नई दिल्लीः महाराष्ट्र के सियासी गलियारे में एक बार फिर सुगबुगाहट तेज हो गई है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार के पीएम मोदी से बुधवार को मीटिंग करने के बाद इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ बड़े बदलाव हो सकते हैं.
सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी से शरद पवार की यह वार्ता करीब 20 मिनट तक चली. यह इसलिए भी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इस वक्त दो एनसीपी नेता कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक और महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख जेल में हैं. महाराष्ट्र में इस वक्त महा विकास अघाड़ी की सरकार है जिसमें शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस शामिल हैं.
एक दिन पहले नितिन गडकरी से की थी मुलाकात
बता दें कि पीएम मोदी से मुलाकात करने से एक दिन पहले यानी मंगलवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार के घर पर आयोजित डिनर पार्टी में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शिरकत की थी. उस वक्त वहां कई अन्य पार्टियों के विधायक भी मौजूद थे. इसलिए इस बात की अटकलें और भी तेज हो गई हैं कि कहीं महाराष्ट्र में कोई बड़ी राजनीतिक फेर-बदल तो नहीं होने वाली है. हालांकि, कुछ सूत्रों का कहना है कि पहली बार के चुने गए विधायक एक ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली आए थे. इस पार्टी में शिव सेना नेता संजय राउत भी शामिल थे.
पहले भी NCP ने किया है BJP का समर्थन
इसके पहले एनसीपी ने साल 2014 में बीजेपी को सरकार बनाने में निःशर्त समर्थन दिया था और महाराष्ट्र में देवेंद्र फडनवीस के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी थी. लेकिन 2019 में बहुमत पाने के बावजूद भी शिवसेना द्वारा रोटेशनल आधार पर मुख्यमंत्री बनाने की मांग की वजह से बीजेपी और शिवसेना के बीच दरार पड़ गई. चूंकि बीजेपी के पास अकेले बहुमत का आंकड़ा नहीं था, इसलिए वह सरकार नहीं बना पाई. एनडीए के पास कुल 113 सीटें थीं जो कि बहुमत के आंकड़े से काफी कम था. इसी बीच कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना ने मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने की दावेदारी पेश कर दी. हालांकि, बीजेपी ने शरद पवार के भतीजे अजित पवार को साथ लेकर सरकार बनाने की कोशिश की थी और इस बात की अटकलें लगाई जा रही थीं कि उन्हें उप मुख्यमंत्री का पद दिया जा सकता है, लेकिन बीजेपी इसमें सफल नहीं हो पाई. राज्य विधानसभा में शिवसेना के पास 56, एनसीपी के पास 54 और कांग्रेस के पास 44 सीटें हैं.
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असंतुष्ट नजर आते हैं कांग्रेस विधायक
बता दें कि कांग्रेस के कुछ विधायक पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं द्वारा उपेक्षा किए जाने की वजह से नाराज नजर आ रहे हैं. कुछ दिनों पहले कांग्रेस के करीब 25 विधायकों ने पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर एक शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें उन्होंने गठबंधन सरकार में शामिल मंत्रियों द्वारा उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाया था. ऐसे में कांग्रेस विधायकों की नाराजगी बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है. इस वक्त 288 विधानसभी सीटों में से बीजेपी के पास 105 सीटें हैं.
राज ठाकरे नजर आ रहे सक्रिय
इधर उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई राज ठाकरे भी कुछ सक्रिय नजर आ रहे हैं. हाल ही में उन्होंने मस्जिदों में तेज आवाज में लाउड स्पीकर बजाने पर कार्रवाई किए जाने की मांग की. हालांकि, चूंकि विधानसभा में उनके विधायकों की संख्या नहीं है इसलिए इसका राजनीतिक रूप से फिलहाल बहुत ज्यादा असर पड़ता हुआ नहीं नजर आ रहा.
इसी साल होने वाले हैं राष्ट्रपति चुनाव
इसी साल देश में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. ऐसे में यह भी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि क्या शरद पवार के नाम पर राष्ट्रपति पद के लिए विचार किया जा सकता है. और क्या इसीलिए मुलाकात की जा रही है. पिछले साल भी शरद पवार ने पीएम मोदी से मुलाकात की थी तो ऐसी ही अटकलें लगाई जा रही थीं. हालांकि, नीतीश कुमार और वेंकैया नायडू के नाम भी बीच बीच में इस संदर्भ में सामने आते रहे हैं.
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