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Sunday, 29 September, 2024
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बिहार शराब कानून में किए गए व्यापक संशोधन, शीर्ष अदालत को बताया गया

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नयी दिल्ली, पांच अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय को मंगलवार को सूचित किया गया कि बिहार मद्यनिषेध एवं उत्पाद कानून, 2016 में ‘‘व्यापक संशोधन’’ किए गए हैं। इसे राज्य में शराब के उत्पादन, व्यापार, भंडारण, परिवहन, बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगाने के लिए बनाया गया था।

शीर्ष अदालत सभी याचिकाओं पर बाद में सुनवाई करेगी जिसमें कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका भी शामिल है। बिहार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ को बताया कि एक अप्रैल को संशोधन किया गया है। उन्होंने कहा कि वह इसे शीर्ष अदालत के सामने रिकॉर्ड में रखेंगे।

याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश हुए एक वकील ने पीठ को बताया कि बिहार राज्य ने अभी तक उनकी याचिका पर कोई जवाब दाखिल नहीं किया है।

पीठ ने मामले को दो सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया और कहा कि संबंधित पक्ष 18 अप्रैल को या उससे पहले अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने के लिए स्वतंत्र हैं।

शीर्ष अदालत ने इस साल फरवरी में इस मामले में दायर एक स्थानांतरण याचिका को यह कहते हुए अनुमति दे दी थी कि चूंकि एक ही मुद्दा यहां विचाराधीन है, इसलिए यह उचित होगा कि पटना उच्च न्यायालय के समक्ष दायर अन्य रिट याचिकाओं को उच्चतम न्यायालय स्थानांतरित कर दिया जाए और उन याचिकाओं पर सुनवाई की जाए। मंगलवार को सुनवाई के दौरान पीठ को बताया गया कि अभी उच्च न्यायालय का रिकॉर्ड नहीं आया है।

बिहार विधानसभा ने 30 मार्च को एक संशोधन विधेयक पेश किया और पारित किया। इसके तहत राज्य में पहली बार इस कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए सजा को कम कठोर बनाने का प्रयास किया गया है।

बिहार मद्यनिषेध एवं उत्पाद कानून, 2016 राज्य में शराब के निर्माण, व्यापार, भंडारण, परिवहन, बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगाने के लिए बनाया गया था। शीर्ष अदालत ने आठ मार्च को एक अन्य मामले की सुनवाई करते हुए इस तरह का कानून बनाने के लिए बिहार सरकार की खिंचाई की थी, जिसके कारण हजारों लोग जेल में बंद हैं और न्यायिक प्रणाली बोझ तले दब गई है। राज्य ने तब अदालत से कहा था कि बिहार के कड़े शराबबंदी कानून में संशोधन किया जाएगा।

भाषा आशीष नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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