scorecardresearch
Saturday, 2 November, 2024
होमराजनीतिसचिन तेंदुलकर की तुलना में मैरी कॉम हैं कई गुना बेहतर सांसद

सचिन तेंदुलकर की तुलना में मैरी कॉम हैं कई गुना बेहतर सांसद

Text Size:

सचिन तेंदुलतर की छह साल के राज्य सभा कार्यकाल में उपस्थिति केवल 8 प्रतिशत जबकि मैरी कॉम की अपने कार्यकाल के शुरूआती दो वर्षों में ही औसतन 53 प्रतिशत उपस्थिति।

नई दिल्लीः दिग्गज शब्द आजकल बहुत हल्के में लिया जाता है। लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर और मुक्केबाजी एम् सी मैरी कॉम की बात आती है तब यह शब्द पूरी तरह से फिट बैठता है। उनकी महान उपलब्धियाँ की वजह से दोनों को राज्यसभा में नामांकित किया गया था। लेकिन तुलना यहीं पर समाप्त हो जाती है।


यह भी पढ़े : Tendulkar wakes up from Rajya Sabha slumber, calls for discussion on sports


पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सांसद के रूप में अपने प्रदर्शन में संसद में आधे से भी कम समय की सेवा के बावजूद मैरी कॉम ने क्रिकेट के भगवान को पछाड़ दिया।

तेंदुलकर को 27 अप्रैल, 2012 को मनमोहन सिंह की यूपीए-2 सरकार द्वारा ऊपरी सदन में नामांकित किया गया था, उस समय सचिन एक सक्रिय क्रिकेटर थे। नवंबर 2013 में सचिन ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया और फिर 26 मार्च 2018 तक एक सांसद के रूप में अपनी सेवा प्रदान की। हालांकि, यह बात किसी से छिपी नहीं है कि वह उपस्थिति के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन वाले सांसदों में से एक थे, उन्होंने छह साल के कार्यकाल में केवल 8 प्रतिशत उपस्थिति दी।

दूसरी ओर, मैरी कॉम को नरेन्द्र मोदी की एनडीए सरकार ने राज्यसभा के लिए नामांकित किया था और 26 अप्रैल 2016 को उन्होंने अपना कार्यकाल प्रारंभ किया था। तब से मैरी कॉम ने एक सक्रिय खिलाड़ी होने के बावजूद संसद में 53 प्रतिशत की औसत उपस्थिति बरकरार रखी है, उन्होंने अप्रैल में ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में आयोजित होने वाले राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक जीता था।

तेंदुलकर का रिकॉर्ड

संसद में उनके पहले वर्ष में तेंदुलकर की उपस्थिति 5 प्रतिशत ही थी। संसद के अगले पांच सत्रों में या लगभग दो वर्षों में इस आंकड़े में केवल 8.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, इसी मुकाम पर मैरी कॉम वर्तमान में हैं।

संसद के उनके पहले वर्ष में, मास्टर ब्लास्टर बजट और शीतकालीन सत्रों में एक दिन भी शामिल नहीं हुए थे, जबकि मानसून सत्र में उनकी उपस्थिति 5 प्रतिशत थी। 2013 में भी, वह बजट सत्र में शामिल नहीं हुए थे, मानसून सत्र में उनकी उपस्थिति 5 प्रतिशत रही थी, जबकि शीतकालीन सत्र में,संन्यास लेने के तुरंत बाद, इसमें सुधार होकर यह 10 प्रतिशत तक बढ़ गई थी।

वर्ष 2014, जोकि लोकसभा चुनाव वर्ष था, में पहला सत्र शीतकालीन सत्र था, जिसमें तेंदुलकर ने अपनी उपस्थिति में बढ़ोतरी करके इसे 14 प्रतिशत तक पहुँचाया। हालांकि, वर्ष के बाकी दिनों में वह एक दिन भी उपस्थित नहीं हुए।
तेंदुलकर ने 2017 के शीतकालीन सत्र, जो उनके कार्यकाल का अंतिम सत्र था, में 20 प्रतिशत से अधिक उपस्थिति दर्ज की थी।

कुल मिलाकर, तेंदुलकर ने केवल 22 प्रश्न पूछे थे, जोकि 2015 तथा 2016 में ही पूछे गए थे, और किसी भी तर्क-वितर्क में भाग नहीं लिया।


यह भी पढ़े : Observers are the moral conscience of Indian sports


मैरी कॉम का रिकॉर्ड

2016 के बजट सत्र के दूसरे भाग में, मैरी कॉम राज्यसभा में शामिल हुईं और 7 प्रतिशत की उपस्थिति दर्ज की। हालांकि, मानसून सत्र में उन्होंने इस आंकड़े को 70 प्रतिशत तक बढ़ा दिया और शीतकालीन सत्र में फिर से यह आँकड़ा बढ़कर 76 प्रतिशत तक पहुँच गया।

2018 के शीतकालीन सत्र में 23 प्रतिशत तथा बजट सत्र में 26 प्रतिशत की कमी आने से पहले, जब वह गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों के लिए तैयारी कर रही थीं, मैरी कॉम ने 2017 के प्रारंभिक दो सत्रों में क्रमशः 69 और 68 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज की। मानसून सत्र में उनकी अब तक की उपस्थिति 75 प्रतिशत है।

मैरी कॉम अनुमति से उठाए गए मुद्दों की चार बहसों में शामिल हुईं और यह खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण की स्थायी समिति की सदस्या भी हैं। लेकिन अभी तक उन्होंने कोई प्रश्न नहीं उठाया है।


यह भी पढ़े : 15 November: The day the legend of Tendulkar was born


Read in English : Mary Kom is a much better MP than Sachin Tendulkar

share & View comments