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Monday, 30 September, 2024
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अक्षय ऊर्जा उत्पादन के 2030 के लक्ष्य से पीछे रह सकता है भारत, कई राज्य पीछे चल रहे हैं: विशेषज्ञ

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नयी दिल्ली, 20 अप्रैल (भाषा) भारत अपने अक्षय ऊर्जा उत्पादन की क्षमता को 2022 तक 175 गीगावाट तक बढ़ाने और 2030 तक 500 गीगावाट तब बढ़ाने के लक्ष्यों को पूरा करने के मामले में पीछे चल रहा है क्योंकि उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा हरियाणा समेत कई राज्य इस मामले में पीछे हैं। जलवायु और ऊर्जा विशेषज्ञों ने बुधवार को यह बात कही।

दिल्ली से संचालित जलवायु संबंधी पहल ‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ द्वारा आयोजित वेबिनार में इस बारे में विचार व्यक्त किये गये कि उत्तरी विद्युत (नॉर्दन पॉवर) ग्रिड किस तरह अक्षय ऊर्जा की ओर अंतरण को बढ़ा सकता है और 2030 की ग्लासगो प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में भारत की मदद किस तरह कर सकता है।

जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी समिति (आईपीसीसी) के कार्य समूह तीन की हाल में जारी रिपोर्ट के कुछ ही समय बाद वेबिनार आयोजित किया गया।

ऊर्जा थिंकटैंक एंबर में एशिया के लिए वरिष्ठ विद्युत नीति विश्लेषक आदित्य लोल्ला ने कहा, ‘‘हम 2022 तक 175 गीगावाट और 2030 तक 500 गीगावाट के लक्ष्यों को प्राप्त करने में पिछड़ रहे हैं क्योंकि कुछ राज्य पटरी पर हैं, वहीं कुछ पीछे चल रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि दक्षिण क्षेत्र में तेलंगाना ने अक्षय ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है और उत्तर में केवल राजस्थान आगे चल रहा है और वह अपने 2022 के लक्ष्य को प्राप्त कर चुका है।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्य हैं जो अपने लक्ष्य का 30 प्रतिशत भी प्राप्त नहीं कर सके हैं। अगर मैं इन दो राज्यों की तुलना करुं तो दोनों का लक्ष्य 2022 तक 14 गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन का है, वहीं राजस्थान इस समय 17 गीगावाट के लक्ष्य को हासिल कर चुका है, उत्तर प्रदेश 4 गीगावाट पर ही है।’’

उन्होंने कहा कि इसी तरह उत्तराखंड, पंजाब तथा हरियाणा की स्थिति है जो क्रमश: 1, 2 और 1 गीगावाट के स्तर पर हैं।

आईपीसीसी कार्यसमूह तृतीय रिपोर्ट, 13वें चैप्टर, नीतियां और संस्थान, पर पॉलिसी रिसर्च एंड कंट्रीब्यूटिंग ऑथर केंद्र में एसोसिएट फेलो पार्थ भाटिया ने कहा कि आईपीसीसी की ताजा रिपोर्ट कहती है कि लगभग सारी बिजली कम से कम या शून्य जीवाश्मीय ईंधन स्रोतों से मिलनी चाहिए ताकि वैश्विक तापमान में वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लक्ष्य को अर्जित किया जा सके।

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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