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Sunday, 22 September, 2024
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भारत में कई भाषाएं हैं, लेकिन उन सभी में एक ही भाव है :मोहन भागवत

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अहमदाबाद, 21 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत में कई भाषाएं हैं, लेकिन उन सभी में एक ही भाव है, जो देश की एकता का स्रोत है।

भाषाओं पर भागवत की टिप्पणी इन आरोपों के बीच आई है कि देश में गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने की कोशिश की जा रही है।

आरएसएस प्रमुख, संस्कृत भाषा में पुस्तकों के लिए गुजरात साहित्य अकादमी द्वारा शुरू किये गये पुरस्कार प्रदान करने और उड़िया पुस्तक ‘अनन्य जगन्नाथ अनुभूतिमा’ के गुजराती अनुवाद का विमोचन करने यहां आये थे।

भागवत ने कहा, ‘‘कहा जाता है कि बोलियां सहित करीब 3,800 भाषाएं हैं और किसी भाषा को अलग तरीके से बोलने पर उसे समझना मुश्किल होता है। मैंने सौराष्ट्र में गुजराती बोलते सुना है, जिसे समझने के लिए थोड़ा प्रयास करना पड़ता है। लेकिन भाषाएं अलग-अलग होने पर भी भाव एक ही है। यह भारत की एकता है। ’’

उन्होंने यह भी कहा कि भारत जैसा कोई देश नहीं है और जब दुनिया के लोग कहते हैं कि एकजुट रहना होगा, प्राचीन काल से भारत का मानना रहा है कि एकजुट जैसा बने रहने की कोई जरूरत नहीं होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘हम कहते रहे हैं कि विविधता में एकता है, लेकिन हम सभी को कुछ और शब्दों का उपयोग करना होगा और कहना होगा, ‘एकता की विविधता’।’’

भाषा

सुभाष पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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