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Friday, 22 November, 2024
होमदेशजैसे ही दरारें दिखाई दीं, कोलकाता की ये महंगी अंडरवाटर मेट्रो परियोजना डरावनी यादों को वापस ले आई

जैसे ही दरारें दिखाई दीं, कोलकाता की ये महंगी अंडरवाटर मेट्रो परियोजना डरावनी यादों को वापस ले आई

ईस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना की वजह से पिछले हफ्ते बोबाजार के दुर्गा पिथुरी लेन के घरों में दरारें आ गईं. जिसके बाद यहां रह रहे 150 लोगों को होटलों में शिफ्ट करना पड़ा है.

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कोलकाता: सुभाशीष दास 11 मई को अपने काम पर थे, तभी उनकी बूढ़ी मां ने घबराकर उन्हें फोन किया. मध्य कोलकाता के बोबाजार में उनके घर की दीवारों में दरारें आ गई थीं जिसे लेकर वह काफी चिंतित थीं.

जब दास वापस घर पहुंचे तो वह ये देखकर हैरान थे कि घर की छत और यहां तक कि फर्श में भी दरारें पड़ी हुईं थीं.

दास ने कहा, ‘2019 का भयावह मंजर फिर से याद आ गया’ बोबाजार के इस भीड़-भाड़ वाले इलाके में दास के पड़ोस में दो इमारतें दरार आने के बाद भरभराकर ढ़ह गईं थीं. कोलकाता में एक बड़ी लागत से बन रही ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर का निर्माण ही इसकी वजह था. समय रहते सुरक्षित कदम उठा लिए गए थे, सो जान का नुकसान नहीं हुआ. इस परियोजना में भारत की पहली अंडरवाटर मेट्रो सुरंग शामिल है.

उस समय, बोबाजार में 18 इमारतों में दरारें आने की सूचना मिली थी. दास ने कहा, ‘लेकिन इस बार दरारें बहुत ज्यादा हैं’

दास बोबाजार के दुर्गा पिथुरी लेन में रहते हैं. यह एक ऐसा क्षेत्र जहां 100 साल से भी ज्यादा पुराने कई घर मौजूद हैं.

पिछले हफ्ते दरारें आने के बाद घरों को खाली करा लिया गया था. केंद्रीय रेल मंत्रालय की देखरेख में कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (KMRCL) ने बाद में सुरक्षा का हवाला देते हुए लेन के कम से कम 150 लोगों को चार होटलों में रहने के लिए भेज दिया.

Metro construction at Bowbazar | Photo: Sreyashi Dey | ThePrint
बोबाजार में मेट्रो कंस्ट्रक्शन की साइट/ श्रेयसी डे/दिप्रिंट

केएमआरसीएल के प्रबंध निदेशक ने इस नुकसान के लिए खेद व्यक्त किया और भूमिगत निर्माण कार्य पूरा होने के बाद मरम्मत सहायता का वादा किया.

इस बीच, कोलकाता पुलिस और कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के जवानों ने गलियों में बैरिकेड लगाकर कर्मियों को तैनात कर दिया है.

केएमसी आयुक्त बिनोद कुमार ने साइट का दौरा करने के बाद दिप्रिंट को बताया कि लोगों की सुरक्षा हमारे लिए सबसे पहले है.

उन्होंने कहा कि जांच के बाद जादवपुर विश्वविद्यालय के इंजीनियर घरों की स्थिति पर रिपोर्ट सौंपेंगे. तब राज्य सरकार के अधिकारी इस मसले पर कोलकाता मेट्रो के अधिकारियों के साथ बातचीत करेंगे.

A house being demolished at the Durga Pithuri Lane | Photo: By special arrangement
दुर्गा पिथूरी लेन में एक घर को ध्वस्त किया जा रहा है/फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट

कुमार ने कहा, ‘ये दरारें क्यों आ रही हैं, इसकी जांच किए जाने की ज़रूरत है. जब तक हमें इंजीनियरिंग विशेषज्ञों से पूरी रिपोर्ट नहीं मिल जाती, तब तक कुछ भी कहना मुश्किल होगा.’

