मुंबई, 19 अप्रैल (भाषा) बढ़ते बाहरी झटकों और घरेलू जोखिमों के चलते पूंजी निकासी बढ़ने की आशंका से अगले कुछ महीनों के दौरान घरेलू वित्तीय हालात सख्त रहेंगे। क्रिसिल रेटिंग्स ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट में यह बात कही।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि उसका वित्तीय स्थिति सूचकांक (एफसीआई) मार्च में शून्य अंक से नीचे चला गया। इससे घरेलू वित्तीय स्थितियों में गिरावट का संकेत मिलता है।
इसके अलावा भारतीय स्टेट बैंक और अन्य प्रमुख बैंकों ने अपनी ऋण दरों में वृद्धि की है, जिससे कर्ज की लागत में वृद्धि होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि चालू खाते के घाटे (कैड) को कम करने और विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने के उपायों से देश किसी भी बाहरी झटके से निपटने में सक्षम रहेगा।
क्रिसिल ने कहा, ‘‘बढ़ते बाहरी झटकों और घरेलू जोखिमों के साथ भारतीय बाजारों से पूंजी निकासी बढ़ सकती है, जिसके चलते आने वाले महीनों में घरेलू वित्तीय हालात सख्त हो सकते हैं।’’
क्रिसिल का वित्तीय स्थिति सूचकांक नीति और उधारी शर्तों के साथ ही इक्विटी, ऋण, धन और विदेशी मुद्रा बाजारों के 15 प्रमुख मापदंडों का विश्लेषण करके भारत के वित्तीय हालात के बारे में हर महीने जानकारी देता है।
घरेलू जोखिमों में खासतौर से कच्चे तेल की कीमतों का जिक्र किया गया है, क्योंकि ये सकल घरेलू उत्पाद, मुद्रास्फीति, चालू खाते का घाटा और रुपये की चाल जैसे प्रमुख आर्थिक संकेतकों को प्रभावित करता है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अब तक रिजर्व बैंक की उदार मौद्रिक नीति से कुछ राहत मिली है, लेकिन बढ़ती मुद्रास्फीति और बाहरी जोखिमों के चलते केंद्रीय बैंक आने वाले दिनों में सख्ती करने को मजबूर होगा।
भाषा पाण्डेय अजय
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