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Thursday, 19 December, 2024
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नड्डा ने भाजपा की राजस्थान इकाई से कहा, ‘आपसी कलह खत्म करें’, नेतृत्व का मुद्दा आलाकमान पर छोड़ दें

राजस्थान भाजपा के लिए एक चिंता का विषय रहा है, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे नए नेताओं को बढ़ावा देने के केंद्रीय नेतृत्व के प्रयासों को सिरे नहीं चढ़ने दे रही हैं. नड्डा का संदेश है कि 2023 के राज्य चुनावों में ‘ब्रांड मोदी’ पर भरोसा किया जाए.

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नई दिल्ली: भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने मंगलवार को 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनाव की रणनीतियों को लेकर एक बैठक की. इसमें उन्होंने राज्य नेतृत्व और राजस्थान के वरिष्ठ नेताओं को एक सामूहिक नेतृत्व और एक संगठित राज्य इकाई का संदेश दिया. राजस्थान पार्टी आलाकमान के लिए एक बड़ी चिंता का विषय रहा है, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे राज्य में नेताओं की एक नई पीढ़ी को तैयार करने, उसे आगे बढ़ाने और दो दशक लंबे ‘राजे युग’ को खत्म करने के आलाकमान के प्रयासों को सफल नहीं होने दे रही हैं.

नड्डा के दिल्ली स्थित आवास पर मंगलवार को हुई इस उच्च स्तरीय बैठक में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, राज्य भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत और राजस्थान विधानसभा में नेता विपक्ष गुलाब चंद कटारिया समेत कई पार्टी नेता शामिल हुए. बैठक में भाजपा महासचिव बी.एल. संतोष, प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल भी मौजूद थे.

सूत्रों ने कहा कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में लगभग एक साल का समय बचा है और भाजपा की राज्य इकाई में गुटबाजी बदस्तूर जारी है. ऐसे में पार्टी को लगता है कि विधानसभा चुनावों में उसकी संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं.

बैठक में मौजूद रहे एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने बताया, ‘गुटबाजी खत्म करने और राज्य के सभी नेताओं को एक मंच पर लाने के लिए नड्डा जी ने अपने आवास पर राजस्थान के भाजपा नेताओं की बैठक बुलाई थी. उन्होंने राज्य इकाई के साथ-साथ सभी वरिष्ठ नेताओं को संदेश दिया कि एकजुट रहें, आपकी टकराव खत्म करें और जहां तक चुनावों का सवाल है तो मुख्ममंत्री का चेहरा तय करने का फैसला आलाकमान पर छोड़ दें. फिलहाल ब्रांड मोदी पर ही भरोसा करें और इसी पर अपना सारा ध्यान केंद्रित करें.’

नड्डा की बैठक भाजपा के वरिष्ठ नेता और महासचिव बी.एल. संतोष का राजस्थान दौरा पूरा होने के कुछ ही समय बाद हुई है, जिसमें उन्होंने भी सामूहिक नेतृत्व के महत्व पर जोर दिया था, और राज्य के नेताओं से विवादास्पद बयानबाजी से परहेज करने को कहा था.

उक्त नेता ने बताया, ‘पहले भी जब अमित शाह जी, अरुण सिंह जी और हाल ही में बी.एल. संतोष जी ने राज्य का दौरा किया था, तो उन सभी ने सामूहिक नेतृत्व पर जोर दिया और राज्य इकाई और राजस्थान के नेताओं से भी कहा कि मुख्मंत्री के चेहरे पर चर्चा करना या कोई फैसला लेना उनका काम नहीं है. नड्डा जी ने भी यही संदेश दिया है.’

केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से राज्य इकाई को यह भी बताया गया है कि प्रधानमंत्री मोदी पार्टी के सबसे बड़े ब्रांड और चेहरे हैं, और उन्हें राज्य में नेतृत्व के मुद्दे की चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि इस पर कोई भी फैसला पार्टी आलाकमान को करना है.

भाजपा के एक दूसरे वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘हालिया विधानसभा चुनाव (भाजपा ने पिछले महीने चार राज्यों में जीत दर्ज की है) पार्टी ने ब्रांड मोदी पर भरोसा करके जीते हैं और बैठक में अंतर्निहित संदेश यही लगता है कि चुनावों के दौरान पूरा फोकस प्रधानमंत्री मोदी पर रखना है. हमारे पास मोदी सबसे बड़े नेता हैं और इसलिए फिलहाल नेतृत्व के मुद्दे पर इससे आगे जाकर सोचने की जरूरत नहीं है.’

सूत्रों के मुताबिक, नड्डा ने बैठक में इस पर भी जोर दिया कि सभी मुद्दों पर राज्य इकाई के नेताओं का रुख एक समान होना चाहिए. बताया जाता है कि भाजपा अध्यक्ष ने राज्य इकाई के नेताओं से दो-टूक कह दिया है कि पार्टी की गतिविधियों में सभी को एकजुटता के साथ हिस्सा लेना चाहिए और किसी को भी किसी भी तरह के आरोप-प्रत्यारोप में शामिल नहीं होना चाहिए.


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राजे और केंद्रीय नेतृत्व के साथ उनकी तकरार

भाजपा की राजस्थान इकाई 2018 के विधानसभा चुनावों के पहले से ही गुटबाजी की शिकार है जब भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी के करीबी मानी जाने वालीं राजे द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह के साथ संबंधों में खुलकर असहजता जताने के बीच पार्टी को कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.

2018 तक मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए वसुंधरा राज्य के मामलों में केंद्रीय नेतृत्व को कोई दखल नहीं देने देती थी. हालांकि, 2018 के चुनावों के बाद उन्हें दरकिनार कर दिया गया. राज्य इकाई अध्यक्ष पूनिया और राजे के बीच मनमुटाव की खबरें 2019 में पूनिया की नियुक्ति के बाद से सामने आने लगी थीं. और यह भाजपा के शीर्ष नेताओं के लिए लगातार चिंता का विषय रहा हैं.

पिछले साल, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थकों ने इस मांग के साथ ‘वसुंधरा राजे समर्थक मंच राजस्थान’ का गठन किया था, कि उन्हें 2023 के चुनावों के लिए पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए.

राजे इस माह के शुरू में केंद्रीय नेताओं से मिलने के लिए दिल्ली आई थीं, और 23 मार्च को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान भी मंच पर मौजूद रही थीं.

पार्टी में कई लोगों को लगता है कि अगले साल प्रस्तावित चुनावों में विपक्ष से मुकाबले के साथ एक सर्वमान्य चेहरा पेश करने का समय आ गया है.

सूत्रों के मुताबिक, राज्य इकाई विभिन्न क्षेत्रों और चुनाव में अपनाई जाने वाली पार्टी की रणनीतियों पर एक प्रेजेंटेशन के साथ आई थी.

पार्टी के एक तीसरे नेता के मुताबिक, नड्डा के मई में राज्य का दौरा करने की संभावना है.

उक्त नेता ने कहा, ‘सभी नेताओं से कहा गया है कि उन्हें एकजुट रहना है, पार्टी के सभी आधिकारिक कार्यक्रमों में मिलकर हिस्सा लेना है और साथ ही काफी समय से जारी आंतरिक कलह को पूरी तरह खत्म करने की आवश्यकता है. उन्हें राज्य में कांग्रेस के मुकाबले के अधिक आक्रामक तेवर अपनाने और पार्टी अनुशासन में बंधे रहने को भी कहा गया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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