दिप्रिंट ने कोलकाता मेट्रो के महाप्रबंधक अरुण अरोड़ा से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनका फोन स्विच ऑफ था. टेक्स्ट मैसेज और ईमेल के जरिए भी उनसे टिप्पणी लेने का प्रयास किया गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

केएमआरसी के महाप्रबंधक (प्रशासन) ए.के. नंदी ने दिप्रिंट को बताया कि इस हालिया परेशानी से मेट्रो का काम रुका नहीं है. नंदी ने कहा, ‘काम जारी है लेकिन परियोजना के पूरा होने में फिलहाल तीन से चार महीने की और देरी हो सकती है.’

13 मई को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि केएमआरसी ‘घटना के कारणों के विस्तार से जांच करने और कार्यों को पूरा करने के लिए एक तकनीकी रोडमैप तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करेगा या एक प्रतिष्ठित संस्थान को साथ जोड़ेगा.’


यह भी पढ़ें: कोलकाता: मेट्रो कार्य के कारण मकानों में दरार आने के बाद इमारत को तोड़ने का काम जारी


मेट्रो रेल परियोजना

2009 में शुरू हुई ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कोलकाता को हुगली नदी के दूसरी ओर स्थित हावड़ा से 10.8 किलोमीटर लंबी सुरंग के जरिए जोड़ने जा रही है.

इसका लगभग 6 किलोमीटर का रास्ता पानी के नीचे से होकर जाएगा. ये कॉरिडोर पूर्व और पश्चिम कोलकाता को भी जोड़ेगा. सीधे भारतीय रेलवे के अधीन काम करने वाली यह एकमात्र मेट्रो रेल परियोजना है.

परियोजना पर शुरुआत से ही समस्याओं के बादल मंडराते रहे हैं. पहले राजनीतिक परिवर्तन और भूमि अधिग्रहण की वजह से देरी हुई. इस ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर की समय सीमा पहले जून 2022 थी. कोविड-2019 और 2019 की घटना के बाद समय सीमा को बढ़ाकर जनवरी 2023 कर दिया गया.

ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर का एक हिस्सा– फूलबगान से सेक्टर V तक – अक्टूबर 2020 में शुरू हो गया था.

इन सबके अलावा KMRC की एक समस्या सुरक्षा को लेकर भी है.

Cracks at the house of Subhashish Das | Photo: By special arrangement
सुभाशीष दास के घर में आईं दरारें/फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट

पिछले महीने ही कोलकाता मेट्रो के अधिकारियों ने दो टनल बोरिंग मशीनों उर्वी और चंडी को निकाला था, जो 2019 में टनलिंग प्रक्रिया के दौरान अंदर फंसी रह गई थीं.

कहा गया था कि 2019 में चंडी जमीन के अंदर एक एक्विफर (जलभृत) से टकरा गई, जिसकी वजह से पानी का अनियंत्रित रिसाव हुआ. और उस साल बो बाजार में इमारत के ढहने के लिए इसे ही जिम्मेदार ठहराया गया था.

35 साल की मानसी भुइयां आज भी उस मंजर को भूली नहीं है कि कैसे उनके घर का एक हिस्सा भरभराकर गिर गया था. वह याद करते हुए बताती हैं कि 2016 में ही घर की मरम्मत कराई गई थी और 2019 में वो ढह गया.

उसने कहा, ‘मेरे पिता ने 2019 में ड्यूटी पर रहे कोलकाता मेट्रो इंजीनियर को तुरंत फोन किया और बताया कि दरारें फिर से दिखाई दे रही है’ वह आगे कहती हैं, ‘हम बाल-बाल बचे थे. शुक्र है कि कोई भी घायल नहीं हुआ. क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि 2019 के बाद से हम किस डर में जी रहे हैं? यह कभी भी हो सकता है. और मैं आपको बता दूं कि यह पहले भी हो चुका है और मुझे यकीन है कि यह फिर से होगा.’

