नयी दिल्ली, 17 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि कोई अदालत शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञ की तरह काम नहीं कर सकती और यह तय करना संस्थानों पर छोड़ दिया जाना चाहिए कि कोई उम्मीदवार अपेक्षित योग्यता रखता है या नहीं।
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि नौकरी के विज्ञापन में उल्लिखित शैक्षणिक योग्यता से कोई विचलन नहीं हो सकता।
पीठ ने कहा, ‘‘शिक्षा के क्षेत्र में अदालत आम तौर पर किसी विशेषज्ञ के रूप में काम नहीं कर सकती, इसलिए यह तय करने की जिम्मेदारी शैक्षणिक संस्थाओं और यदि कोई विशेषज्ञ समिति मामले पर विचार कर रही हो, तो उसपर छोड़ देना बेहतर होगा कि कोई छात्र/उम्मीदवार अपेक्षित योग्यता रखता है या नहीं।’’
न्यायालय ने झारखंड के उच्च विद्यालयों में विभिन्न वर्गों के तहत अलग-अलग विषयों के लिए स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षकों के पद पर नियुक्ति की चयन प्रक्रिया के संबंध में झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।
शीर्ष अदालत ने कहा कि विज्ञापन के अनुसार उम्मीदवार के पास इतिहास में स्नातकोत्तर/स्नातक की डिग्री होनी चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘हमने संबंधित रिट याचिकाकर्ताओं के डिग्री/प्रमाणपत्र देखे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि संबंधित रिट याचिकाकर्ताओं ने इतिहास की शाखाओं में से किसी एक शाखा यानी प्राचीन भारत का इतिहास, प्राचीन भारत का इतिहास एवं संस्कृति, मध्यकालीन/आधुनिक इतिहास, प्राचीन भारत का इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व में से किसी एक में स्नातकोत्तर डिग्री/स्नातक डिग्री प्राप्त की है।’’
उसने कहा, ‘‘हमारे विचार में, इतिहास की किसी एक शाखा में डिग्री प्राप्त करना इतिहास में डिग्री प्राप्त करना नहीं कहा जा सकता। इतिहास के एक शिक्षक के रूप में उसे इतिहास के सभी विषयों, यानी प्राचीन इतिहास, भारतीय प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति, मध्यकालीन/आधुनिक इतिहास, प्राचीन भारत का इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व आदि सभी को पढ़ाना होगा।’’
पीठ ने कहा कि इसलिए इतिहास की केवल एक शाखा का अध्ययन करने और डिग्री प्राप्त करने को संपूर्ण इतिहास विषय की डिग्री के तौर पर नहीं देखा जा सकता, जो भर्ती के लिए अपेक्षित योग्यता है।
उसने कहा, ‘‘वर्तमान मामले में, अपेक्षित शैक्षणिक योग्यता का विज्ञापन में विशेष रूप से उल्लेख किया गया है। शैक्षणिक योग्यता की जानकारी देने वाले विज्ञापन और (इतिहास / नागरिक शास्त्र में ) जिस पद के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे, उनमें कोई अस्पष्टता और / या भ्रम नहीं है।’’
भाषा सिम्मी दिलीप
दिलीप
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