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Friday, 22 November, 2024
होमएजुकेशनUGC के अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम का ड्राफ्ट अमेरिकी यूनिवर्सिटी से कॉपी किया गया—DU के शिक्षक संगठन

UGC के अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम का ड्राफ्ट अमेरिकी यूनिवर्सिटी से कॉपी किया गया—DU के शिक्षक संगठन

यूजीसी अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने इस पर स्पष्ट किया है कि वेबसाइट पर अपलोड कंटेंट को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है बल्कि यह सिर्फ एक मसौदा है और जहां जरूरी होगा, क्रेडिट दिया जाएगा.

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नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की तरफ से पिछले महीने जारी चार वर्षीय अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम (एफवाईयूपी) की ड्राफ्ट गाइडलाइन कंटेंट चोरी को लेकर विवादों में घिर गई है. शिक्षकों के एक समूह का दावा किया है कि इसके कुछ अंश अमेरिकी विश्वविद्यालयों के दस्तावेजों से कॉपी किए गए हैं.

दिल्ली यूनिवर्सिटी के शिक्षकों के संगठन डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (डीटीएफ) ने यूजीसी पर आरोप लगाया है कि उसने मिशिगन यूनिवर्सिटी और एरिजोना यूनिवर्सिटी के आधिकारिक दस्तावेजों को वर्ड टू वर्ड कॉपी किया है. डीटीएफ ने दो अमेरिकी यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम दस्तावेजों के साथ यूजीसी मसौदा दिशानिर्देशों के कुछ हिस्सों की तुलना करते हुए एक विस्तृत दस्तावेज तैयार किया है.

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की फैकल्टी मेंबर आयशा किदवई ने भी फेसबुक पर इस दस्तावेज से जुड़ा ब्यौरा साझा किया है.

इस तरह के आरोपों के जवाब में यूजीसी अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने दिप्रिंट को बताया कि मामला मसौदा समिति को भेज दिया गया है और वेबसाइट पर अपलोड सामग्री को अंतिम रूप नहीं दिया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि जहां जरूरी होगा क्रेडिट दिया जाएगा.

जगदीश कुमार ने कहा, ‘यूजीसी को सोमवार शाम एफवाईयूपी गाइडलाइन के बारे में फीडबैक मिला. इसने यह फीडबैक एफवाईयूपी की मसौदा समिति को भेज दिया है. इस समिति में देशभर के शिक्षाविद शामिल हैं. समिति इसकी जांच कर रही है और जल्द ही अपना जवाब देगी. मसौदा अभी तैयार किए जाने के क्रम में ही है और अभी तक किसी क्रेडिट/आभार का जिक्र नहीं किया गया है. हालांकि वे समिति के पास उपलब्ध हैं. एफवाईयूपी को अंतिम रूप दिए जाते समय इसमें संबंधित क्रेडिट/आभार का जिक्र होगा. यूजीसी की वेबसाइट पर जो कंटेंट पोस्ट किया गया है वह एफवाईयूपी गाइडलाइन का एक ड्राफ्ट वर्जन ही है और इसे संबंधित हितधारकों का फीडबैक लेने के बाद ही अंतिम रूप दिया जाएगा.’

ड्राफ्ट गाइडलाइन दरअसल तमाम यूनिवर्सिटी के लिए नया चार वर्षीय अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम अपनाने संबंधी एक रोडमैप है. इसमें संस्थानों को यह बताया जाएगा कि क्रेडिट ट्रांसफर कैसे किए जाने हैं और अन्य बातों के अलावा इसके जरिए छात्रों को किसी विषय में प्रवेश लेने या उसे छोड़ने संबंधी तमाम विकल्पों के बारे में मार्गदर्शन भी मिलेगा.

शिक्षक संगठन के दावों के मुताबिक, यूजीसी के मसौदा पाठ्यक्रम के एक हिस्से में लिखा है, ‘इंटरडिसिप्लिनरी कोर्सेस छात्रों को नॉलेज के क्षेत्रों और इन्क्वायरी के तरीकों के बीच संबंध को पहचानने की क्षमता प्रदान करेंगे. इंटरडिसिप्लिनरी कोर्स में मुख्य जोर गंभीर मंथन, टीम-आधारित बौद्धिक गतिविधियों और अध्ययन के विभिन्न विषयों की विशेषता निर्धारित करने वाले विश्लेषणात्मक कौशल को बढ़ावा देने पर होगा.’

मिशिगन यूनिवर्सिटी का इस तरह का एक अंश है, ‘इंटरडिसिप्लिनरी वर्क मुख्य रूप से नॉलेज, इन्क्वायरी और मेथड आदि के बीच अंतर और समानताओं से जुड़ा है. आईडी कोर्स गंभीर मंथन, टीम-आधारित बौद्धिक कार्य और प्रत्येक विषय की विशेषता के विश्लेषणात्मक कौशल पर जोर देते हैं.

डीटीएफ के अनुसार, मसौदे के कम से कम छह अंश कॉपी किए गए हैं. इस दस्तावेज में मूल हिस्से के लिए हाइपरलिंक भी दिया गया है.

डीटीएफ पत्र दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रोफेसर नंदिता नारायण और आभा देव हबीब की तरफ से हस्ताक्षरित डीटीएफ के इस पत्र में लिखा गया है, ‘यह बात काफी चौंकाने वाली है कि यूजीसी ने एफवाईयूजीपी (चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम) के तहत उपलब्ध कराए जाने वाले विभिन्न तरह के कोर्स की प्रेरणा के तौर पर कई वाक्यों और वाक्यांशों को कॉपी करके ड्राफ्ट करिकुलम फ्रेमवर्क और क्रेडिट सिस्टम तैयार किया है.’

इसमें आगे गया है, ‘उधार के विचारों के साथ जमीनी हकीकत और हमारी शिक्षा प्रणाली की वास्तविक जरूरतों को समझे बिना की गई कोई भी पहल हमारे मौजूदा शिक्षा तंत्र में सुधार के लिहाज से कारगर नहीं होगी. यूजीसी का मसौदा दस्तावेज इसकी रूपरेखा तैयार करने में इस्तेमाल किसी स्रोत का कोई संदर्भ नहीं देता है. उन्होंने इन यूनिवर्सिटी से फ्रेमवर्क कॉपी करने का कारण भी साझा नहीं किया है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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