scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमविदेशनवंबर में जाने वाले हैं बाजवा, कौन होगा पाकिस्तानी सेना का अगला प्रमुख? ये 4 हैं बड़े दावेदार

नवंबर में जाने वाले हैं बाजवा, कौन होगा पाकिस्तानी सेना का अगला प्रमुख? ये 4 हैं बड़े दावेदार

 पाकिस्तानी सेना के पीआर विंग के प्रमुख ने जनरल बाजवा का कार्यकाल बढ़ाए जाने की संभावनाओं को खारिज कर दिया है. अब बड़ा सवाल यह है कि पाक का नया आर्मी चीफ कौन होगा? संभावित उत्तराधिकारी के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं. 2019 में सेना में लेफ्टिनेंट पदों पर पदोन्नत हुए 4 बड़े दावेदारों के नाम सामने आए हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: एक पखवाड़े से चला आ रहा राजनीतिक और कानूनी ड्रामा उस समय खत्म हुआ जब पिछले हफ्ते मियां शाहबाज शरीफ ने इमरान खान की जगह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. शरीफ का आना इस्लामाबाद की सत्ता में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है. इस्लामाबाद के बाद अब सभी की निगाहें देश के अन्य शक्ति केंद्र रावलपिंडी पर टिकी हैं. यहां इस साल के अंत में एक और हाई-प्रोफाइल बदलाव की उम्मीद का जा रही है-वो है एक नए सेना प्रमुख की नियुक्ति.

जनरल कमर जावेद बाजवा को 2016 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त किया था. बाद में उनके कार्यकाल को तीन साल के लिए बढ़ा दिया गया था. अब वह 22 नवंबर 2022 को सेनाध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त होने वाले हैं. 61 साल के जनरल बाजवा के उत्तराधिकारी को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं.

पाकिस्तान की सत्ता पर सेना का व्यापक प्रभाव रहा है और इसमें होने वाले बदलावों पर विशेषज्ञ करीब की नजर रखते है. दक्षिण एशिया के एक विशेषज्ञ, राजनीतिक वैज्ञानिक स्टीफन कोहेन ने अपनी पुस्तक द आइडिया ऑफ पाकिस्तान में लिखा है, ‘हर बार सेना का रास्ता ही पाकिस्तान का रास्ता रहा है.’


यह भी पढ़ें: पाकिस्तान और श्रीलंका के संकट के लिए चीनी पंडितों ने लगाई भारत पर तोहमत और की इमरान की तारीफ


जनरल बाजवा के उत्तराधिकारी

इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (डीजी-आईएसपीआर) के महानिदेशक मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने पहले ही जनरल बाजवा द्वारा अपने कार्यकाल को एक बार फिर से बढ़ाने की मांग की संभावना से इनकार किया है. उन्होंने कहा, ‘मुझे आराम करने दो. सेना प्रमुख न तो कार्यकाल बढ़ाने की मांग कर रहे हैं और न ही वह इसे स्वीकार करेंगे. वह 22 नवंबर को समय पर सेवानिवृत्त हो जाएंगे.’

अब बड़ा सवाल यह है कि रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना के जनरल हेडक्वार्टर (जीएचक्यू) पर किसकी दावेदारी होगी या पाक का नया आर्मी चीफ कौन होगा?

अनुमान के मुताबिक, 2019 में बाजवा के बढ़े कार्यकाल से लेकर, इस साल के अंत में उनके रिटायरमेंट तक, कम से कम सात लेफ्टिनेंट जनरलों सहित 20 जनरल सेवानिवृत्त होंगे. इसका मतलब यह है कि सेना में ऐसे बहुत कम लोग हैं जिनके पास सेनाध्यक्ष के रूप में पदभार संभालने की साख है.

फिलहाल तो लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा, अजहर अब्बास, नौमान महमूद राजा और फैज हमीद इस दौड़ में सबसे आगे नजर आ रहे हैं.

यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि सभी चार शीर्ष दावेदारों को 2019 में मेजर जनरल से लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में पदोन्नत किया गया है. पाक की राजनीति और घरेलू मसलों पर पैनी नजर रखने वालों का मानना है कि पाकिस्तान में पेशावर के केवल तीन कोर कमांडर – जनरल सावर खान, जनरल असलम बेग और जनरल एहसान उल हक, फोर स्टार जनरल के पद तक पहुंचे हैं.


