नयी दिल्ली, पांच अप्रैल (भाषा) न्यायालय ने एक विवाहित बेटी की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें जीवित मां की मंजूरी के बिना उसने अपने मृत पिता के स्थान पर अनुकंपा नियुक्ति की मांग की थी।
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सीटी रवि कुमार की पीठ ने कहा कि मध्य प्रदेश पुलिस (अराजपत्रित) सेवा नियम 1997 का नियम 2.2 स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि नाम, मृतक सरकारी कर्मचारी या उत्तरजीवी माता-पिता द्वारा प्रायोजित किया जाना है।
पीठ ने अपने हालिया आदेश में कहा कि योजना का नियम 2.2 स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि नाम को, मृत सरकारी कर्मचारी या उत्तरजीवी माता पिता में से जो भी जीवित है, उसके द्वारा प्रायोजित किया जाना है। निर्विवाद रूप से, वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता का नाम उसकी मां द्वारा प्रायोजित नहीं किया गया है और इसका कारण वही बेहतर जानती हैं । याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए प्रश्न का उत्तर नियमों की योजना के नियम 2.2 द्वारा दिया गया है, इस न्यायालय द्वारा और विचार करने की आवश्यकता नहीं है। तदनुसार, विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।”
पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता दुष्यंत पाराशर की इस दलील पर गौर किया कि वह मृतक सरकारी कर्मचारी की विवाहित बेटी है, हालांकि विधवा (याचिकाकर्ता की मां) द्वारा प्रायोजित नहीं है, फिर भी, उसे स्वतंत्र तौर पर अधिकार है कि नियमों की मौजूदा योजना के तहत अनुकंपा नियुक्ति के लिए उसके नाम पर विचार किया जाए।
पाराशर ने कहा कि शीर्ष अदालत के पहले के फैसले में कानून तय हो गया है कि विवाहित बेटियां अनुकंपा नियुक्ति की हकदार हैं।
पीठ ने कहा कि यह ठीक है, लेकिन इस मामले में नियम 2.2 याचिकाकर्ता का समर्थन नहीं करता है।
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प्रशांत नरेश
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