(प्रशांत रंगनेकर)
मुंबई, 23 अप्रैल (भाषा) महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे चुनाव में लगातार हार के बाद अब अपने राजनीतिक तेवरों में बदलाव करते हुए नजर आ रहे हैं और वह केवल मराठी मानुष कार्ड तक सीमित न रहकर व्यापक हिंदुत्व कार्ड की ओर बढ़कर खुद को फिर से स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं।
हालांकि यह बहस का मुद्दा है कि क्या राज ठाकरे को वास्तव में इसमें सफलता मिलेगी या नहीं। राजनीतिक प्रेक्षक इस बात से सहमत हैं कि मनसे नेता को इस क्षण को भुनाना होगा या फिर हाशिए पर जाना होगा क्योंकि उनके चचेरे भाई उद्धव ठाकरे कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ गठबंधन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल को आगे बढ़ा रहे हैं।
‘सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज’ (सीएसडीएस) के संजय कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘अतीत में, उन्होंने मराठी ‘मानुष’ पर अपनी पार्टी शुरू की, लेकिन इसका वांछित प्रभाव नहीं पड़ा। यह उनके लिए अपनी पार्टी को फिर से शुरू करने का समय है जो अप्रासंगिक हो गई है।’’
इस बात पर जोर देते हुए कि 54 वर्षीय राज ठाकरे चुनावी सफलता हासिल करने में विफल रहने के बाद हिंदुत्व कार्ड का उपयोग करके अपनी पार्टी को फिर से शुरू करना चाहते हैं, उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना कट्टर राजनीति नहीं कर सकती है, क्योंकि वह सरकार में है और मनसे इस स्थान को भर सकती है।
वरिष्ठ पत्रकार वैभव पुरंदरे ने इस पर सहमति व्यक्त की और कहा कि मनसे प्रमुख बाल ठाकरे के नक्शेकदम पर चल रहे हैं और उनकी कट्टर हिंदुत्व की स्थिति ऐसे समय में आई है जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शिवसेना पर हिंदुत्व छोड़ने और कांग्रेस और राकांपा से हाथ मिलाने का आरोप लगा रही है।
पुरंदरे ने ‘पीटीआई-भाषा’से कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि राज ठाकरे ने निष्कर्ष निकाला है कि मोदी विरोधी राजनीति से मदद नहीं मिलेगी। साथ ही, मराठी मानुष के एजेंडे और हिंदुत्व में कोई बुनियादी विरोधाभास नहीं है।’’
गौरतलब है कि राज ठाकरे ने मस्जिदों के ऊपर से तीन मई तक लाउडस्पीकर हटाने की चेतावनी दी है। शिवसेना ने हालांकि मनसे पर भाजपा के इशारे पर चलने का आरोप लगाया है।
वहीं दूसरी ओर राज ठाकरे ने कहा था कि मस्जिदों पर लाउडस्पीकर का मुद्दा धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक है। उन्होंने अयोध्या जाने की भी घोषणा की थी।
मनसे ने तीन मई को पड़ने वाली ‘अक्षय तृतीया’ के अवसर पर राज्य भर में ‘महा आरती’ की भी घोषणा की है।
वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक प्रकाश अकोलकर ने कहा कि राज ठाकरे का उद्देश्य हमेशा अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे पर हमला करना रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘राज ठाकरे ने जो भी पद लिया, उनका निशाना उद्धव ठाकरे था। इस नए (कट्टर हिंदुत्व) में जाने के बाद भी राज का निशाना उद्धव बना हुआ है।’’
पुरंदरे ने कहा कि राज ठाकरे ऐसे समय में हिंदुत्व की राजनीति की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे हैं जब इस साल बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) समेत कई नगर निकायों में चुनाव होने हैं।
भाषा देवेंद्र माधव
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