नयी दिल्ली, 20 मई (भाषा) विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए उठाए गए नीतिगत कदमों की मदद से वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 83.57 अरब अमेरिकी डॉलर का कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) हासिल किया जो अब तक का सर्वोच्च स्तर है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। कुल एफडीआई में इक्विटी आवक, ह, पुनर्निवेशित आय और अन्य पूंजी शामिल हैं।
इससे पहले वित्त वर्ष 2020-21 में एफडीआई आवक 81.97 अरब अमेरिकी डॉलर थी जबकि वित्त वर्ष 2019-20 में 74.39 अरब डॉलर और वित्त वर्ष 2018-19 में 62 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेश निवेश आया था।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 83.57 अरब डॉलर की अब तक सर्वाधिक सालाना एफडीआई आवक दर्ज की।’’
मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन में एक सैन्य अभियान और कोविड-19 महामारी जैसी चुनौतियों के बावजूद विदेशी प्रवाह बढ़ रहा है।
बयान में कहा गया, ‘‘भारत विनिर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए एक पसंदीदा देश के रूप में तेजी से उभर रहा है।’’ विनिर्माण क्षेत्रों में एफडीआई इक्विटी आवक 2020-21 (12.09 अरब डॉलर) की तुलना में 2021-22 में (21.34 अरब डॉलर) 76 प्रतिशत बढ़ी।
हालांकि मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान देश में एफडीआई इक्विटी या ताजा विदेशी प्रवाह का खुलासा नहीं किया।
प्रमुख निवेशक देशों के मामले में सिंगापुर 27 प्रतिशत के साथ शीर्ष पर है। इसके बाद अमेरिका (18 प्रतिशत) और मॉरीशस (16 प्रतिशत) का स्थान है।
बयान के अनुसार कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर क्षेत्र में एफडीआई की सबसे अधिक आवक हुई। इसके बाद सेवा क्षेत्र और ऑटोमोबाइल उद्योग का स्थान है।
इसके अलावा बीते वित्त वर्ष में कर्नाटक को कुल एफडीआई में से सबसे अधिक 38 प्रतिशत प्राप्त हुआ है। इसके बाद 26 प्रतिशत के साथ महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर और 14 प्रतिशत एफडीआई के साथ दिल्ली तीसरे स्थान है।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘पिछले आठ वर्षों के दौरान सरकार की तरफ से लिए गए कदमों का फल मिला है जो देश में प्राप्त होने वाले एफडीआई प्रवाह की बढ़ती मात्रा से स्पष्ट रूप से दिखता है।’’
शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के साझेदार अभिषेक गुहा ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में विनिर्माण, आईटी और फार्मास्युटिकल क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया और यह प्रवृत्ति चालू वर्ष में भी जारी है।
भाषा जतिन प्रेम
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