ठाणे, 15 अप्रैल (भाषा) ‘महाराष्ट्र एवं गोवा विधिज्ञ परिषद’ (बीसीएमजी) द्वारा आयोजित सम्मेलन में वक्ताओं ने पूरे भारत की विधिज्ञ परिषदों में महिलाओं के आरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया।
बीसीएमजी के पूर्व अध्यक्ष एवं सदस्य वकील गजानन चव्हाण ने बृहस्पतिवार को आयोजित कार्यक्रम में महिलाओं के सामने आनी वाली समस्याओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि महिला अधिवक्ताओं, वादियों और न्यायाधीशों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने देश भर की विधिज्ञ परिषदों में महिलाओं के लिए आरक्षण की वकालत की।
उन्होंने कहा कि सरकार को विधिज्ञ परिषदों में महिलाओं को आरक्षण देने के लिए कानून और संविधान में संशोधन करना चाहिए और उनके लिए कम से कम तीन सीट आरक्षित की जानी चाहिए।
‘भारतीय विधिज्ञ परिषद’ के उपाध्यक्ष एस प्रभाकरन ने इस दौरान कहा कि देश में हर उस जगह स्थिति समान है, जहां अदालतें बुनियादी ढांचे की सुविधाओं के संदर्भ में पिछड़ी हुई हैं।
इस दौरान, महाराष्ट्र के मंत्री उदय सामंत ने बीसीएमजी के लिए ठाणे में एक भूखंड की पेशकश की और कहा कि मुंबई में एक कानून विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए भी जमीन की पेशकश की जा रही है।
केंद्रीय राज्य मंत्री कपिल पाटिल ने कहा कि वह सम्मेलन में उठाए गए मुद्दों को निश्चित रूप से हल करेंगे।
भाषा सिम्मी नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.