अगले साल के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी का अभियान, प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में राहुल गांधी की अपील को मजबूत करने के लिए एक बड़ा दबाव डालेगा।
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन प्रियंका इसका नेतृत्व कर रही हैं क्योंकि पार्टी तेजी से 2014 के रास्ते से खुद को छुटकारा दिलाने का एक बड़ा दांव शुरू कर रही है।
2019 का लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई के लिए निर्धारित किया गया है और कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि जल्दी शुरुआत करने से पार्टी को एक लाभ के रूप में चुनावी सत्र में प्रवेश करने में मदद मिलेगी। योजना 100 दिनों की तैयारी समय पर करने की और 300 सीटों पर अपनी ऊर्जा को केंद्रित करने की है, क्योंकि कांग्रेस का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने के लिए 300 सीटों का लक्ष्य उचित है।
युवा और गठबंधन रणनीति मुख्य आधार हैं, जिन्हें अंत में प्रियंका के साथ तीन-स्तरीय संरचना द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा।
सूत्रों ने बताया है कि प्रियंका विभिन्न विभागों के लिए लक्ष्य-निर्धारण की सक्रिय रूप से निगरानी रखेंगी और उन्हें प्राप्त करने की प्रगति पर नज़र रखेंगी।
कुछ हफ्ते पहले ही उन्होंने 2019 के लिए “ग्रैंड प्लान”(महा योजना) पर काम करने के लिए वरिष्ठ नेताओं और विभिन्न विभागों के प्रमुखों के साथ बैठक की है।
100 दिन की कार्य योजना का खाका
वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और तकनीकी विशेषज्ञ दीपक अमीन, प्रियंका की निगरानी में दिल्ली में 15 जीआरजी रोड पर स्थित पार्टी के कार्यालय में तैयारी का पर्यवेक्षण करेंगे और पार्टी बैठक की कार्यप्रणाली को संभालेंगे।
कांग्रेस के शोध विभाग के प्रमुख विद्वान-सांसद राजीव गौड़ा और राजीव गांधी फाउंडेशन के सीईओ, सामाजिक महाप्रबंधक विजय महाजन, अनुसंधान समर्थन प्रदान करेंगे क्योंकि पार्टी देश के सामने आने वाली समस्याओं पर प्रकाश डालने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ अपने अभियान के मुद्दे ढूंढ रही है। पूर्व कांग्रेस सरकारों की उपलब्धियां पर भी ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।
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सूत्रों के अनुसार, सभी विभागों के प्रमुखों को, अगले 100 दिनों की रूपरेखा तैयार करने के लिए इस अवधि के अंत में निर्धारित समीक्षा के साथ, अगले 100 दिनों में अपनी कार्यवली के लिए एक खाका तैयार करने के लिए कहा जाएगा।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “100 दिनों की योजना के पीछे विचार सभी विभागों के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करना है और 100 दिनों के बाद इसकी समीक्षा करना है और फिर अगले 100 दिनों के लिए योजना बनाना है। यह एक बड़ा चुनाव है और पार्टी की सफलता सुनिश्चित करने के लिए पार्टी की हर इकाई को कड़ी मेहनत करनी चाहिए।”
नेता ने कहा कि “उदाहरण के लिए, महिला कांग्रेस के मामले में, नई महिला मतदाताओं को जोड़ने का लक्ष्य होना चाहिए … उनकी भूमिका अब संगठनात्मक नहीं रहेगी, और उन्हें पार्टी के विकास में सक्रिय रूप से योगदान देना होगा।“
‘सामरिक गठबंधन’
पार्टी अगले कुछ महीनों में उम्मीदवारों के चयन की प्रकिया को समाप्त करने की योजना बना रही है, खासकर उन राज्यों में जहां वह अकेले बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ेगी।
सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि कांग्रेस “सक्रिय रूप से” 300 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी जहां उन्हें लगता है कि उनके उम्मीदवार जीतने की स्थिति में हैं या भाजपा को कड़ी टक्कर देंगे।
उन राज्यों में जहां पार्टी एक प्रमुख भूमिका में नहीं है, वहां कांग्रेस क्षेत्रीय दलों, जैसे उत्तर प्रदेश में हालिया उपचुनावों के लिए किया गया गठबंधन, के साथ “सामरिक गठजोड़” तैयार करेगी।
पिछले हफ्ते दिल्ली में कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में, राहुल को क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करने की जिम्मेदारी लेने के लिए अधिकृत किया गया था।
कुल मिलाकर, पार्टी 2014 में 464 सीटों पर लड़ने की तुलना में 2019 में 400 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। 2014 में यह सीटों की संख्या भाजपा की 428 सीटों से ज्यादा थी जो बहुत ज्यादा प्रभावी साबित नहीं हुई, और उस समय कांग्रेस की सीटें कम होकर 44 रह गईं वहीं भाजपा ने 282 सीटों पर जीत दर्ज की।
अपने सबसे खराब प्रदर्शन को दर्ज कराते हुए, कांग्रेस किसी भी राज्य में सीट साझा करने में दोहरा आंकडा कर पाने में सफल नहीं हो पाई है, यहां तक कि 14 राज्यों में से एक में भी यह अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रही है।
राहुल गांधी पर आधारित एक अभियान का निर्माण
कांग्रेस औपचारिक रूप से गांधी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में घोषित करने के लिए असंभाव्य है, लेकिन विपक्षी दल का अभियान राहुल गांधी पर आधारित होगा।
अभियान में, बीजेपी के नरेंद्र मोदी, जिन्होंने 2014 में पार्टी की जीत का नेतृत्व किया था, के खिलाफ कांग्रेस के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में राहुल की अपील को आधार बनाने का एक बड़ा प्रयोजन शामिल होगा।
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इसमें उनके हाल ही के भाषणों के साथ-साथ उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को उजागर करने वाली बातें शामिल होगी। यह राहुल और मतदाताओं के विभिन्न समूहों के बीच परस्पर प्रभाव भी डालेगा, जहां कांग्रेस अध्यक्ष प्रत्येक के लिए अपनी विचार पेश करेंगे।
लक्ष्य हजारों युवा
अभियान का एक बड़ा हिस्सा युवा मतदाताओं पर केंद्रित होगा, जो पिछले चुनाव के बाद मतदाता सूची में शामिल हुए हैं।
कांग्रेस की एक आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार, 18 और 23 साल के 150 मिलियन मतदाता होंगे जो पहली बार मतदान करने के पात्र होंगे, और उनके द्वारा चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाने की उम्मीद है।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2014 में पहली बार, अनुमानित 11.72 करोड़ मतदाता थे। हालांकि यह कहना मुश्किल है कि बीजेपी को कितने वोट मिले थे, ऐसा माना जाता है कि इन मतदाताओं ने पार्टी को किसी और की तुलना में अधिक मदद की थी।
कांग्रेस हर राज्य में इस उम्र के ब्रैकेट से 50 युवाओं की पहचान करने की योजना बना रही है, और पार्टी की उनकी अपेक्षाओं और आंकलन के बारे में उनके साथ बातचीत कर रही है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ये युवक कांग्रेस के छात्र विंग, भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) का हिस्सा नहीं हों और अराजनैतिक हो, जिससे वह उद्देश्यपूर्ण राय दे पाए।
Read in English : Congress makes 2019 plan with some help from Priyanka, pins hope on allies and millennials