), महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे (शिवसेना), और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी चीफ शरद पवार शामिल हैं. लेकिन इन बैठकों का कोई नतीजा सामने नहीं आया.
अप्रैल में टीआरएस के 21वें स्थापना दिवस समारोह के मौक़े पर केसीआर ने राष्ट्रीय राजनीति में संभावनाएं तलाशने के अपने इरादे का ऐलान किया था.
एक तीसरा मोर्चा तैयार करने की अपनी योजना का त्याग करते हुए उन्होंने कहा कि देश को एक नए मोर्चे की नहीं, बल्कि एक नए एजेण्डे की ज़रूरत है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी की ‘बांटने वाली सांप्रदायिक राजनीति’ के कट्टर आलोचक, केसीआर ने आगे कहा कि हमारा फोकस बीजेपी सरकार को गिराने पर नहीं, बल्कि देश के लोगों के लिए एक गुणात्मक परिवर्तन लाने पर होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि अगर हैदराबाद राष्ट्रीय परिवर्तन के लिए एजेण्डा तय करने में कामयाब हो जाता है तो उनके राज्य के लिए ये एक ‘गर्व का क्षण’ होगा.
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