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Friday, 22 November, 2024
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बोम्मई सरकार के लिए सिरदर्द बना ‘भ्रष्टाचार’, लिंगायत संत का दावा- ‘30% फंड्स’ घूस में जाता है

संत ने ये आरोप उस दिन लगाए जब सीआईडी के अधिकारी कलबुर्गी में भाजपा महिला विंग की पूर्व जिलाध्यक्ष की संपत्ति पर पुलिस रीक्रूटमेंट घोटाले के मामले में छापे मार रही थी.

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बेंगलुरू: कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार लगातार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर रही है. बीते दिनों ही वरिष्ठ भाजपा नेता केएस ईश्वरप्पा पर बेलगावी जिले के कांट्रेक्टर संतोष पाटिल ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था, जिसके बाद उनकी संदिग्ध आत्महत्या के कारण मृत्यु हो गई थी. वहीं रविवार को हिंदू संत ने सरकार और अधिकारियों पर कमीशन और घूस लेने का आरोप लगाया.

संत ने ये आरोप उस दिन लगाए जब क्राइम इनवेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (सीआईडी) के अधिकारी कलबुर्गी में भाजपा महिला विंग की पूर्व जिलाध्यक्ष की संपत्ति पर पुलिस रीक्रूटमेंट घोटाले के मामले में छापे मार रही थी वहीं उसी दिन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा होसपेट में राज्य कार्यकारिणी की बैठक कर रहे थे.

रविवार को गडग के ऐतिहासिक फकीरेश्वर मठ के दिंगालेश्वर स्वामी ने आरोप लगाया कि राज्य में धार्मिक संस्थानों तक को उनको मिले फंड्स में से 30 प्रतिशत घूस के तौर पर देना पड़ता है.

स्वामी ने दावा किया, ‘मैं ये अच्छी तरह जानता हूं. मठ को जो फंड्स आते हैं, जब तक वो संतों तक पहुंचता है उसमें से 30 प्रतिशत गायब हो चुका होता है. अधिकारियों ने मुझसे कहा है कि जब तक कुछ पैसे नहीं देंगे तब तक काम नहीं होगा. इस स्तर तक भ्रष्टाचार हो चुका है.’

400 साल पुराने धार्मिक संस्थान के लिंगायत संत, जो गडग में धार्मिक सद्भावना बनाए रखने में अग्रणी रहे हैं, ने ये बात कृष्णा-महादयी-नवाली संकल्प यात्रा के दौरान कही जिसका नेतृत्व कांग्रेस नेता एसआर पाटिल और किसान संगठन कर रहे हैं, ताकि उत्तर कर्नाटक में सिंचाई परियोजनाएं लागू हो सके.

ऊपर से नीचे तक कैसे फंड्स घूस के तौर पर चला जाता है, इस पर एक उदाहरण के साथ संत ने दावा किया, ‘अगर बेंगलुरू में एक आइसक्रीम दी जाती है, उसके हम तक पहुंचते-पहुंचते सिर्फ उसकी डंडी बचती है.’

दिंगालेश्वर स्वामी के आरोपों से राज्य में कांग्रेस को भाजपा पर निशाना साधने का अच्छा मौका मिल गया है, जो पहले से ही उसे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर घेर रही है.

सोमवार को सोशल मीडिया पर कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने कहा, ‘ये शर्मनाक है कि जो भाजपा धर्म की रक्षा का दावा करती है वही मठ और मंदिरों को मिलने वाले फंड्स का 30 प्रतिशत हिस्सा खा जाती है. 10 प्रतिशत की छूट क्यों? ये कैसे रक्षक हैं जो भगवान से भी कमीशन लेते हैं.’

संत के आरोपों पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने सोमवार को कहा, ‘दिंगालेश्वर स्वामी प्रतिष्ठित संत और महात्मा हैं….ये काफी नहीं है कि एक मठ का प्रमुख बयान जारी कर दे. अगर वो इस बारे में कोई जानकारी दें कि किसने उनसे कमीशन मांगी, किसे ये दी गई और कितनी दी गई, तो मैं ये भरोसा दिलाता हूं कि इस मामले की गहन जांच कराई जाएगी.’


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ईश्वरप्पा पर लगे आरोप

बीते कुछ हफ्तों में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सरकार पर सिर्फ संत द्वारा ही आरोप नहीं लगाए गए बल्कि वो पहले से ही भ्रष्टाचार के मसलों पर घिरे हुए हैं.

कर्नाटक में कांग्रेस पहले ही पिछले महीने हुई हिंदू वाहिणी के कार्यकर्ता और कांट्रेक्टर संतोष पाटिल की आत्महत्या को लेकर सवाल उठा रही है.

व्हाट्सएप मैसेज के जरिए पाटिल ने ईश्वरप्पा को अपनी मौत का जिम्मेदार बताया था.