यह भी पढ़ें: सप्ताह में 6 दिन काम करा के पाकिस्तान के ऑफिस की गति बढ़ाएंगे PM शहबाज शरीफ, लोगों का क्या है कहना


लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा

बाजवा के रिटायर होने के बाद पाकिस्तानी सेना में सबसे वरिष्ठ सेवारत अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा होंगे. उन्हें सबसे बड़े दावेदार के रूप में देखा जा रहा है. वह सितंबर 2021 से रावलपिंडी में 10 वें कोर के कमांडर हैं. उन्हें 1987 में सिंध रेजिमेंट की 8 वीं बटालियन, एक इन्फैंट्री यूनिट में कमीशन किया गया था.

मिर्जा एक साधारण परिवार से हैं. जब वह छोटे थे तब उन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया था. उन्हें एक कट्टर संस्थावादी के रूप में जाना जाता है जिन्होंने सेना के अधिकार और प्रतिष्ठा की हिफाजत के लिए काम किया है.

वह सितंबर 2015 से अक्टूबर 2018 तक डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन (डीजीएमओ) और नवंबर 2019 से सितंबर 2021 तक जीएचक्यू में चीफ ऑफ जनरल स्टाफ (सीजीएस) के रूप में कार्यरत रहे है. उन्होंने पंजाब में डेरा इस्माइल खान और ओकारा में डिवीजनों की भी कमान संभाली है.

पाकिस्तानी सेना के भीतर उनके रुतबे और वरिष्ठता के कारण, जानकारों का मानना है कि लेफ्टिनेंट जनरल मिर्जा या तो सीओएएस या ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीजेसीएससी) के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाल सकते हैं. मौजूदा सीजेसीएससी नदीम रज़ा भी नवंबर 2022 में रिटायर होने वाले हैं.

जनरल बाजवा के विवादास्पद कार्यकाल, इमरान खान के साथ बिगड़ते समीकरण और सरकार का जाना, इस सभी को देखते हुए सेना एक ऐसे प्रमुख की तलाश में है जो ‘वफादार’ हो. रिपोर्टों से पता चलता है कि निर्विवाद रूप से वही एक वफादार हो सकते हैं जिसकी सेना तलाश कर रही है.

हालांकि, सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि सेना प्रमुख की नियुक्ति के लिए उनका वरिष्ठ होना ही एकमात्र कारण नहीं है बल्कि उनकी राजनीतिक विचारधारा भी नियुक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.

लेफ्टिनेंट जनरल अजहर अब्बास

लेफ्टिनेंट जनरल अजहर अब्बास मौजूदा समय में जीएचक्यू में चीफ ऑफ जनरल स्टाफ (सीजीएस) के रूप में कार्यरत हैं. उन्हें 1985 में बलूच रेजिमेंट की 41वीं बटालियन में कमीशन किया गया था. जनरल बाजवा भी इसी रेजिमेंट से हैं. वह इन्फैंट्री स्कूल, क्वेटा के कमांडेंट के रूप में काम कर चुके हैं. वह जनरल राहील शरीफ के निजी सचिव रहे हैं, जो नवंबर 2013 से नवंबर 2016 तक सेना प्रमुख थे.

लेफ्टिनेंट जनरल अब्बास ने मुरी में 12 इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली है और ज्वाइंट स्टाफ मुख्यालय के महानिदेशक के अलावा, संचालन निदेशालय में एक ब्रिगेडियर के रूप में भी काम किया है.

वह सितंबर 2019 से लेकर सितंबर 2021 तक 10वें कोर के कमांडर रहे. इसे सेना के एक प्रमुख डिवीजन के रूप में देखा जाता है क्योंकि यह भारत के साथ नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है.

लेफ्टिनेंट जनरल मिर्जा ने सितंबर 2021 में लेफ्टिनेंट जनरल अब्बास को 10 वें कोर के कमांडर के रूप में नियुक्त किया था.

पाकिस्तान सेना में शीर्ष जनरलों के अब तक के कैरियर पर नजर डालें तो, एक अधिकारी ने आमतौर पर एक कोर के कमांडर के रूप में कार्य किया है. लेकिन सेना प्रमुख के पद के लिए संभावित उम्मीदवार जनरल मिर्जा जीएचक्यू में चीफ ऑफ जनरल स्टाफ और डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन रह चुके हैं.

