नई दिल्ली: दिल्ली में गत कुछ दिनों से कोविड-19 के दैनिक मामलों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. विशेषज्ञों ने इस बारे में गुरुवार को कहा कि यह परिपाटी अपेक्षाकृत लंबी चलेगी और उन्होंने इसके लिए नागरिकों के व्यवहार में बदलाव को जिम्मेदार ठहराया.
उल्लेखनीय है कि बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के 970 मामले आए थे और एक व्यक्ति की मौत हुई थी जबकि संक्रमण दर 3.34 प्रतिशत दर्ज की गई थी. वहीं, इससे एक दिन पहले दिल्ली में 4.38 प्रतिशत संक्रमण दर के साथ 1,118 नए मामले आए थे और एक व्यक्ति की मौत हुई.
दिल्ली में सोमवार को कोविड-19 के 799 नए मामले आए थे और तीन लोगों की मौत दर्ज की गई थी जो गत दो महीनों में एक दिन में सबसे अधिक मौते थीं. सोमवार को संक्रमण दर 4.94 दर्ज की गई थी.
प्रख्यात महामारी विशेषज्ञ डॉ.चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि आंकड़ों में यह उतार चढ़ाव लंबे समय तक चलेगा और यह पूर्वानुमान लगाना कठिन है कि यह स्थिति कब तक जारी रहेगी.
उन्होंने कहा,‘पिछले महीने त्योहारों का सत्र होने की वजह से हमने मामलों में वृद्धि देखी क्योंकि लोग स्वेच्छा से जांच करा रहे थे क्योंकि उनको यात्रा करनी थी. मेरा विचार है कि लोग इससे पहले जांच नहीं करा रहे थे, लेकिन अब मीडिया में मामलों में वृद्धि की खबर के बाद जांच करानी शुरू कर दी है. यह फेरबदल लंबे समय तक चलता रहेगा और यह लोगों के व्यवहार पर निर्भर करता है.’
लहरिया ने कहा कि जांच 30 हजार से बढ़कर एक लाख तक पहुंची गई तो आंकड़े ऊपर जाएंगे.
उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में,जांच तक अधिकतर लोगों की पहुंच है और इसलिए वे जांच करा रहे हैं. मामले जांच के अनुपातिक हैं.’
शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल में निदेशक और श्वास रोग विभाग के प्रमुख डॉ.विकास मौर्य ने कहा कि इस समय ओमीक्रॉन और उसके उप स्वरूप से संक्रमण हो रहा है.
उन्होंने कहा, ‘जनवरी के महीने के दौरान बड़ी संख्या में लोग वायरस के संपर्क में आए. लोगों ने टीके और पूर्व में संक्रमण के चलते प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है. अधिकतर मरीज वो हैं जो पूर्व में कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हुए थे. करीब 70 से 80 प्रतिशत मरीज हमारे पास ओपीडी के जरिये आ रहे हैं. अस्पताल में वे भर्ती हो रहे हैं जिनका पूर्व में संक्रमण का इतिहास नहीं रहा है.’
मौर्य ने लहरिया का समर्थन किया कि लोगों के व्यवहार से जांच निर्भर कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘एक दिन लोग जांच कराते हैं जबकि दूसरे दिन वे इसके प्रति अनिच्छुक होते हैं. इसकी वजह से भी मामलों में उतार-चढ़ाव आ रहा है. मेरा मानना है कि यह अगले दो-तीन सप्ताह तक चलेगा और यह महामारी के संभवत: स्थानीय होने के चरण में प्रवेश करने का संकेत हो सकता है. अस्पतालों में जो भर्ती हो रहे हैं वे बुजुर्ग हैं और पहले से ही कई गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं. टीकाकरण के बाद भी उनकी प्रतिरोधक क्षमता अच्छी नहीं है, जिसकी व्याख्या उनके संक्रमण से की जा सकती है. बच्चों में संक्रमण के लक्ष्ण हल्के हैं.’
(सलोनी भाटिया)
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