अपनी मौत से कुछ हफ्ते पहले कांट्रेक्टर ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरीराज सिंह और केंद्रीय नेताओं को शिकायत की थी कि उन्हें हिंदलज गांव में सड़क का काम करने के एवज में चार करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया गया और ईश्वरप्पा पर आरोप लगाया कि उनके लोग भुगतान के लिए 40 प्रतिशत की कमीशन मांग रहे हैं.

इन आरोपों के बाद पिछले हफ्ते ईश्वरप्पा को बोम्मई सरकार से इस्तीफा देना पड़ा.


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‘हर घोटाले से भाजपा नेता और मंत्री का लिंक’

दिंगालेश्वर स्वामी ने आरोप उस दिन लगाए जब सीआईडी के अधिकारी भाजपा महिला विंग की पूर्व जिलाध्यक्ष से जुड़ी संपत्ति पर छापे मार रहे थे, जो कि पुलिस रीक्रूटमेंट घोटाले से संबंधित है.

पुलिस सब-इंस्पेक्टर रैंक के एंट्रेंस एग्जाम को लेकर बड़े स्तर के घोटाले की बात जब सामने आई तो गृह मंत्री अरगा ज्ञानेंद्र ने पिछले हफ्ते इन आरोपों पर सीआईडी की जांच बिठाई थी. रविवार को सीआईडी के अधिकारियों ने भाजपा महिला विंग की पूर्व जिलाध्यक्ष दिव्या हागरागी के कलबुर्गी स्थित घर पर छापा मारा. हालांकि हागरागी अब तक फरार है और सीआईडी ने इस घोटाले को लेकर उनके पति राजेश को गिरफ्तार किया है. ज्ञान जोशी एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन जिसका स्वामित्व हागरागी के पास है, वो इस कथित रीक्रूटमेंट घोटाले के केंद्र में है.

हागरागी के संस्थान में परीक्षा देने वाले एक उम्मीदवार जिसने सिर्फ 21 नंबर की परीक्षा लिखी थी, उसे 100 अंक मिलने के बाद सीआईडी इसकी जांच में लगी है. दायर प्राथमिकी में सीआईडी के अधिकारियों का कहना है कि कुछ उम्मीदवारों के नंबरों में हेरफेर की गई है.

करीब 52 हज़ार अभ्यर्थियों ने बीते अक्टूबर में 545 पीएसआई के पद के लिए परीक्षा दी थी. इस मामले में अब तक करीब सात लोगों की गिरफ्तारी हुई है, जिनमें चार अभ्यर्थी हैं वहीं तीन पर्यवेक्षक हैं. यहां तक कि भाजपा हागरागी से खुद को दूर कर रही है और बार-बार ये कह रही है कि वो पार्टी की सदस्य नहीं है. मुख्यमंत्री बोम्मई ने सोमवार को कहा कि जो भी इस कथित घोटाल में शामिल होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी.

सोमवार को बोम्मई ने कहा, ‘गहन जांच करने का आदेश दे दिया गया है ताकि ये पता चल सके कि किन सेंटर्स पर अनियमितताएं हुई हैं. अगर ये किसी और सरकार के कार्यकाल के दौरान होता तो वो इस पर पर्दा डालने की कोशिश करते. हमने सीआईडी को खुलकर काम करने को कहा है. जो भी दोषी होगा उस पर हम कड़ी कार्रवाई करेंगे.’

हालांकि इस बीच कांग्रेस ने इस ओर ध्यान दिलाया है कि हागरागी की नज़दीकी गृह मंत्री अरगा ज्ञानेंद्र से है.

कर्नाटक कांग्रेस के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने सोमवार को आरोप लगाया, ‘बोम्मई सरकार का नाम बदलकर ‘घोटाला सरकार’ कर देना चाहिए. हर घोटाले में देखा जाता है कि भाजपा नेता या किसी मंत्री का लिंक जरूर है. ‘पेपर माफिया’ के हाथों पुलिस सब-इंस्पेक्टर की परीक्षा में बैठे 70 हज़ार से ज्यादा युवा अभ्यर्थियों का भविष्य बेच दिया गया. फिर भी गृह मंत्री आरोपी के घर पर जाकर ‘नाश्ता’ कर रहे थे.’

कांग्रेस के आरोपों पर और कांग्रेस के सोशल मीडिया पर जारी हागरागी के घर पर उनकी हालिया बैठक की तस्वीरों पर ज्ञानेंद्र ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, ‘हम सार्वजनिक जीवन में हैं और सैकड़ों लोगों से मिलते हैं. हम मिलने से पहले किसी से सर्टिफिकेट नहीं मांगते कि कौन अच्छा है और कौन बुरा.’

 (इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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