लेफ्टिनेंट जनरल मिर्जा और लेफ्टिनेंट जनरल अब्बास दोनों को ये रुतबा हासिल है.

हालांकि, सूत्रों ने बताया कि एक शिया मुस्लिम ने लंबे समय तक सीओएएस के रूप में काम नहीं किया है, तो यह लेफ्टिनेंट जनरल अब्बास की दावेदारी में एक बाधा के तौर पर काम कर सकती है.

लेफ्टिनेंट जनरल नौमान महमूद रजा

लेफ्टिनेंट जनरल नौमान महमूद रजा नवंबर 2021 से नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी (NDU) के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं.

मूल रूप से रावलपिंडी के अधवाल गांव के रहने वाले रजा को 1987 में बलूच रेजिमेंट की एक इन्फैंट्री बटालियन में नियुक्त किया गया था. लेफ्टिनेंट जनरल रजा ने पेशावर में कोर कमांडर, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) में रणनीतिक योजना वाली डिविजन के महानिदेशक और जीएचक्यू में दूरसंचार और सूचना तकनीक मामलों में महानिरीक्षक के रूप में कार्य किया है.

वह मिरानशाह में एक इन्फैंट्री डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) भी रहे है.

सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, संभावना है कि लेफ्टिनेंट जनरल रजा को एनडीयू में उनकी वर्तमान पोस्टिंग के कारण दरकिनार कर दिया जाए, लेकिन कोई भी पाकिस्तान के अगले सेना प्रमुख के रूप में उनकी दावेदारी को खारिज नहीं कर सकता है.

लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद

लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद, फिलहाल पेशावर में 11वें कोर के कमांडर के रूप में कार्यरत हैं. वह जून 2019 से अक्टूबर 2021 तक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख रहे हैं. हमीद बलूच रेजिमेंट से हैं और पाकिस्तान के पंजाब में चकवाल जिले के लतीफ़ल गांव से उनका संबंध है.

अफगानिस्तान में तालिबान के अधिग्रहण के बाद अक्टूबर 2021 में उन्हें 11वें कोर की जिम्मेदारी दी गई थी. अटकलें लगाई जा रही हैं कि तत्कालीन आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल हमीद को सेना प्रमुख बनाने की राह पर ले जाने के लिए ही उन्हें ये प्रभार सौंपा गया था.

लेफ्टिनेंट जनरल हमीद ने आईएसआई में आंतरिक सुरक्षा के महानिदेशक के रूप में भी काम किया है और सिंध में पन्नू अकील में 16 वें इन्फैंट्री डिवीजन की कमान भी संभाली है. उस समय वह एक प्रमुख जनरल थे.

जनरल बाजवा के साथ उनके संबंध काफी पुराने हैं. एक ब्रिगेडियर के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल हमीद ने जनरल बाजवा के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में कार्य किया था. बाजवा उस समय रावलपिंडी में 10वें कोर के साथ फील्ड कमांड ऑफिसर थे.

2019 में जानकारों ने अनुमान लगाया था कि जनरल बाजवा के कार्यकाल को बढ़ाने के बाद, लेफ्टिनेंट जनरल हमीद के सीओएएस के रूप में कार्यभार संभालने की संभावना और अधिक बढ़ जाएगी. लेकिन पाकिस्तान में हालिया राजनीतिक उथल-पुथल ने इस गणित को बिगाड़ दिया है.

प्रधानमंत्री नवंबर में अंतिम फैसला लेंगे

पाकिस्तान का संविधान प्रधानमंत्री को सेनाध्यक्ष नियुक्त करने का अधिकार देता है.

इन चार बड़े अधिकारियों को संभावित दावेदार के रूप में देखा जा रहा है लेकिन सूत्रों की मानें तो अंतिम निर्णय पीएम शहबाज शरीफ का ही होगा. सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि ऐसी स्थिति भी बन सकती है कि चुनाव कराए जाएं और जनरल बाजवा की सेवानिवृत्ति के समय शरीफ को कार्यवाहक प्रधान मंत्री घोषित किया जाए.

कुल मिलाकर दावेदारी को फैसले में बदलने में तीन महत्वपूर्ण कारक जिम्मेदार होंगे- सेवारत जनरलों द्वारा आम सहमति से प्रस्तावित उम्मीदवार, जनरल बाजवा की सिफारिश और वरिष्ठता सिद्धांत.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात की


 

share & View comments