नई दिल्ली: सेना की हमेशा भरोसेमंद एके-47 असॉल्ट राइफल, एक भारतीय कंपनी के अपग्रेड सॉल्यूशन की बदौलत अब और भी ज्यादा खतरनाक और मजबूत हो गई है.
बेंगलरु स्थित कंपनी एसएसएस डिफेंस ने पिछले साल अक्टूबर में इजरायल की एक कंपनी को पछाड़ते हुए, भारतीय सेना के एके सीरीज की राइफलों को अपग्रेड करने का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया था. कंपनी ने बताया कि उसने बुधवार को अपनी अपग्रेड किट सेना को डिलीवर कर दी है.
हथियार अपग्रेड होने के बाद ज्यादा खतरनाक हो गए हैं, राइफल में एक नया फोल्डेबल बट स्टॉक बनाया गया है और डस्ट कवर भी शामिल किया गया है. साथ ही फ्रंट एंड में भी कुछ बदलाव किए गए हैं.
नए फोल्डेबल बटस्टॉक की बदौलत जहां सैनिक अब और बेहतर तरीके से राइफल का इस्तेमाल कर पाएंगे. वहीं नया डस्ट कवर फीचर सटीक निशाना साधने में मदद करेगा. ये फीचर अब तक एके -47 में नहीं था.
फ्रंट पार्ट में किए गए कुछ बदलाव एके -47 को और खतरनाक बना रहे हैं. अब जरूरत पड़ने पर बिपॉड या चाकू लगाकर इसे इस्तेमाल किया जा सकेगा.
अपग्रेड किट में एक हैंड-गार्ड और वर्टिकल ग्रिप भी शामिल है, जो सैनिकों को बेहतर और स्थिर फायरिंग पोजिशन देती है.
अब तक एके-47 के अपग्रेड को लेकर इजराइल की फैब डिफेंस का भारतीय बाजार में एकाधिकार था. लेकिन एसएसएस डिफेंस ने अब इसमें सेंध लगा दी है.
सेना की कई यूनिट अपने कलाश्निकोव को आधुनिक युद्ध के अनुरूप उन्नत बना रही हैं. फैब डिफेंस ने पिछले एक दशक में कुछ हज़ार राइफलों को अपग्रेड करने में कामयाबी हासिल की है.
ज्यादातर अपग्रेड जम्मू-कश्मीर स्थित युनिट के लिए किए गए है. क्योंकि भले ही एके -47 खतरनाक हैं, लेकिन उनमें उन कई विशेषताओं का अभाव था जो एक आधुनिक राइफल में होने चाहिए.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक सूत्र ने कहा, ‘एके-47 अपनी विश्वसनीयता और इस्तेमाल में आसानी के कारण पसंदीदा हथियार है. अपग्रेड से सैनिक को बेहतर ग्रिप, फायरिंग पोजिशन और सटीक निशाना लगाने में मदद मिलेगी. ये अपग्रेड यूनिट स्तर पर किए जा रहे हैं.’
सूत्र ने कहा कि अपग्रेड किट ने राइफल को बिल्कुल नया लुक और फील दिया है.
एसएसएस डिफेंस, भारतीय सेना से प्रसिद्ध ड्रैगनोव राइफल के अपग्रेड के लिए एक संभावित अनुबंध पर भी नजर गड़ाए हुए है. इस रूसी राइफल को आमतौर पर सशस्त्र बलों में डीएसआर के रूप में जाना जाता है.
उत्तरी कमान ने लगभग तीन दशक पुरानी राइफल के 90 पीस के अपग्रेडेशन के लिए टेंडर निकाला है. कुल मिलाकर सेना के पास 6,000 से 7,000 डीएसआर होने का अनुमान है.
जबकि कलाश्निकोव राइफल के रूसी निर्माता भी एक अपग्रेड के साथ आए, अगस्त 2020 में रक्षा मंत्रालय की जारी की गई ‘निगेटिव इम्पोर्ट लिस्ट’ में इसके अपग्रेडशन का उल्लेख किया गया है.
एसएसएस डिफेंस के मुताबिक, इसका अपग्रेड बिल्ट-इन मोनोपॉड और एडजस्टेबल चीक रेस्ट के साथ नए टैक्टिकल बटस्टॉक के साथ रिकॉइल को काफी कम करता है.
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