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Thursday, 21 November, 2024
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ऐसा प्यार जिसकी चुकानी पड़ती है कीमत: कैसे डेटिंग ऐप्स बन रहे हैं लूट के साधन

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प्रेम की आशा और धारा 377 के बीच फंसे यौन दुर्व्यवहार के पीड़ित ग्राइंडर पर पैसा वसूली के मामले में पुलिस के पास जाने के बजाय चुप रहने का विकल्प चुनते हैं।

नई दिल्ली: एक शुक्रवार की शाम को, राकेश (बदला हुआ नाम) कालकाजी डिपो में घबराये हुए इधर से उधर, चक्कर लगा रहे थे। उन्होंने एकदम ताजा और कड़क प्रेस की हुई अपनी पसंदीदा धारीदार नीली शर्ट पहनी हुई थी। वह नये संदेशों के लिए अपने फ़ोन को बार-बार चेक कर रहे थे। वह एक विशेष शाम थी। राकेश एक महीने पहले ग्राइंडर पर मिले एक पुरुष के साथ पहली डेट पर थे।

राकेश की ही तरह अधिकांश गुप्त समलैंगिक डेटिंग ऐप्स पर पार्टनर्स की तलाश करते हैं। भारत जैसे एक देश में जहां समलैंगिकता एक अपराध है और भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत दंडनीय है वहां समलैंगिक सहभागी की तलाश करना एक बुरा सपना हो सकता है। कानून द्वारा लगातार धमकाए गये अस्त-व्यस्त एलजीबीटीक्यू समुदाय के लिए अपने जैसे लोगों की तलाश के लिए इन्टरनेट सर्वोत्तम विकल्प है। डेटिंग ऐप्स विकल्पों की विस्तृत श्रृंखला खोलते हैं। ग्राइंडर, एक डेटिंग ऐप, भारत के समलैंगिक समुदाय को एक साथ लाया है।

लेकिन राकेश की डेट की रात उनकी उम्मीदों से एकदम अलग थी। डेट पर आने वाला उनका पुरुष मित्र कुछ मिनट देरी से आया और विनम्रतापूर्वक उनका अभिवादन किया। उन्होंने भय में याद करते हुए बताया, “मैं उम्मीद कर रहा था कि वह मुझे एक अच्छे कैफे या रेस्तरां में ले जायेगा। लेकिन वह मुझे किसी अनजान जगह पर ले गया और अचानक से पैसों की मांग करने लगा। मैं दंग रह गया। मेरे द्वारा पैसे न देने पर उसने मुझे पीटने के लिए अपने साथियों को बुलाने की धमकी दी।”

पैसे ऐंठने के बाद वह उन्हें एक रेस्तरां में ले गया और उनके लिए नूडल्स और कोक मंगवाई। जब राकेश ने खाने से मना किया तो उन्हें जबरन खाने के लिए कहा गया।

राकेश के कहा, “सारी की सारी चापलूसी दुबारा शुरू हुई। मैं पूरी तरह से असहज था और अपना खाना निगल नहीं सकता था। उसने, जो मंगाया था उसे खाकर ख़त्म करने के लिए मुझे मजबूर किया। मैंने शारीरिक शुष्कता और मानसिक तोड़-मरोड़ को मसहूस किया।”

हालाँकि यह घटना कई पुलिस चेक पोस्टों वाले एक व्यस्त बाजार में हुई थी लेकिन राकेश पुलिस से संपर्क करने में संकोच कर रहे थे। उन्होंने कहा, पुलिस की मदद लेना मेरे दिमाग में आखिरी चीज़ थी। “मुझे पक्का पता था कि एक ऐसे देश में जहाँ समलैंगिकता एक अपराध है वहां ऐसी चीजें करने के लिए उन्होंने मुझे मारा होता।”

साइबर अपराध डीसीपी अन्येश रॉय ने कहा कि उनके सामने ऐसे मामले कभी नहीं आये हैं। रॉय ने कहा, “यदि ऐसा कोई मामला आता है तो निश्चित रूप से हम एक रिपोर्ट दर्ज करेंगे और जांच करना शुरू करेंगे। हमारे लिए पहले वह एक पीड़ित है।”

उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से इंकार किया कि क्या शिकायतकर्ता को धारा 377 के तहत आरोपित किया जायेगा या नहीं।

उन्होंने कहा, “ऐसे मामलों के कानूनी पहलू पर आप मुझसे टिप्पणी की उम्मीद नहीं कर सकते।”

ग्राइंडर का काला पहलू समलैंगिक समुदाय द्वारा एक सही मिलन खोजने के ख़याली पुलाओ से कहीं अलग है। अनामिता अक्सर धोखेबाजों द्वारा असली उपयोगकर्ताओं को ठगे जाने की इज़ाज़त देती है। परिणाम होता है यौन हमलों, ब्लैकमेलिंग और लूट का दु:खद अनुभव।

