उधमपुर (जम्मू कश्मीर), छह मई (भाषा) सेना की उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार को लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बदलते हालात के संदर्भ में और अधिक कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि सशस्त्र बलों ने लद्दाख में ‘ऑपरेशन स्नो लेपर्ड’ से मूल्यवान सबक सीखा है।
उन्होंने उत्तरी कमान के अंतर्गत आने वाले सबसे संवेदनशील परिचालन क्षेत्र की सुरक्षा के लिए बेहतर तकनीक की आवश्यकता पर बल दिया क्योंकि यह क्षेत्र ‘हमेशा युद्ध में’ रहता है।
लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने कहा, ‘‘उत्तरी कमान ‘ढाई मोर्चे’ की धारणा का उदाहरण देती है। इसकी विशिष्ट सीमाएं हैं और मैदानी से लेकर अत्यधिक ऊंचाई तक के विविध भूभाग हैं। साथ ही सामान्य से चरम मौसम की स्थिति भी है, जिसमें तापमान शून्य से 50 से 70 डिग्री नीचे चला जाता है।’’
यहां उत्तरी कमान मुख्यालय में दो दिवसीय ‘नॉर्थ टेक सिम्पोजियम 2022’ में उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशनल स्नो लेपर्ड’ के सबक को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और नागरिक प्रशासन के साथ तालमेल से ‘‘तेजी से बल की तैनाती और बुनियादी ढांचे के विकास की क्षमताओं के लिए पूरी तरह से आत्मसात कर लिया गया है।’’
उन्होंने कहा कि सेना सीमा की सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों के लिए जो समाधान तलाश रही है, उससे उत्तरी कमान के भीतर तैनात सभी बलों का संचालन सुगम होगा।
जून 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प का जिक्र करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने कहा, ‘‘वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अलग-अलग धारणाओं के संदर्भ में हालात को देखते हुए अभी और भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा कि बदलती अभियानगत स्थितियों और चुनौतियों का मुकाबला करने तथा विजेता के रूप में सामने आने के लिए हर समय तैयार रहने की जरूरत है।
भारतीय सेना की उत्तरी कमान वर्तमान में जम्मू कश्मीर के उधमपुर में दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन कर रही है ताकि अत्याधुनिक तकनीक की पहचान की जा सके जो इसकी अभियानगत चुनौतियों का हल करने के लिए आवश्यक है।
भाषा आशीष पवनेश
पवनेश
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