नयी दिल्ली, 13 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को पटना उच्च न्यायालय के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर एक आयुर्वेदिक कॉलेज के शिक्षकों की सेवाओं को समाप्त करने संबंधी बिहार सरकार के फैसले को बरकरार रखा गया था।
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि बिहार निजी चिकित्सा (भारतीय चिकित्सा प्रणाली) कॉलेज (टेकिंग ओवर) अधिनियम, 1985 के तहत राज्य सरकार द्वारा भोजपुर जिले में उनके निजी आयुर्वेदिक कॉलेज को अपने अधिकार क्षेत्र में लेने के बाद शिक्षकों की सेवाओं को नियमित कर दिया गया था।
पीठ ने कहा, ‘‘हमारे विचार में, उच्च न्यायालय ने आक्षेपित निर्णय के तहत अधिसूचना के साथ अधिनियम 1985 की योजना को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है।’’ पीठ ने कहा, ‘‘यह उच्च न्यायालय द्वारा की गई स्पष्ट त्रुटि थी, जो हमारे विचार में, कानून रूप से टिकने योग्य नहीं है और इसे खारिज किया जाना चाहिए।’’
पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ भोजपुर जिले के बक्सर के श्री धनवंतरी आयुर्वेद कॉलेज के पांच शिक्षकों की अपील को स्वीकार कर लिया, जिन्होंने एक स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट पर विचार किया था।
समिति ने शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों सहित कुछ कर्मचारियों को 1985 के कानून के तहत सेवाओं के नियमितीकरण के लिए अनुपयुक्त माना था।
पांच अपीलकर्ता, जो आयुर्वेद में डिग्री धारक थे, को 1978-79 में व्याख्याता के रूप में नियुक्त किया गया था और बाद में उन्हें रीडर/प्रोफेसर के रूप में पदोन्नत किया गया और 1985 के राज्य कानून के तहत उनकी सेवाएं नियमित हो गईं।
बाद में, स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर अपीलकर्ताओं की सेवाएं समाप्त कर दी गईं और उच्च न्यायालय ने निर्णय को बरकरार रखा।
भाषा देवेंद्र माधव
माधव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.