पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि कासिम को 18 गंभीर चोटें आयीं थीं – उनकी पसलियों को तोड़ दिया गया था और उनके कंधे, घुटने और सिर पर काटे जाने के गहरे घाव थे।
हापुड़: पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक 45 वर्षीय मवेशी व्यापारी मोहम्मद कासिम पर संदिग्ध गौरक्षकों द्वारा एक घंटे से अधिक समय तक हमला किया गया – उनके शरीर को पेचकश से छेदा गया और खाल को दरांती से कुरेदा गया।
दिप्रिंट द्वारा प्राप्त की गयी कासिम की पोस्टमार्टम रिपोर्ट एक भयावह तस्वीर चित्रित करती है कि किस प्रकार वह एक भीड़, जिसने उन पर गौहत्या का संदेह किया था, द्वारा पीटे गए थे।
रिपोर्ट के मुताबिक कासिम, जिन्हें अस्पताल ले जाया गया, को चिकित्सा परीक्षक के अनुसार पैरों, बाहों और घुटनों में भीतरी चोट के साथ-साथ 18 गंभीर चोटें आयीं थीं। उनकी पीठ कई जगह छिली हुई थी और उनके कंधों, घुटनों, पेट के पास, और सिर पर काटे जाने के गहरे निशान थे। मौत का कारण था सदमा और रक्तस्राव।
सरस्वती अस्पताल, जहाँ कासिम का पोस्टमार्टम हुआ था, के एक डॉक्टर ने दिप्रिंट को बताया, “ऐसा लगता है कि उन्हें किसी भारी चीज से पीटा गया था और धातु की तेज धार वाली किसी चीज से हमला किया गया था जब तक कि वह अचेत नहीं हो गए। उनकी मौत एक बहुत बड़े सदमे के कारण हुई।”
डॉक्टर ने आगे कहा, “यह भी दिखाई देता है कि उन्हें कई भीतरी चोटें भी आयीं थीं…उनके गुप्तांगो पर। उनके गुप्तांग पर कई ऐसे रगड़ के निशान थे जो लातों से किए गये हमलों की तरफ इशारा कर रहे थे।
बझेड़ा खुर्द गाँव में हमले की जगह के समीप अपने खेत में काम कर रहे एक बुज़ुर्ग किसान समाइउद्दीन ने कासिम की मदद करने की कोशिश की लेकिन वह भी भीड़ द्वारा पीटे गये।
हमले के एक तथाकथित वीडियो से पता चलता है कि हमलावर किसान से कैमरे पर यह कबूल करने के लिए कहते हैं कि वह गाय काटने के लिए निकला था। समाइउद्दीन के सामने, एक आदमी उनकी दाढ़ी खींचता है और थप्पड़ मारता है, सिर से खून बह रहा होता है और अंततः कासिम वही कहते हैं जो उन्हें कहने के लिए कहा जाता है।
समाइउद्दीन, हमले में कथित तौर पर जिनकी कई हड्डियाँ टूटीं, हापुड़ के एक अस्पताल में आईसीयू में हैं।
‘घृणा से भी परे’
कासिम की मौत ने उनकी पत्नी को आय या बचत के किसी भी स्रोत के बिना पांच बच्चों को पालने और बचाने की जिम्मेदारी के साथ अकेला छोड़ दिया है। उनका पारिवारिक घर एक किराये का कमरा है जो इतना बड़ा है कि उसमें सिर्फ एक चारपाई और दो कुर्सियां ही पड़ सकती हैं।
जब वह 18 जून को मवेशी खरीदने के लिए घर से निकले थे, तो कासिम ने दो घंटे में वापस आने का वादा किया था। कुछ घंटों बाद, पुलिस के बजाय गाँव के पड़ोसियों ने कासिम की पत्नी और भाई को उनकी मृत्यु के बारे में सूचित किया। उन्हें बताया गया कि वहां हाथापाई हुई और कासिम को चोटें आयीं।
उन्हें “हाथापाई” का असली रूप तब देखने को मिला जब हमले का वीडियो वायरल होना शुरू हुआ। “कासिम जमीन पर बैठे हैं, खून बह रहा है, पानी मांग रहे हैं, जबकि 20 अन्य लोग….उन्हें गलियां दे रहे हैं, सवाल पूछ रहे हैं, जिसने हमें आहत किया है। कासिम के साले इरफ़ान ने कहा, “काश मैं उनकी मदद के लिए वहां होता। इतना कुछ हो गया और पुलिस ने हमें कुछ भी बताने की परवाह नहीं की।”
उन्होंने आगे कहा, 18 जून को कासिम की हत्या के बाद से एक सप्ताह गुजर चुका है लेकिन उनके परिवार को पोस्टमार्टम रिपोर्ट की कॉपी अभी तक नहीं मिली है।
इरफ़ान ने कहा, “जब हमने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए पुलिस से पूछा तो उन्होंने कहा कि यह मुहरबंद लिफाफे में था और हमें इसे प्राप्त करने के लिए अलग से आवेदन करना होगा। वे क्या छिपाने की कोशिश कर रहे हैं?”
