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Sunday, 22 September, 2024
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न्यायालय मनरेगा में श्रमिकों की कठिनाइयों पर ‘स्वराज अभियान’ की याचिका पर सुनवाई करेगा

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नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में श्रमिकों के सामने आ रहीं गंभीर परेशानियों के आरोप वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दी है। मामला कई राज्यों में मनरेगा के लिए धन नहीं होने से श्रमिकों का वेतन लंबित होने से जुड़ा है।

राजनीतिक दल ‘स्वराज अभियान’ की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि अंतरिम याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए क्योंकि शहरी श्रमिकों के विस्थापन के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था दबाव झेल रही है और उनकी आय के मुख्य स्रोत मनरेगा में वेतन भुगतान के लंबित रहने की समस्या है।

पीठ में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, ‘‘हम देखेंगे।’’

स्वराज अभियान ने 2015 में शीर्ष अदालत में जनहित याचिका दाखिल की थी और ग्रामीण गरीबों तथा किसानों के लिए अनेक राहतों की मांग की थी। तब यह गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) था। अब उसने याचिका में अंतरिम आवेदन किया है।

उसने कहा, ‘‘केंद्र सरकार को ऐसी प्रणाली बनाने का निर्देश दिया जाए ताकि राज्य सरकारों के पास अगले एक महीने के लिए कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिहाज से पर्याप्त धन हो। पिछले साल जिस महीने सबसे अधिक मांग थी उसे आधार महीना मानकर राज्य सरकार को पूर्व में ही न्यूनतम धन दिया जाना चाहिए।’’

याचिका में कहा गया कि इस समय देश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत करोड़ों श्रमिक गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं और राज्यों पर उनका वेतन लंबित है तथा राज्यों के पास कोष नहीं है।

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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