नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) भारत ने खेल में डोपिंग उन्मूलन के लिए यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन ) कोष में पिछले वर्ष की तुलना में दोगुना से अधिक 72,124 डॉलर का अंशदान दिया है।
पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) पर जारी बयान के मुताबिक, ‘‘ भारत सरकार के युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय ने 2022 में ‘यूनेस्को फंड फॉर एलिमिनेशन ऑफ डोपिंग इन स्पोर्ट’ के लिए 72,124 डॉलर का योगदान जारी किया, जो अनुमानित आकलन की तुलना में दोगुना है। ’’
इसके मुताबिक, ‘‘ भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय ने पहली बार 2021 में यूनेस्को से मिले अनुरोध के आधार पर यूनेस्को कोष में 28,172 डॉलर का अंशदान किया था।’’
उन्होंने बताया, ‘‘ यह अंशदान, न्यूनतम बजट के एक प्रतिशत के अंशदान की तुलना में दोगुना है। यह कोष के प्रमाणित वित्तीय विवरण में शामिल होगा, जो ‘सीओपी 9 (कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज यानी इससे संबंधित देशों की नौवीं बैठक)’ में प्रस्तुत किया जाएगा। सरकारी पक्षों के अंशदान से कोष की परिचालन रणनीति 2020-25 के कार्यान्वयन को समर्थन दिया जा रहा है।’’
कोपेनहेगन डोपिंग रोधी की घोषणा मार्च, 2003 में खेल में की गयी थी, जिस पर भारत सरकार द्वारा सहमति दी गई थी। यह एक राजनीतिक दस्तावेज था। इसके माध्यम से सरकारों ने विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) द्वारा लाए गए विश्व डोपिंग रोधी नियमों को औपचारिक रूप से मान्यता देने और लागू करने के संकेत दिए थे।
यह खेलों में डोपिंग के खिलाफ यूनेस्को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की तैयारी की दिशा में पहला कदम था।
विज्ञप्ति के मुताबिक, ‘‘ भारत खेलों में डोपिंग के खिलाफ इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का एक हस्ताक्षरकर्ता है। इसे ‘यूनेस्को डोपिंग रोधी सम्मेलन’ के तौर पर भी जाना जाता है, जिसे भारत ने सात नवंबर, 2007 को मंजूरी दी थी। ’’
राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) भारत में डोपिंग रोधी कार्यक्रमों को अपनाने, कार्यान्वयन और लागू करने के लिए जिम्मेदार है।
भाषा आनन्द पंत
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