आगे उन्होंने कहा, “हमने उनके शरीर को देखा था। उनके शरीर पर एक भी ऐसी जगह नहीं थी जहाँ जख्म नहीं थे। पिटाई से उनका शरीर काला और नीला पड़ गया था, उन्हें खरोंचा और घोंपा गया था। इतनी नफरत क्यों? सिर्फ एक अफ़वाह पर?”
“वे कहते हैं कि यह एक सामान्य हाथापाई थी और एक घृणावश एक अपराध नहीं था। क्या एक सामान्य हाथापाई में कोई व्यक्ति इस तरह पीटा जाता है? यह कुछ ऐसा है जो घृणा से भी परे है।”
एफआईआर में ‘गौकसी’ की अफवाह का जिक्र नहीं
एफआईआर हमले की जड़ की पहचान एक सड़क दुर्घटना के रूप में करती है। इसके मुताबिक जब समाइउद्दीन और कासिम अपने गाँव के रास्ते पर थे, तब एक मोटरसाइकिल ने कासिम को टक्कर मारी। इसमें यह भी लिखा है कि जब उन्होंने विरोध किया तो वह मोटरसाइकिल सवारों द्वारा पीटे गये, जिन्होंने 20-25 और लोगों को बुला लिया।
एफआईआर के मुताबिक, उसके बाद दोनों पर पूरी भीड़ द्वारा हमला किया गया। इसमें यह भी जिक्र है कि इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और उन दोनों को अस्पताल ले गई।
हालाँकि पिलखुवा पुलिस स्टेशन में एफआईआर से पहले डायरी एंट्री एक अलग कहानी बताती है। इसके अनुसार, अज्ञात पुरुषों ने दोनों को घेर लिया था और पिटाई की थी। इसमें समाइउद्दीन को बाइक द्वारा टक्कर मारे जाने का कोई उल्लेख नहीं है और सड़क दुर्घटना का कोई सन्दर्भ नहीं है। एफआईआर 25 अज्ञात संदिग्ध लोगों के नाम है जिन्हें हत्या, हत्या के प्रयास और दंगों के लिए दर्ज किया गया है।
पुलिस ने इस मामले में तीन गिरफ्तारियां की हैं, युधिष्ठिर सिंह, राकेश सिसोदिया और कन्नू, लेकिन दो मोटरसाइकिल सवार, कथित तौर पर जिनके साथ हाथापाई शुरू हुई थी, फरार हैं। तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जा चुका है क्योंकि एक वायरल फोटोग्राफ ने उन्हें अभियुक्त, जिन्होंने कासिम को घसीटा था, की सुरक्षा करते हुए दर्शाया था।
हालाँकि, दो परिवारों द्वारा तथाकथित घृणित अपराध के नज़रिए का जिक्र न तो एफआईआर में है और न ही डायरी की एंट्री में है, भले ही प्रकरण के वीडियो कथित रूप से दर्शाते हों कि भीड़ कासिम को गौकसी के लिए अपराधी ठहरा रही थी।
कासिम के भाई सलीम ने कहा, “पुलिस देख सकती है कि वीडियो में लोग कासिम का नाम लेते हुए उन्हें पीट रहे हैं। एक मुस्लिम, कसाई, जो गायों को काटता है, होने के लिए उन्हें गलियां दे रहे हैं।
उन्होंने आगे बताया, “एक आदमी भीड़ में कहता है कि कासिम को पानी पिला दो, मर जाएगा। बहुत पीट लिया, उसे सजा मिल गई। यहाँ मर गया तो मामला उल्टा पड़ जाएगा, लेकिन कोई नहीं सुनता है।”
सलीम ने कहा, “वास्तव में, वे पुलिस की उपस्थिति में कासिम को खेत से बाहर घसीटते हैं।”
उन्होंने आगे बताया, “कासिम एक कसाई भी नहीं थे। उन्होंने पशुओं का व्यापार किया था। पुलिस को कोई पशु अवशेष, छुरा या ऐसा कुछ भी नहीं मिला था जो यह संकेत देता हो कि वे एक गाय को मारने वाले थे। हमने अपना भाई सिर्फ इसलिए खो दिया क्योंकि कुछ कट्टरपंथियों ने सोचा कि चूंकि वह एक मुस्लिम थे, इसलिए वह वहां एक गाय को मारने वाले थे।”
हापुड़ पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा ने दिप्रिंट को बताया कि वे इस मामले की वीडियो का संज्ञान ले रहे हैं और यदि जरूरत पड़ती है, तो अपनी कानूनी टीम से परामर्श के बाद एफआईआर में उचित धारा जोड़ देंगे।
उन्होंने कहा, “लड़ाई अचानक उकसावे के साथ शुरू हुई और इसका कोई सांप्रदायिक रुख नहीं था। हमने एक इंस्पेक्टर सहित तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है, जिन्होंने लोगों द्वारा कासिम को चारों ओर घसीटने दिया था। हम मानते हैं कि यह एक बहुत ही असंवेदनशील भाव था।”
शर्मा ने कहा, “हमने उन वीडियोज़ में शामिल लोगों की पहचान करने और गिरफ्तारी करने के लिए तीन टीमों का गठन किया है।”