दि नाज़ फाउंडेशन की संस्थापक और कार्यकारी निदेशक अंजलि गोपालन ने कहा कि ग्राइंडर पर ब्लैकमेलर अक्सर फर्जी पहचान वाले होते हैं। उन्होंने कहा, “ऐसे कई मामले हैं जहाँ पुरुषों को लुभाने के लिए छेड़छाड़ की गयी तस्वीरों का उपयोग हुआ है।

अली अहमद फराज ने अपने बॉयफ्रेंड प्रेम (बदल हुआ नाम) को लेकर एक चौंकाने वाली घटना सुनाई। प्रेम अपने जैसे लोगों को खोजने की उम्मीद में ग्राइंडर में शामिल हुए थे। वह एक ऐसे व्यक्ति से मिले जिसकी रूचि उनके साथ मेल खाती थी। जल्द ही, उस आदमी द्वारा प्रेम को गोल मार्केट, दिल्ली के पास एक पेट्रोल पंप पर डेट के बहाने से बुलाया गया। अनौपचारिक बातचीत के एक घंटे बाद प्रेम ने वहाँ से निकलने का निर्णय लिया क्योंकि देर हो रही थी। जैसे ही वह उठे, सभी अच्छी बातें बदजुबानी और गाली-गलौज की श्रृंखला में बदल गईं।

जैसे ही प्रेम वहाँ से बाहर निकले उन पर हमला कर दिया गया।

अली ने बताया, “दो पुरुषों ने उन पर पीछे से घात लगाकर हमला किया। उन्हें एक निर्जन (एकांत) पार्क में ले जाया गया जहाँ उन्होंने उनके हाथों को बांध दिया और उनका मुँह बंद कर दिया। उन्होंने उनका पूरा पैसा छीन लिया। अंत में उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया।”

अली ने आगे बताया, “प्रेम पुलिस से शिकायत नहीं कर सकते थे। कानून के मुताबिक, हम पीड़ित नहीं हैं बल्कि अपराधी हैं।”

हालांकि, यह घटना प्रेम को ग्राइंडर का उपयोग करने से रोक नहीं पाई। बल्कि प्रेम और अली की मुलाकात ग्राइंडर पर ही हुई थी।

हमसफर जैसे एनजीओ समाज से ब्लैकमेल और यौन उत्पीड़न के पीड़ितों के लिए परामर्श सत्र प्रदान करते हैं। हमसफर ट्रस्ट के कार्यक्रम अधिकारी गौतम यादव ने कहा, “हम लोगों को बात करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं भले ही उन्होंने पुलिस से अपने साथ हुए अपराध की शिकायत न की हो। हम आगे की मदद के लिए उनकी कहानियों को लिखते हैं।”

यश (बदल हुआ नाम) जब ग्राइंडर से जुड़े तो वह दोस्तों को पाने की, कुछ अर्थपूर्ण वार्तालाप करने की या यहाँ तक कि प्यार की भी उम्मीद कर रहे थे। उन्होंने एक बूढ़े आदमी से बात करना प्रारंभ कर दिया। वे हर रात सोने से पहले बात करते। एक दिन यश उस व्यक्ति के घर पर चले गये। यश ने कहा, “मैं सिर्फ हमारे मिलने के बारे में सोच रहा था। एक बार जब मैं वहाँ गया तो उसने मुझे अनुपयुक्त रूप से स्पर्श करना शुरू कर दिया। उसने मेरी जांघों को सहलाया। मैं बहुत असहज हो गया लेकिन कहा कुछ भी नहीं। फिर उसने मुझे चूम लिया और मैं बस अवाक रह गया।”

यश ने कहा कि वह ऐसी परिस्थितियों में बेहोश हो जाते हैं क्योंकि उनके साथ बचपन में कई बार बलात्कार हो चुका है।

वह उन डरावने पलों को याद करते हैं, “फिर उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने बेडरूम में ले गया। उसने अपनी पैंट निकाल दी और मेरे  भी कपड़े उतारने शुरू कर दिए, लेकिन मैं इसे और बर्दास्त नहीं कर सका। मैं उठा और सचमुच भाग गया।”

यश अब ग्राइंडर पर रिश्तों की तलाश नहीं करते हैं। यश ने कहा, “लेकिन कभी-कभी मुझे समुदाय के लोगों से बात करने में आनंद मिलता है। वास्तव में मैं चार साल से एक भी व्यक्ति के साथ डेट पर नहीं गया हूँ।”

वह पुलिस पर भरोसा करना बहुत पहले बंद कर चुके हैं। उन्होंने कहा, “शायद धारा 377 की वजह से अधिकारियों ने मुझे कभी परेशान नहीं किया। मैंने महसूस किया कि वे इसे हँसी में उड़ा देते, बजाय इसके कि शायद वे मुझे अन्दर करते।”

ग्राइंडर ने इस लेख को प्रकाशित करने के समय तक टिप्पणी के लिए बार बार किये गये अनुरोधों का जवाब नहीं दिया था।

Read in English : Behind Grindr India lies a world of sexual assualt, rape and blackmail

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