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Tuesday, 19 November, 2024
होमदेशमॉडल की वैधता, डेटा संग्रह की कार्यप्रणाली संदिग्ध : डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट पर भारत ने कहा

मॉडल की वैधता, डेटा संग्रह की कार्यप्रणाली संदिग्ध : डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट पर भारत ने कहा

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नयी दिल्ली, पांच मई (भाषा) भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा प्रामाणिक आंकड़ों की उपलब्धता के बावजूद कोरोना वायरस महामारी से संबंधित अधिक मृत्यु दर अनुमानों को पेश करने के लिए गणितीय मॉडल के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि इस्तेमाल किए गए मॉडल और डेटा संग्रह की कार्यप्रणाली संदिग्ध है।

डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि पिछले दो वर्षों में लगभग 1.5 करोड़ लोगों ने या तो कोरोना वायरस से या स्वास्थ्य प्रणालियों पर पड़े इसके प्रभाव के कारण जान गंवाई। यह देशों द्वारा मुहैया कराए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 60 लाख मौत के दोगुने से अधिक है। ज्यादातर मौतें दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और अमेरिका में हुईं।

रिपोर्ट के अनुसार भारत में कोविड से 47 लाख मौतें हुईं। यह आधिकारिक आंकड़ों का 10 गुना है और वैश्विक स्तर पर कोविड से लगभग एक तिहाई मौत को प्रदर्शित करता है। सूत्रों ने कहा कि भारत इस मुद्दे को विश्व स्वास्थ्य एसेंबली और आवश्यक बहुपक्षीय मंचों पर उठा सकता है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत डब्ल्यूएचओ द्वारा गणितीय मॉडल के आधार पर अधिक मृत्यु दर का अनुमान लगाने के लिए अपनाई गई कार्यप्रणाली पर लगातार आपत्ति जताता रहा है। बयान में कहा गया, ‘‘इस मॉडल की प्रक्रिया, कार्यप्रणाली और परिणाम पर भारत की आपत्ति के बावजूद डब्ल्यूएचओ ने भारत की चिंताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित किए बिना अतिरिक्त मृत्यु दर का अनुमान जारी किया है।’’

भारत ने डब्ल्यूएचओ को यह भी सूचित किया था कि भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) द्वारा नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) के माध्यम से प्रकाशित प्रामाणिक डेटा की उपलब्धता को देखते हुए गणितीय मॉडल का उपयोग भारत के लिए अतिरिक्त मृत्यु संख्या को पेश करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

भारत में जन्म और मृत्यु का पंजीकरण बेहद मजबूत है और दशकों पुराने वैधानिक कानूनी ढांचे, यानी ‘‘जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969’’ द्वारा शासित है। मंत्रालय ने इसके साथ ही कहा कि नागरिक पंजीकरण डेटा के साथ-साथ आरजीआई द्वारा सालाना जारी किए गए नमूना पंजीकरण डेटा का उपयोग बड़ी संख्या में शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और वैज्ञानिकों ने घरेलू और वैश्विक स्तर पर किया है।

बयान में कहा गया है, ‘‘भारत का दृढ़ विश्वास है कि डेटा के गैर-आधिकारिक स्रोतों के आधार पर सटीक गणितीय अनुमान पर निर्भर होने के बजाय एक सदस्य देश के कानूनी ढांचे के जरिए तैयार इस तरह के मजबूत और सटीक डेटा का डब्ल्यूएचओ द्वारा सम्मान, स्वीकार और उपयोग किया जाना चाहिए।’’

भारत ने श्रेणी एक और दो में देशों को वर्गीकृत करने के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा उपयोग किए गए मानदंड और धारणा में विसंगतियों की ओर इशारा किया था और साथ ही भारत को श्रेणी-दो देशों में रखने के आधार पर सवाल उठाया था, जिसके लिए गणितीय मॉडलिंग अनुमान का उपयोग किया जाता है।

बयान में कहा गया, ‘‘डब्ल्यूएचओ ने आज तक भारत के इस तर्क पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। भारत ने डब्ल्यूएचओ के स्वयं के इस स्वीकारोक्ति पर लगातार सवाल उठाया है कि सत्रह भारतीय राज्यों के संबंध में डेटा कुछ वेबसाइट और मीडिया रिपोर्ट से प्राप्त किया गया और उनका गणितीय मॉडल में इस्तेमाल किया गया था।’’

बयान के अनुसार, ‘‘यह भारत के मामले में अधिक मृत्यु दर अनुमान लगाने के लिए डेटा संग्रह की सांख्यिकीय रूप से खराब और वैज्ञानिक रूप से संदिग्ध कार्यप्रणाली को दर्शाता है।’’

भारत ने देश के लिए अधिक मृत्यु दर अनुमानों की गणना के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा उपयोग किए जाने वाले मॉडल में से एक में वैश्विक स्वास्थ्य अनुमान (जीएचई) 2019 के उपयोग पर भी आपत्ति जताई है।

भाषा आशीष नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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