मुंबई, चार मई (भाषा) रिजर्व बैंक ने बुधवार को सचेत किया कि वैश्विक अस्थिरता से अर्थव्यवस्था को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यह अस्थिरता भू-राजनीतिक तनाव, जिंस कीमतों में बढ़ोतरी और विदेशी मांग में कमी के चलते है।
केंद्रीय बैंक ने साथ ही जोड़ा कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस भू-राजनीतिक अस्थिरता का सामना करने में सक्षम है।
हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अप्रैल के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि के पूर्वानुमान में कोई बदलाव नहीं किया है।
उस समय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान को 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया था।
केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तय कार्यक्रम के बिना दो मई और चार मई को हुई बैठक हुई। केंद्रीय बैंक ने बुधवार को नीतिगत दर (रेपो) को 0.40 प्रतिशत बढ़ा दिया और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में भी आधा प्रतिशत की बढ़ोतरी की। बढ़ती हुई महंगाई के मद्देनजर ऐसा किया गया।
एमपीसी के फैसले की घोषणा आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को की।
उन्होंने कहा कि नीतिगत दर में वृद्धि का मकसद मध्यम अवधि में आर्थिक वृद्धि संभावना को मजबूत और सुदृढ़ करना है और हम निकट-अवधि के प्रभावों को लेकर सचेत हैं।
समिति ने कहा कि वैश्विक परिदृश्य काफी उतार-चढ़ाव भरा है और ऐसे में घरेलू व्यापक आर्थिक स्थिति पर ध्यान देना जरूरी है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य रहने से खरीफ की फसल अच्छी रहने की संभावना है। इसके साथ ही निवेश गतिविधियों को मजबूत सरकारी पूंजीगत व्यय, क्षमता उपयोग में सुधार, मजबूत कॉरपोरेट बही-खातों और अनुकूल वित्तीय स्थितियों से मदद मिलेगी।
समिति ने कहा कि दूसरी ओर बिगड़ते बाह्य परिदृश्य, जिंस कीमतों में तेजी और आपूर्ति पक्ष की बाधाओं के चलते चुनौतियां भी बनी हुई हैं।
भाषा पाण्डेय अजय
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