नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह यहां 12-13 अप्रैल को प्रस्तावित नई सहकारिता नीति पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे।
नई नीति का उद्देश्य सहकारी समितियों की पहुंच को जमीनी स्तर तक बढ़ाना और सहकारी क्षेत्र को मजबूत करना है। इस नयी नीति को चालू वित्त वर्ष के अंत तक अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘सहकारिता मंत्रालय को विभिन्न अंशधारकों से प्रस्तावित नीति पर 54 टिप्पणियां प्राप्त हुई हैं। अगले सप्ताह सम्मेलन के दौरान राज्य सरकारों के साथ पहले दौर की चर्चा होगी।’’
एक सरकारी बयान में कहा गया है कि मंत्रालय विभिन्न पक्षों के साथ इस तरह के अनेकों सम्मेलनों की एक श्रृंखला आयोजित करने जा रहा है । उसी के तहत यह पहला सम्मेलन है। दूसरे चरण में सरकार सहकारी संघों और यूनियनों के साथ चर्चा करेगी।
बयान में कहा गया है, ‘‘ये प्रयास देश में ‘सहकार से समृद्धि’ के मंत्र को साकार करने के लिए देश में सहकारी आधारित आर्थिक मॉडल को मजबूत करने के लिए एक नई मजबूत राष्ट्रीय सहकारी नीति तैयार करने में परिणत होंगे।’’
डीआरडीओ भवन में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में सहकारिता राज्य मंत्री बी एल वर्मा, 26 राज्यों, केंद्रीय मंत्रालयों और राष्ट्रीय सहकारी निकायों के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे।
मंत्रालय के अनुसार, सम्मेलन छह व्यापक विषयों पर विचार करेगा: इसमें वर्तमान कानूनी ढांचा, नियामक नीति, परिचालन बाधाएं और उन्हें हटाने के लिए आवश्यक उपाय; शासन को मजबूत करने के लिए सुधार; बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी का सुदृढ़ीकरण; नई सहकारी समितियों के साथ-साथ सामाजिक सहकारी समितियों को बढ़ावा देने के अलावा प्रशिक्षण और शिक्षा जैसे विषय शामिल हैं।
देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए जुलाई 2021 में नया सहकारिता मंत्रालय बनाया गया था।
मंत्रालय ने देश में सहकारिता आंदोलन को और मजबूत करने के लिए कई कदम उठाये हैं। उसमें प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पीएसी) का डिजिटलीकरण, सहकारी समितियों का एक राष्ट्रीय ‘डाटाबेस’ बनाना, सहकारी शिक्षा और प्रशिक्षण की योजना शामिल हैं।
भाषा राजेश राजेश रमण
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