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Friday, 22 November, 2024
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झारखंड आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल पूर्व में लगे इतने आरोपों के बावजूद कैसे शीर्ष पदों पर बनी रहीं

ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सिंघल से जुड़ी संपत्तियों पर छापेमारी की है. सेवारत और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों का दावा है कि सभी दलों के नेताओं के साथ उनके समीकरणों के कारण उन्हें अतीत में क्लीन चिट मिलती रही है.

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रांची: झारखंड खनन और उद्योग सचिव पूजा सिंघल पिछले शुक्रवार से चर्चा में हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पांच साल पुराने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनके और उनके परिवार के सदस्यों से जुड़ी संपत्तियों पर छापा मारा है.

यह मामला महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के 18.6 करोड़ रुपए के फंड के कथित डायवर्जन से जुड़ा है.

हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने ईडी के इन छापों पर सिंघल के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है.

यह पहला विवाद नहीं है जिसमें सिंघल का नाम सामने आया है. 2000 बैच की यह आईएएस अधिकारी केंद्र में दाखिल अपनी अचल संपत्ति रिटर्न के अनुसार करोड़पति हैं. वह विभिन्न राजनीतिक दलों के मुख्यमंत्रियों के नेतृत्व वाली झारखंड सरकारों में उच्च पदों पर बनी रही हैं. चाहे वह बीजेपी के अर्जुन मुंडा हों, रघुबर दास या वर्तमान सीएम, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के हेमंत सोरेन.

एजेंसी के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि जैसे-जैसे मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की जांच सामने आ रही है, सिंघल को कथित रूप से घेरने वाले अनियमितताएं के अन्य कई मामले भी धीरे-धीरे अलमारी से बाहर झांकने लगे हैं.

सिंघल के साथ काम करने वाले, राज्य के सेवारत और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों ने दावा किया कि यह राजनीतिक आकाओं के साथ उनकी निकटता और पार्टी के साथ उनकी संबद्धता थी, जिसकी वजह से कई कथित गलत कामों को उजागर करने वाले मामलों के सामने आने के बावजूद वह बेदाग बनी रहीं.

दिप्रिंट ने फोन और मैसेज के जरिए सिंघल से टिप्पणी लेने की कोशिश की थी लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. टिप्पणी मिलने पर लेख को अपडेट कर दिया जाएगा.


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एक-दूसरे पर आरोप मढ़ने का राजनीतिक खेल

ईडी की छापेमारी ऐसे समय में हो रही है जब विपक्षी दल बीजेपी ने राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की और सीएम सोरेन को अयोग्य घोषित करने की मांग की. मुख्यमंत्री सोरेन पर रांची में खुद को खनन पट्टा और अपनी पत्नी को औद्योगिक पट्टा देने के लिए अपने पद का कथित रूप से दुरुपयोग करने का आरोप लगा है.

यह कथित तौर पर सिंघल के खनन और उद्योग सचिव के कार्यकाल के दौरान हुआ था. वह झारखंड राज्य खनिज विकास निगम की अध्यक्ष भी हैं.

झारखंड बीजेपी अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से बातचीत में सिंघल के अब तक के पूरे कार्यकाल की जांच कराने की मांग की.

झारखंड के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने भ्रष्टाचार को रोकने में विफल रहने के लिए राज्य की पुरानी सरकारों को दोषी ठहराते हुए दिप्रिंट से कहा, ‘पूजा सिंघल का मामला इसका एक उदाहरण है. रघुवर दास सरकार ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी. जब तक भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लगेगी, कोई भी सरकार सुशासन नहीं कर पाएगी और अपनी प्रतिबद्धता को पूरा नहीं कर सकेगी.

झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘मुख्यमंत्री उन्हें निलंबित कर सकते हैं, लेकिन ये सब राज्य कैबिनेट की मंजूरी से ही किया जाएगा.’


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दो दर्जन ठिकानों पर छापेमारी

शुक्रवार से ईडी ने सिंघल और उनके परिवार के सदस्यों से जुड़ी संपत्तियों समेत करीब दो दर्जन ठिकानों पर छापेमारी की है.

यह छापेमारी 2009-10 में झारखंड के खूंटी जिले के उपायुक्त के रूप में सिंघल के कार्यकाल के दौरान 18.6 करोड़ रुपये के धन शोधन- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (मनरेगा) के तहत आवंटित – पर पांच साल पहले दर्ज किए गए मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले से संबंधित है.

झारखंड समेत चार राज्यों में छापेमारी की गई संपत्तियों में पल्स संजीवनी हेल्थकेयर प्राइवेट अस्पताल भी है. सिंघल के पति अभिषेक झा इसके प्रबंध निदेशक हैं.

अस्पताल में शुक्रवार से अब तक दो बार छापेमारी हो चुकी है. सरकार के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि ईडी की टीमों ने सिंघल और उनके परिवार से जुड़ी संपत्तियों और निवेशों के विवरण वाले कई दस्तावेज सबूत के तौर पर जब्त किए हैं.

ईडी की टीमों ने रांची के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट सुमन कुमार के घर से 19.35 करोड़ रुपए की बड़ी राशि भी बरामद की है, इनका कथित तौर पर सिंघल और उसके परिवार से संबंध हैं.

कुमार को मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम, 2002 के तहत गिरफ्तार किया गया है. बरामद राशि के बारे में ईडी द्वारा उनसे पूछताछ की जा रही है.

‘मोमेंटम झारखंड’ और कठौतिया भूमि हस्तांतरण

सेवानिवृत्त और सेवारत नौकरशाहों ने दिप्रिंट को बताया कि सिंघल की पहले भी जांच की गई थी लेकिन वह उस समय के मुख्यमंत्री का विश्वास हासिल करने में सफल हो गईं थी.

सिंघल को राज्य कृषि सचिव नियुक्त किया गया था. उस समय बीजेपी के रघुबर दास दिसंबर 2014 और दिसंबर 2019 के बीच सीएम थे. दास के कार्यकाल के दौरान, सिंघल को ‘मोमेंटम झारखंड’ के लिए विशेष कर्तव्य अधिकारी (ओएसडी) नियुक्त किया गया था. 2017 में राज्य में निवेश की संभावनाओं को आकर्षित करने के लिए सीएम ने इस ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट को बहुत धूमधाम से लॉन्च किया था.

झामुमो ने दावा किया था कि निवेश को लेकर की गई ये बैठक एक घोटाला था. जब सोरेन दिसंबर 2019 में सीएम बने, तो उन्होंने एक विशेष ऑडिट का आदेश दिया. जनवरी 2020 में झारखंड भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में पूर्व सीएम दास के खिलाफ ‘मोमेंटम झारखंड’ आयोजनों के जरिए धन के गबन का आरोप लगाते हुए एक शिकायत दर्ज की गई थी.

झारखंड सरकार के एक सेवारत नौकरशाह ने बताया कि तमाम शोर-शराबे के बावजूद सिंघल पर आंच तक नहीं आई, जबकि वह ‘मोमेंटम झारखंड’ की ओएसडी थीं.

इस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘अगस्त 2021 में सोरेन सरकार ने उन्हें दो हाई प्रोफाइल मंत्रालयों- उद्योग और खनन का सचिव बनाया था.’

राज्य की नई औद्योगिक नीति लाने का श्रेय भी सिंघल को ही जाता है.

एक रिटायर ब्यूरोक्रेट ने 2012-13 में पलामू के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) के रूप में सिंघल के खिलाफ लगाए गए एक और आरोप के बारे में दिप्रिंट को बताया, ‘यह गड़बड़ी के सबसे गलत मामलों में से एक था. उन्होंने छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम, 1908 के प्रावधानों का पूर्ण उल्लंघन करते हुए आदिवासियों की 83 एकड़ भूमि और कुछ वन भूमि कठौतिया में खनन के लिए एक निजी कंपनी को हस्तांतरित कर दी. उसके लिए उसने राज्य सरकार की अनुमति नहीं ली, जोकि अनिवार्य है’ आईएएस अधिकारी उस समय पलामू में तैनात थे.

इस घटना के कारण कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा हो गई. ग्रामीणों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. अधिकारी ने आगे कहा, पलामू के तत्कालीन संभागीय आयुक्त एन.के. मिश्रा को मामले की जांच के लिए बनाई गई कमेटी का प्रमुख नियुक्त किया गया था. मिश्रा ने सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें उन्होंने सिंघली द्वारा की गई कथित अनियमितताओं की ओर इशारा किया था.