‘जबरन बयान‘
कासिम के भाई सलीम, और इरफान ने कहा कि वे उन लोगों के खिलाफ शिकायत के साथ पुलिस से संपर्क कर चुके थे, जिन्हें वे वीडियो में पहचान सकते थे, लेकिन उन्हें वापस कर दिया गया क्योंकि समाइउद्दीन के भाई यासीन की शिकायत पर पहले से ही प्राथमिकी दर्ज कर ली गई थी।
सलीम ने कहा कि, “हमारे भाई की निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई। हमारे पास वीडियोग्राफिक सबूत हैं कि उन्हें पीटा गया था लेकिन वे शिकायत दर्ज करने से इंकार कर रहे हैं … उन्होंने जो प्राथमिकी दर्ज की है वह वास्तविकता से बहुत दूर है।”
यासीन सलीम की बात से सहमत हैं और उन्होंने यह दावा किया है कि एफआईआर उनके बयान पर आधारित नहीं थी।
“पुलिस ने एक कहानी तैयार की और शिकायत लिख ली। यह वह नहीं है जो मैंने उन्हें बताया था। जब मैंने इसका विरोध किया, तो मुझे बताया गया कि जाँच के दौरान तथ्यों को देखा जा सकता है और मेरा बयान मात्र प्रारंभिक कागजी कार्य के लिए था।
यासीन के अनुसार, आईसीयू में समाइउद्दीन के बयान को रिकॉर्ड करने वाले पुलिसकर्मियों ने एक पेपर पर उनके अंगूठे की छाप उस समय ली जब वह बयान देने की अवस्था में नहीं थे।
समाइउद्दीन के भतीजे गुलाम मोहम्मद ने कहा, “उनके दोनों अंगूठों पर स्याही लगी हुई थी। उन्होंने कुछ कागजों पर उनके अंगूठों की छाप ली। हम यह भी नहीं जानते कि यह कौन सा पेपर था। समाइउद्दीन निश्चित रूप से कोई भी बयान देने की अवस्था में नहीं हैं। चूंकि वह एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी हैं, इसलिए उनका बयान महत्वपूर्ण है।” पुलिस ने आरोपों का खंडन किया है।
‘जाहिर है उसकी पिटाई होगी‘
इस बीच, बझेड़ा खुर्द बंटा हुआ है, कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि उनको इस घातक हमले में कुछ भी गलत नहीं लगता है।
एक अधेड़ उम्र की महिला ने कहा कि, “सबसे पहली बात तो यह है कि वह (कासिम) गौकशी का कारोबार करता ही क्यों था? तो जाहिर है उसकी पिटाई होगी। फिर भी उसको ज्यादा नहीं पीटा गया केवल उतना ही पीटा गया जितनी पिटाई के वह लायक था।“
जब इसके बारे में विस्तार से पूछने पर कि 18 जून को क्या हुआ था तो उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया और चली गयीं। उन्होंने कहा, “वीडियो उपलब्ध हैं, आप उन्हें देख सकते हैं।“
चार वीडियो में 30 से अधिक लोग कासिम को घेरे हुए दिखाई देते हैं जिसमें बच्चे भी शामिल हैं, लेकिन पुलिस को अभी तक एक भी प्रत्यक्षदर्शी नहीं मिला है।
एसपी शर्मा ने कहा कि, “हम अभी तक गवाह ढूंढ नहीं पाए हैं, इसलिए अभी तक कोई बयान दर्ज नहीं किया गया है। स्थानीय लोग बोलने से डरते हैं।“
उन्होंने आगे कहा कि अब हम कासिम के आस-पास के लोगों की शिनाख्त करने के लिए वीडियो की मदद ले रहे हैं, जिनमें से कुछ से हम बयान लेने के लिए संपर्क करेंगे। हम समाइउद्दीन के स्वास्थ्य में सुधार होने की प्रतीक्षा भी कर रहे हैं, ताकि हम उनका बयान दर्ज कर सकें।
इस दौरान कासिम का परिवार उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ एक अलग शिकायत दर्ज कराने की योजना बना रहा है, जिन्हें फोटो में कथित तौर पर कासिम के शरीर के साथ अनुचित व्यवहार करते हुए देखा गया था।
सलीम का कहना है कि उनका निलंबन पर्याप्त नहीं है। उन्हें बस कुछ ही हफ्तों के लिए पुलिस लाइन में भेज दिया गया है। “हम उनके निष्कासन और गिरफ्तारी की मांग करते हैं।“
सलीम ने आगे कहा, “उन्होंने अपराधी द्वारा मेरे भाई के शरीर को कई मीटर तक घसीटने दिया और फिर वे दावा करते हैं कि वे उन्हें अस्पताल ले गए। किसी ने भी उन्हें पानी की एक बूंद तक नहीं दी। वे सब वहां खड़े होकर मुस्कुराते रहे, यह एक शर्म की बात है कि वे खुद को पुलिस अधिकारी कहते हैं।
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