मुंबई, 12 मई (भाषा) अमेरिका के ऊंचे मुद्रास्फीति के आंकड़ों के बाद ब्याज दर में आक्रामक वृद्धि की आशंका तथा जोखिम उठाने की धारणा में सुधार के बीच वैश्विक बाजारों में डॉलर के दो दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंचने से बृहस्पतिवार को रुपया 25 पैसे की जोरदार गिरावट के साथ 77.50 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इससे पहले दो दिन तक रुपये ने बढ़त दर्ज की थी।
घरेलू शेयर बाजार में हानि दर्ज होने, कमजोर आर्थिक वृद्धि दर तथा विदेशी पूंजी की सतत निकासी ने कच्चे तेल की कीमतों में आई नरमी को नजरअंदाज किया। इसकी वजह से रुपया 77.63 प्रति डॉलर के एक दिन के कारोबार के दौरान रिकॉर्ड निचले स्तर तक गया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 77.52 प्रति डॉलर पर बेहद कमजोर खुला तथा कारोबार के दौरान 77.36 से 77.63 रुपये के दायरे में उतार-चढ़ाव के बाद अंत में 25 पैसे की जोरदार गिरावट के साथ 77.50 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। रुपये का पिछला बंद भाव 77.25 रुपये प्रति डॉलर था। इससे पहले नौ मई को डॉलर के मुकाबले रुपया 77.44 रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शाोध विश्लेषक, दिलीप परमार ने कहा, ‘‘भारतीय रुपये ने एक मजबूत डॉलर इंडेक्स और जोखिम उठाने की धारणा में सुधार के कारण 77.63 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर को छुआ।’’
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 104.51 के दो दशक के नये उच्चस्तर पर जा पहुंचा।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 2.32 प्रतिशत की गिरावट के साथ 105.02 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण जिंसों की कीमतों में वृद्धि, ईंधन और खाद्य वस्तुओं के महंगा होने से भारत में भी खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में 7.79 प्रतिशत के आठ वर्ष के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
इस बीच, औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि भी सुस्त रही है। मार्च में औद्योगिक उत्पादन 1.9 प्रतिशत बढ़ा है।
बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,158.08 अंक यानी 2.14 प्रतिशत की गिरावट के साथ 52,930.31 अंक पर बंद हुआ।
विदेशी संस्थागत निवेशक, पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। उन्होंने बृहस्पतिवार को 5,255 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
भाषा राजेश राजेश अजय
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