नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) भारतीय भारोत्तोलन टीम के मुख्य कोच विजय शर्मा ने गुरुवार को कहा कि आगामी राष्ट्रमंडल खेलों में मीराबाई चानू के 55 किग्रा भार वर्ग में प्रवेश को खारिज करने के अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन महासंघ के फैसले से बर्मिंघम में होने वाले इन खेलों में भारत की पदक की संभावनाएं प्रभावित नहीं होंगी।
भारतीय भारोत्तोलन महासंघ (आईडब्ल्यूएलएफ) 28 जुलाई से आठ अगस्त के बीच होने वाले खेलों में चानू को 55 किग्रा भार वर्ग में उतारना चाहता था। इसके अलावा झिल्ली दलबेहरा और एस बिंद्यारानी देवी क्रमशः 49 किग्रा और 59 किग्रा में जबकि पॉपी हजारिका को 64 किग्रा वर्ग में प्रतिस्पर्धा करनी थी।
भारतीय संघ ने राष्ट्रमंडल खेलों में पदकों की संभावना बढ़ाने के लिये यह कदम उठाया था, लेकिन नये नियम के आधार पर प्रविष्टियां खारिज कर दी गयी जिसके अनुसार किसी भी भार वर्ग में सर्वोच्च रैंकिंग वाला भारोत्तोलक क्वालीफाई करेगा, लेकिन यदि वह हटता है तो अगले सर्वश्रेष्ठ भारोत्तोलक को मौका दिया जाएगा।
सत्ताईस वर्षीय चानू अब 49 किग्रा भार वर्ग में प्रतिस्पर्धा पेश करेगी। चानू ने 49 किग्रा में अपनी शीर्ष रैंकिंग के कारण राष्ट्रमंडल खेलों के लिये क्वालीफाई किया था, जिसमें उन्होंने पिछले साल तोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीता था। क्वालीफायर में उन्होंने 55 किग्रा में हिस्सा लिया था।
विजय शर्मा ने अमेरिका के सेंट लुई से पीटीआई से कहा, ‘‘उन्होंने यह कहकर प्रविष्टि को खारिज कर दिया कि एक भारोत्तोलक उस श्रेणी में भाग ले सकता है जहां उसने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है।’’
चानू ने इससे पहले केवल एक बार पिछले महीने सिंगापुर भारोत्तोलन चैंपियनशिप में 55 किग्रा भार वर्ग में भाग लिया था जो राष्ट्रमंडल खेलों के लिये क्वालीफाइंग प्रतियोगिता भी थी। बिंद्यारानी इस भार वर्ग में शीर्ष रैंकिंग की भारतीय भारोत्तोलक है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम कोशिश कर रहे थे कि वह (चानू) दोनों भार वर्ग में क्वालिफाई करें, लेकिन नियम बदल गया है।’’
इसका मतलब है कि चानू, विंद्या और पॉपी अब क्रमश: 49, 55 और 59 किग्रा में भाग लेंगी जबकि 64 किग्रा में कोई भी भारतीय भारोत्तोलक नहीं उतरेगा।
चानू के साथ अमेरिका दौरे पर गये शर्मा ने कहा, ‘‘हमारे पास कोई भारोत्तोलक नहीं था जो 64 किग्रा के लिये क्वालीफाई कर सके, यह एक बहुत ही मुश्किल वर्ग है। पहले भी हमें 64 किलोग्राम भार वर्ग के लिये कोई उम्मीद नहीं थी। महिलाओं में पदक जीतने की संभावना केवल इन तीन वर्ग (49 किग्रा, 55 किग्रा और 59 किग्रा) में थी और वह अब भी बनी हुई है।’’
भाषा पंत आनन्द
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