अधिकारी ने कहा, ‘जब रिपोर्ट प्रस्तुत की गई तो तत्कालीन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने मिश्रा द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को बारीकी से जांचने के लिए एक सदस्यीय समिति का गठन किया. समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए कहा कि सिंघल की ओर से कोई गलत काम नहीं किया गया है और उसे मामले में क्लीन चिट मिल गई.’

उस वक्त बीजेपी के अर्जुन मुंडा झारखंड के सीएम थे.

अधिकारियों ने दावा किया कि सिंघल पर अनियमितताओं के कई अन्य मामले भी थे. लेकिन जब भी कोई जांच रिपोर्ट पेश की गई या कोई फ़ाइल स्थानांतरित की गई, तो उसे कालीन के नीचे दबा दिया गया. एक सेवारत अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘कभी कोई कार्रवाई नहीं की गई. वह पूरी तरह से आश्वस्त रहती थी कि उसे क्लीन चिट मिल जाएगी.’

दिल्ली में तैनात झारखंड-कैडर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘नौकरशाही और राजनीतिक हलकों में सबको अच्छी तरह से पता था कि वह भ्रष्टाचार में लिप्त है. उसका लाइफ स्टाइल सब कुछ बता देता है. लेकिन लोगों ने या तो आंखें मूंद लीं या फिर उससे हाथ मिला लिया. यह राजनीतिक व्यवस्था के अनुकूल भी था क्योंकि वे उसके जरिए सभी तरह के कानूनी या गैर-कानूनी काम करा सकते थे.’


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‘ अति महत्वाकांक्षी, हमेशा से जानती थी कि उसे क्या चाहिए’

44 साल की सिंघल का जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ था. उन्होंने उत्तराखंड के हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से एमबीए किया.

सिंघल के एक पारिवारिक मित्र ने अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘वह पढ़ाई में हमेशा से अव्वल रहीं और अपनी सभी कक्षाओं में टॉप किया था. उसने अपने पहले प्रयास में ही सिविल सर्विसेज को पार कर लिया था. वह सबसे कम उम्र में आईएएस बनने वाले अधिकारियों में से एक है. उसने महज 21 साल की उम्र में यह तमगा हासिल कर लिया था.’

एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, जिनके अधीन सिंघल ने अपने करियर की शुरुआत में काम किया था, उन्होंने  बताया, ‘उसने मुझे अपने पिता के निधन के बाद कहा था कि वह अपनी मां की दोबारा शादी कराएगी और उसने अपनी मां की दूसरी शादी करवा भी दी. इतनी कम उम्र में उसकी स्पष्ट सोच से मैं बहुत हैरान था.’

सेवानिवृत्त अधिकारी ने आगे कहा कि सिंघल शुरू से ही बेहद महत्वाकांक्षी थी. उन्होंने कहा, ‘वह जानती थी कि किससे संपर्क करना है … उसका पीआर बहुत मजबूत था. उसने सभी पार्टियों के विधायकों के साथ अच्छे संपर्क बना लिए थे लेकिन जब वह जिलों में तैनात हुई तो उसने अपने क्षमता दिखा दी.’

सिंघल ने पहले 1999 बैच के झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी राहुल पुरवार से शादी की थी. उनकी दो बेटियां थीं. लेकिन ये शादी लंबे समय तक नहीं चल पाई और दोनों ने अलग रास्ते इख्तियार कर लिए. बाद में उन्होंने अभिषेक झा से शादी की. अभिषेक के पिता राज्य में एक जिला स्तर के अधिकारी थे और बाल विकास परियोजना कार्यालय से जुड़े थे.

झा अपनी पढ़ाई पूरी करके अभी ऑस्ट्रेलिया से लौटे थे. अपनी शादी के तुरंत बाद उन्होंने रांची में जमीन खरीदी और मल्टीस्पेशलिटी पल्स संजीवनी हेल्थकेयर प्राइवेट अस्पताल का निर्माण किया. फिलहाल ये अस्पताल अब ईडी के रडार पर है.

सिंघल के साथ काम करने वाले ऊपर उद्धृत सेवारत अधिकारी ने कहा कि कोई भी यह नहीं समझा जा सका है कि उसके पति ने कैसे इतना बड़ा मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल खड़ा कर लिया. उसके पास उस तरह की आय थी ही नहीं. अधिकारी ने कहा, ‘नौकरशाही के घेरे में इस बात की चर्चा थी कि पूजा इतने बड़े स्तर पर कैसे पहुंच गई.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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