scorecardresearch
Sunday, 29 September, 2024
होमदेशमहज अलग-अलग व्यवहार को समानता के मूल अधिकारों के प्रतिकूल नहीं कहा जा सकता :न्यायालय

महज अलग-अलग व्यवहार को समानता के मूल अधिकारों के प्रतिकूल नहीं कहा जा सकता :न्यायालय

Text Size:

नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि यदि दो समूह हों और उनके बीच तार्किक वर्गीकरण किया जाए, तो महज अलग-अलग व्यवहार को समानता के मूल अधिकारों के प्रतिकूल नहीं कहा जा सकता है।

शीर्ष न्यायालय ने कहा, ‘‘एक रजिस्ट्रार के साथ लेक्चरर जैसा व्यवहार करने का कोई कारण नहीं है।’’

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम सुंदरेश की पीठ ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के एक आदेश को रद्द करते हुए यह कहा।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश के जरिये राज्य सरकार को कुमाऊं स्थित एक राज्य विश्वविद्यालय के एक कुलसचिव (रजिस्ट्रार) को लेक्चरर जैसा मानते हुए उन्हें बढ़ा हुआ वेतन देने का राज्य सरकार को निर्देश दिया था।

भाषा सुभाष पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments