नयी दिल्ली, 20 अप्रैल (भाषा) वाम दलों के नेताओं ने जहांगीरपुरी क्षेत्र में बुलडोजर के इस्तेमाल को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) द्वारा चलाए गए अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान भारी संख्या में अर्धसैनिक बल और पुलिस की मौजूदगी के बीच बुधवार को जहांगीरपुरी में बुलडोजर ने कई ढांचों को ध्वस्त कर दिया। इस अभियान को हालांकि उच्चतम न्यायालय के आदेश के कुछ ही घंटों के भीतर रोक दिया गया था।
शीर्ष अदालत द्वारा अधिकारियों को इसे रोकने का निर्देश दिए जाने के बाद भी यह अभियान जारी रहा। अधिकारियों ने कहा कि यह अदालत से लिखित आदेश नहीं मिलने के कारण था।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात ने न्यायालय के आदेश की भौतिक प्रति के साथ स्थल का दौरा किया और नगर निगम कर्मचारियों से तत्काल ढांचों को गिराने की कार्रवाई को रोकने का आग्रह किया। वह रास्ते में एक बुलडोजर के सामने खड़ी हो गईं। बुलडोजर को शारीरिक रूप से रोकने की कोशिश के लिए सोशल मीडिया पर खूब वाहवाही बटोरने वाली करात ने मौके पर मौजूद दिल्ली पुलिस के अधिकारियों से भी मुलाकात की।
करात ने संवाददाताओं से कहा, “कानूनों के साथ-साथ संविधान को भी अवैध तरीके से गिराया गया है। कम से कम उच्चतम न्यायालय और उसके आदेश को गिराया नहीं जाना चाहिए।”
विध्वंस स्थल पर मौजूद अन्य वाम नेताओं में माकपा-माले के दिल्ली सचिव रवि राय और माकपा के हन्नान मुल्ला भी शामिल थे।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) सांसद बिनय विश्वम ने कहा कि ऐसी राजनीति से सिर्फ गरीबों के अधिकार का उल्लंघन होता है।
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “भाजपा की बुलडोजर राजनीति किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। सभी धर्मों के गरीब पीड़ित हैं। उनकी दुकानें और आश्रय स्थल ध्वस्त कर दिए गए हैं। अधिकारियों ने शीर्ष अदालत के निर्देश का उल्लंघन किया। यह अल्पसंख्यकों को वोट के लिए डराने के वास्ते है। लोगों की रक्षा के लिए प्रधानमंत्री को हस्तक्षेप करना चाहिए।”
भाकपा महासचिव डी राजा ने कहा कि बुलडोजर के इस्तेमाल की संस्कृति देश में “कानून के शासन को खत्म” कर रही है।
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने दिल्ली पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाया और मांग की कि वर्दी वालों को जवाबदेह ठहराया जाए।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “केंद्रीय गृह मंत्री के तहत सीधे काम करते हुए दिल्ली पुलिस की इस भूमिका को ऊपर से सख्त कार्रवाई के साथ जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। देश के कानून को बनाए रखने का अधिकार रखने वालों को इसका उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।”
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प्रशांत देवेंद्र
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