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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशआरोप कबूलने के बाद कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक 2017 के टेरर-फंडिंग मामले में दोषी करार

आरोप कबूलने के बाद कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक 2017 के टेरर-फंडिंग मामले में दोषी करार

यासीन मलिक ने पिछले मंगलवार को कोर्ट से कहा था कि वह खुद पर लगे आरोपों के खिलाफ पैरवी नहीं करेंगे और ‘आगे जो होगा उसका सामना करने को तैयार’ हैं.

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नई दिल्ली: कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को गुरुवार को 2017 के टेरर फंडिंग मामले में दोषी करार दिया. यह फैसला उनके आरोप कबूल करने के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें सख्त गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोपों के अलावा आतंकी कृत्य में शामिल होना, आतंकवाद के लिए धन जुटाने, एक आतंकवादी समूह का सदस्य होना और आपराधिक साजिश का हिस्सा होना और राष्ट्रद्रोह के आरोप शामिल हैं.

हल्के पीले रंग का कुर्ता, नीली डेनिम और काली चप्पल पहने प्रतिबंधित जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के नेता मलिक को एसीपी रैंक के एक अधिकारी सहित दिल्ली पुलिस के कम से कम पांच कर्मी कोर्ट रूम लेकर पहुंचे.

मलिक ने पिछले मंगलवार को कोर्ट से कहा था कि वह खुद पर लगे आरोपों के खिलाफ पैरवी नहीं करेंगे और ‘आगे जो होगा उसका सामना करने को तैयार’ हैं.

विशेष जज प्रवीण सिंह ने जुर्माना राशि तय करने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को मलिक की वित्तीय स्थिति का आकलन करने का निर्देश दिया है. जुर्माना लगाने के संबंध में अदालत ने मलिक को अपनी आय और संपत्ति पर एक हलफनामा पेश करने को कहा है.

सजा की अवधि तय करने को लेकर दलीलों पर 25 मई को सुनवाई होगी.

एमिकस क्यूरी अधिवक्ता अखंड प्रताप सिंह, जो दो मौकों पर दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल में मलिक से मिले थे, ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने मुकदमे की पैरवी के लिए मलिक को मनाने की कोशिश की थी लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया.

मलिक को एनआईए ने अप्रैल 2019 में टेरर-फंडिंग मामले में एक दर्जन अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया था. बाद में जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, दुख्तरान-ए-मिल्लत और अन्य आतंकी संगठनों के सदस्यों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया था.

इस साल मार्च में दिल्ली की एक कोर्ट ने यह कहते हुए आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था कि वे देश में हिंसा फैलाने के लिए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की एक आपराधिक साजिश का हिस्सा थे और उन्हें सीधे तौर पर टेरर-फंडिंग की जा रही थी.

अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि मलिक ने ‘आजादी’ के नाम पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के लिए धन जुटाने के उद्देश्य से व्यापक ढांचा और नेटवर्क स्थापित किया था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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