यहां रहने वाले लोगों ने बताया कि 2019 में इमारतें ढहने के बाद मेट्रो अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि उनके घर वापस जाने के लिए सुरक्षित हैं. कुछ परिवारों को फिटनेस सर्टिफिकेट भी दिए गए . जबकि बाकी को इस संबंध में एक फोन आया था.

उनके मुताबिक, जिन घरों को भारी नुकसान हुआ था, उन्हें मेट्रो द्वारा फिर से बनाया जाना था. लेकिन यह काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है.

जिम्मेदार कौन 

कोलकाता के मेयर और राज्य के मंत्री फिरहाद हाकिम ने निवासियों से बातचीत करने के लिए साइट का दौरा किया. उन्होंने शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इसके लिए कोलकाता मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को माफी मांगनी चाहिए.

वह कहते हैं, ‘एक गलती हुई है और उन्हें इसे मान लेना चाहिए. इलाके का ड्रेनेज भी गड़बड़ा गया है. उसे भी हल किया जाना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘हमने मेट्रो से ग्राउटिंग रिपोर्ट और मिट्टी की जांच की रिपोर्ट मांगी है. सभी रिपोर्ट आने के बाद हम मुख्य सचिव स्तर की बैठक करेंगे.’

ग्राउटिंग वह प्रक्रिया है जिसमें संरचना की भार-वहन क्षमता बढ़ाने के लिए कंक्रीट, चिनाई वाली संरचना, मिट्टी या रॉक मास में मौजूद गड्ढों या दरारों में सामग्री को इंजेक्ट किया जाता है. मिट्टी की जांच यह समझने के लिए कि जाती है कि क्या भारी निर्माण के लिए आधार पर्याप्त रूप से मजबूत है.

यह उन लोगों के लिए बड़ी अनिश्चितता का समय है, जो अपने घर और सभी सामानों को छोड़ कर होटल में बसेरा डाले हुए हैं. उन्हें नहीं पता कि वे फिर कभी अपने घर देख पाएंगे या नहीं.

केएमसी आयुक्त बिनोद कुमार ने कम से कम तीन घरों को गिराने की पुष्टि की है. उनके मुताबिक ये घर बाकी लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा हैं.

केएमआरसी ने उन घरों के पुनर्निर्माण का वादा किया है जिन्हें ध्वस्त किया जाएगा. लेकिन भुइयां का घर उनमें से एक है जिन्हें खतरनाक माना गया है. उनके लिए ये लिखित गारंटी से ज्यादा कुछ नहीं है.

उसने कहा, ‘यह पुलिस थी जो हमें बचाने के लिए सबसे पहले आई थी. हमारे क्षेत्र के पार्षद और विधायक भी मौजूद थे, लेकिन मेट्रो के अधिकारियों के आने में करीब पांच घंटे का समय लग गया. हम नहीं जानते कि गलती किसकी है’

दास का भी यही सवाल था.

उन्होंने कहा, ‘ अफसोस होता है, केंद्र सरकार के इंजीनियरों को यह नहीं पता कि इस परियोजना को कैसे अंजाम दिया जाए’ वह कहते हैं, ‘एक बार जब मेट्रो का संचालन शुरू हो जाएगा, तो कौन गारंटी देगा कि हमारे घर नहीं गिरेंगे? हम भी चाहते हैं कि हमारी आने वाली पीढ़ियां विकास देखें, लेकिन किस कीमत पर?

वह कहते हैं, ‘मेट्रो अधिकारी इतने संवेदनहीन कैसे हो सकते हैं? ‘ आप एक बार गलती कर सकते हैं. लेकिन 2019 में हुई घटना से भी आपने कोई सबक नहीं सीखा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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