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Saturday, 23 November, 2024
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अंतरिक्ष से की जा रही पृथ्वी की जासूसी, युद्ध पर भी रखी जा रही है नजर

अंतरिक्ष में लगे कैमरे युद्ध की गतिविधियों को रिकॉर्ड कर रहे हैं. रूसी सेना की गतिविधियों को हम सभी के साथ साझा कर रहे हैं और उनके युद्ध अपराधों को दर्ज किया जा रहा है.

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न्यूयॉर्क: दुनिया के बड़े देशों के बीच जब युद्ध या टकराव होता है तो नई-नई तकनीकों के इस्तेमाल की बात सामने आती है. ऐसी ही एक तकनीक है अंतरिक्ष के जरिये जासूसी करना. इस तरह की जासूसी में आप युद्ध के मैदान की परिस्थितियों को कैमरे की नजर से देखकर उसी के हिसाब से अपनी रणनीति बनाते हैं या फिर उनमें बदलाव कर सकते हैं.

कहा जा सकता है कि कुछ ऐसा ही यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के दौरान हुआ है.

अंतरिक्ष में लगे कैमरे युद्ध की गतिविधियों को रिकॉर्ड कर रहे हैं. रूसी सेना की गतिविधियों को हम सभी के साथ साझा कर रहे हैं और उनके युद्ध अपराधों को दर्ज किया जा रहा है.

साल 2021 में एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि टोही उपग्रह रखने वाले देशों पर अन्य देशों की तुलना में हमले की कम संभावना होती है. माना जाता है कि युद्ध या फिर किसी बड़े विवाद के दौरान अघोषित रूप से हमला करने वाले हमलावर की जीत की संभावना अधिक रहती है.

उपग्रह प्रौद्योगिकी का उपयोग करके अंतरिक्ष से जासूसी होने पर किसी राष्ट्र के लिए रणनीतिक रूप से सतर्क होना बहुत कठिन हो जाता है, खासकर जब एक बड़ा, अधिक भीषण हमला करने का प्रयास किया जाता है. अपने खुद टोही उपग्रह रखने वाली सरकारों की संख्या सीमित रही है, लेकिन खासकर पिछले दो दशकों में इनकी संख्या में इजाफा हुआ है.

उपग्रह के जरिये तस्वीरें लेना अब आम बात हो गई है. साल 2000 में इसकी शुरुआत हुई थी. उपग्रह से ली गईं तस्वीरों की गुणवत्ता में भी नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2021 के अंत में गुपचुप तरीके से यूक्रेन और उसके आसपास रूसी सैनिकों की तैनाती शुरू कर दी थी, जिसके बाद से इस बात को लेकर चिंता पैदा हो गई कि अब रूस का अगला कदम क्या होगा. हालांकि इस दौरान उपग्रह से ली गईं तस्वीरों से यह पता चल गया कि पुतिन क्या करने वाले हैं और पश्चिमी देशों ने इसकी घोषणा की कि रूस, यूक्रेन पर हमला करने वाला है.

इसलिए पुतिन ने आक्रमण की संभावना को छिपाने की कोशिश नहीं की. इसके बजाय, रूसी अधिकारियों ने हमले की आशंका को भुनाया. हालांकि इससे पहले तक कई पर्यवेक्षकों का कहना था कि पुतिन नाटो और पश्चिमी देशों पर दबाव बनाने के लिये ऐसा कर रहे हैं.

पश्चिमी देशों ने रूस के गुपचुप हमले की योजना को इस तकनीक के सहारे बेनकाब कर दिया. रूसी टैंक जब पश्चिम की तरफ से यूक्रेन में घुसे तो उपग्रह से ली गईं तस्वीरों ने रूस की योजना को उजागर कर दिया और तभी से रूस पर प्रतिबंधों की शुरुआत होने लगी. इसके अलावा युद्ध शुरू होने से पहले ही रूस की दुनियाभर में निंदा शुरू हो गई. लिहाजा यह कहा जा सकता है कि उपग्रह से की जाने वाली जासूसी के मामले में पश्चिमी देशों ने रूस को पछाड़ दिया.

(एरिक गार्ट्जके, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया, सैन डियागो/ब्रायन अर्ली, यूनिवर्सिटी ऑफ एल्बनी, न्यूयॉर्क स्टेट यूनिवर्सिटी, अमेरिका)


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