प्रयागराज, 12 अप्रैल (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि किशोर की आयु का निर्धारण करते समय ड्राइविंग लाइसेंस और मतदाता पहचान पत्र को ध्यान में नहीं रखा जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने बुलंदशहर के विशेष न्यायाधीश (पोक्सो अधिनियम) के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें नौशाद अली द्वारा खुद को किशोर घोषित करने के लिए दाखिल अर्जी खारिज कर दी गई थी। नौशाल अली पर पॉक्सो कानून के तहत मामला दर्ज है।
निचली अदालत ने कहा था कि घटना के समय नौशाद अली बालिग था क्योंकि उसकी जन्म तिथि सात अप्रैल, 1994 है।
नौशाद अली के वकील ने दलील दी कि नौशाद ने यूपी बोर्ड से 2015 में हाईस्कूल की परीक्षा पास की थी और प्रमाण पत्र में उसकी जन्म तिथि चार मार्च, 2001 है, लेकिन अदालत ने इस पर विचार नहीं किया।
गत शुक्रवार को संबंधित पक्षों की दलील सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने कहा, “विशेष न्यायाधीश (पोक्सो अधिनियम) ने अपीलकर्ता के लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस और मतदाता पहचान पत्र पर भरोसा कर कानूनन गलती की है क्योंकि एक किशोर की आयु का निर्धारण करते समय इनमें से किसी भी दस्तावेज पर विचार नहीं किया जाना चाहिए।”
उच्च न्यायालय ने कहा, “जब हाईस्कूल के प्रमाण पत्र में अपीलकर्ता की आयु का उल्लेख है जो विशेष न्यायाधीश (पोक्सो अधिनियम) के समक्ष उपलब्ध है तो उन्हें हाईस्कूल के प्रमाण पत्र को ध्यान में रखने के बाद आयु का निर्धारण करना चाहिए, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और ऐसे दस्तावेजों पर भरोसा करते हुए किशोरावस्था के दावे का गलत ढंग से खारिज कर दिया जिन्हें किशोर न्याय कानून में वर्गीकृत नहीं किया गया है।”
भाषा सं राजेंद्र राजकुमार
राजकुमार
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