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Sunday, 29 September, 2024
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कांग्रेस नेता थॉमस की माकपा के सेमिनार में भाग लेने की घोषणा, पार्टी की कड़ी कार्रवाई की चेतावनी

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कोच्चि (केरल), सात अप्रैल (भाषा) कांग्रेस नेतृत्व के सख्त दिशानिर्देशों को नजरअंदाज करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री के वी थॉमस ने बृहस्पतिवार को यहां एलान किया कि वह सत्तारूढ़ माकपा द्वारा पार्टी कांग्रेस के तौर पर कन्नूर में आयोजित किए जा रहे सेमिनार में भाग लेंगे।

बहरहाल, थॉमस ने यह भी स्पष्ट किया कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे और अपनी आखिरी सांस तक कांग्रेसी रहेंगे।

क्षुब्ध कांग्रेस ने थॉमस के पार्टी विरोधी कृत्य की निंदा की और कहा कि आलाकमान के आदेश का उल्लंघन करने के लिए उन्हें कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस आलाकमान ने थॉमस और तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर, दोनों को पार्टी की प्रदेश इकाई के विरोध को देखते हुए माकपा की संगोष्ठी में शामिल नहीं होने का निर्देश दिया था। प्रदेश इकाई का राज्य की वाम सरकार के साथ राज्य में सेमी-हाई स्पीड रेल परियोजना लागू करने को लेकर विरोध जारी है।

थॉमस ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में अपने फैसले की घोषणा करते हुए आरोप लगाया कि उन्हें अपमानित किया गया और कुछ पार्टीजनों ने उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर कठोर अभियान चलाया । जब कांग्रेस राज्य और केंद्र में सत्ता में थी तब थॉमस केंद्रीय मंत्री और राज्य में मंत्री रह चुके हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने संगोष्ठी में भाग लेने का फैसला किया है। मैं वहां जाऊंगा। मैं माकपा के राजनीतिक कार्यक्रम में नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लेने जा रहा हूं। मेरे लिए मुद्दा अधिक महत्वपूर्ण है, राजनीति नहीं।’’ 2019 के लोकसभा चुनाव और पिछले साल हुए राज्य विधानसभा चुनावों में लड़ने के लिए टिकट से वंचित होने के बाद पार्टी नेतृत्व के साथ उनके संबंध तनावपूर्ण हैं।

कन्नूर में संगोष्ठी में भाग लेने के अपने फैसले को उचित ठहराते हुए थॉमस ने कहा कि राहुल गांधी सहित विभिन्न कांग्रेस नेताओं ने मार्क्सवादी पार्टी के संबंध में कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया है और इसलिए उनके लिए केंद्र-राज्य संबंधों पर कार्यक्रम में शामिल होने में कुछ भी गलत नहीं है, जिसके वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में काफी राष्ट्रीय महत्व है। उन्होंने कहा कि गांधी ने हाल ही में कोयंबटूर में माकपा के लिए एक चुनाव प्रचार भी किया था और फिर इस संगोष्ठी और उनकी भागीदारी के खिलाफ आपत्ति क्यों उठाई गई।

कभी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के करीबी रहे थॉमस ने कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन भी उनके साथ संगोष्ठी में हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने यह सवाल किया कि क्या कांग्रेस नेतृत्व इस पर द्रमुक प्रमुख के साथ कोई और संबंध नहीं रखने का फैसला करेगा। द्रमुक केंद्र और तमिलनाडु दोनों में कांग्रेस की प्रमुख सहयोगी है।

हालांकि उन्होंने संवाददाता सम्मेलन के दौरान सोनिया गांधी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। थॉमस ने राहुल गांधी के प्रति अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि वह दिसंबर, 2018 के बाद उनसे नहीं मिल सके।

उन्होंने यह भी कहा कि केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) उन्हें पार्टी से नहीं निकाल सकती क्योंकि वह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के सदस्य हैं और केवल आलाकमान ही ऐसा कोई निर्णय ले सकता है।

उन्होंने हालांकि अपने राजनीतिक कदम के बारे में विस्तार से नहीं बताया, लेकिन वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘मैं भारतीय राजनीति में सक्रिय रहूंगा।’’

केपीसीसी प्रमुख सुधारकरन ने दोहराया कि अगर पार्टी के निर्देश की अवहेलना की गई तो थॉमस को अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

माकपा ने कांग्रेस नेता के इस कदम का स्वागत करते हुए पूछा कि जवाहरलाल नेहरू की पार्टी धर्मनिरपेक्षता पर एक सेमिनार में नेताओं के भाग लेने पर कैसे प्रतिबंध लगा सकती है। थॉमस के अलावा माकपा ने कन्नूर जिले में हो रही पार्टी कांग्रेस के तौर पर आयोजित किए जाने वाले सेमिनार में कांग्रेस सांसद शशि थरूर को भी आमंत्रित किया है।

थॉमस ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व को अपनी गलतियों को सुधारना चाहिए। थॉमस ने कहा कि यह समय सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों के लिए है जो भाजपा और सांप्रदायिकता का विरोध करते हैं, एकसाथ खड़े होने का है।

उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में कांग्रेस की अपनी सीमाएं हैं और इसलिए वह देश का नेतृत्व तभी कर सकती है जब ऐसी पार्टियों को एकसाथ लिया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘राज्य में महत्वपूर्ण राजनीतिक स्थिति के कारण केरल में कांग्रेस और माकपा प्रतिद्वंद्वी दल हैं। यह राज्य में सिर्फ एक मुद्दा है। राष्ट्रीय राजनीति पर विचार करते समय इसे अलग रखा जाना चाहिए।’’

प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व और नेताओं के एक वर्ग पर निशाना साधते हुए थॉमस ने आरोप लगाया कि उनमें से कई ने उन्हें ‘‘तिरुथा थोमा’ कहकर उनका मजाक उड़ाया क्योंकि वह मछुआरा समुदाय से हैं और कई बार लगातार चुनाव जीतना उनका दोष नहीं। स्थानीय भाषा में ‘‘तिरुथा’’ एक तरह की मछली होती है।

थॉमस ने यह भी आरोप लगाया कि जब उन्होंने माकपा सेमिनार में भाग लेने के लिए अपनी इच्छा जतायी तो केपीसीसी प्रमुख ने उन्हें पार्टी से बाहर करने की धमकी दी।

सुधाकरन ने कहा कि वरिष्ठ नेता अगर एआईसीसी के निर्देश की अवहेलना करते हुए सेमिनार में हिस्सा लेते हैं तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने तिरुवनंतपुरम में संवाददाताओं से कहा, ‘‘पार्टी अनुशासन सभी पर लागू होता है। अगर वह निर्देश की अवहेलना करते हैं, तो केपीसीसी उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एआईसीसी की सिफारिश करेगी।’’ उन्होंने थॉमस के इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि उन्होंने उन्हें धमकी दी थी।

थॉमस की घोषणा का स्वागत करते हुए माकपा के प्रदेश सचिव कोडियेरी बालकृष्णन ने कहा कि कांग्रेस से निकाले जाने पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता को बीच में नहीं छोड़ा जाएगा।

थॉमस ने इस अटकल को भी खारिज कर दिया कि तृक्काकारा विधानसभा सीट से आगामी उपचुनाव के लिए माकपा का टिकट पाना उनके राजनीतिक कदम का कारण है। उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले ही घोषणा कर दी है कि उन्हें अब चुनाव लड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है।

भाषा

अमित उमा

उमा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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