नई दिल्ली: आईआईटी प्रोफेसर से लेकर कंप्यूटर इंजीनियर, व्यवसायी, और एक ऐसे व्यक्ति तक, जिसने दलितों के हित के लिए अपनी कमीज़ तक फाड़ ली- ये हैं वो आठ विधायक और आम आदमी पार्टी (आप) प्रमुख अरविंद केजरीवाल के दो क़रीबी सहयोगी, जो पार्टी के राष्ट्रीय विस्तार की तैयारियों के बीच उभर कर सामने आए हैं.
ये 10 व्यक्ति उन राज्यों के शीर्ष पदाधिकारी (प्रदेश प्रभारी अथवा चुनाव प्रभारी के तौर पर नियुक्त) हैं, जहां 10 मार्च की पंजाब जीत के बाद, केजरीवाल की पार्टी अपने पदचिन्ह फैलाना चाह रही है.
दिप्रिंट उन राज्यों के साथ इन प्रमुख आप नेताओं का एक संक्षिप्त प्रोफाइल पेश कर रहा है, जहां का प्रभार इन्होंने संभाला हुआ है.
दुर्गेश पाठक (हिमाचल प्रदेश)
पार्टी के भीतर दुर्गेश पाठक को केजरीवाल की आंख और कान माना जाता है. वो पार्टी संयोजक के सबसे क़रीबी सहयोगी हैं, और पंजाब की जीत से पहले से ही पार्टी के राष्ट्रीय विस्तार की योजनाओं का एक अहम हिस्सा रहे हैं.
आप के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पाठक अकेले ऐसे व्यक्ति हैं, जो उस समय भी केजरीवाल के साथ देखे जाते हैं, जब पार्टी प्रमुख अवकाश लेकर हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में, ध्यान और प्राकृतिक चिकित्सा केंद्रों पर जाते हैं.
31 वर्ष के पाठक आप राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सबसे युवा सदस्य हैं. उन्होंने 2011 में अन्ना हज़ारे की अगुवाई में इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन में हिस्सा लिया था, और आप के गठन में एक अहम भूमिका निभाई थी. 2012 में इसकी स्थापना के समय से ही, वो इसके प्रमुख रणनीतिकारों में रहे हैं.
पाठक की ज़िम्मेदारियों में 2015 और 2020 के दिल्ली चुनाव शामिल रहे हैं, जिन दोनों को आप ने 70-सदस्यीय दिल्ली असेम्बली में, क्रमश: 67 और 62 सीटों के बहुमत से जीता था, हालांकि ख़ुद पाठक करावल नगर सीट से हार गए थे, जिसके लिए उन्हें 2020 में टिकट दिया गया था.
2017 के असेम्बली चुनावों से पहले, आप के पंजाब प्रचार की कमान उन्हीं के हाथ में थी, जहां पार्टी कांग्रेस के खिलाफ प्रमुख विपक्ष बनकर उभरी थी. इस साल, वो गोवा चुनावों के प्रभारी थे, जहां आप दो सीटें जीतने में कामयाब हो गई. पाठक आप के प्रवक्ता और नगर निगम मामलों के प्रभारी भी हैं.
संदीप पाठक (गुजरात)
आप की राष्ट्रीय विस्तार योजना में सबसे आगे दूसरे पाठक हैं- संदीप पाठक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के एसोसिएट प्रोफेसर, जिन्हें गुजरात का सह-प्रभारी नियुक्त किया गया है.
केजरीवाल के एक दूसरे क़रीबी सहयोगी, पाठक- दिल्ली के गोपाल मोहन की तरह- पर्दे के पीछे से काम करने वाले पार्टी के उन कार्यकर्त्ताओं में से एक हैं, जो आप की कई प्रमुख नीतियों के पीछे हैं, जैसे सीसीटीवी, वाईफाई, घर तक राशन आदि. और ऊपर हवाला दिए गए वरिष्ठ आप नेता ने बताया कि पाठक ही नई दिल्ली में केजरीवाल के असेम्बली चुनाव क्षेत्र में रोज़मर्रा का काम संभालते हैं.
पाठक को आप ने पंजाब से राज्यसभा के लिए चुना है, और अगले सत्र से वो उच्च सदन में शामिल हो जाएंगे. 2022 चुनावों से पहले राज्य में पार्टी संगठन का आधार खड़ा करने का श्रेय उन्हीं को जाता है, जिन्होंने इसकी आउटरीच रणनीतियां डिज़ाइन कीं, उसका एजेंडा निर्धारित किया, और प्रचार योजनाओं का मसौदा तैयार किया.
दिप्रिंट के साथ बातचीत में पाठक के सहयोगी और आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने, उन्हें एक ‘ज़मीन से जुड़ा, समझदार, और व्यवस्थित’ नेता बताया.
सौरभ भारद्वाज (हरियाणा)
पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर 42 वर्षीय भारद्वाज, दिल्ली की ग्रेटर कैलाश सीट से तीसरी बार के आप विधायक हैं. वो पार्टी के कुछ महत्वपूर्ण अभियानों में आगे रहे हैं, जैसे कि आप की अपनी हिंदू साख को चमकाने की कोशिश, जो पार्टी नेताओं के अनुसार, बीजेपी को उसी के खेल में टक्कर देने की कोशिश है.
एक दूसरे वरिष्ठ आप नेता ने कहा, ‘जहां दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने 2020 के असेम्बली चुनावों से पहले, न्यूज़ चैनलों के साथ इंटरव्यू के दौरान हनुमान चालीसा का पाठ किया, वहीं भारद्वाज ने प्रचार को जीवित रखते हुए, सुंदर काण्ड (हिंदू महाकाव्य रामायण का एक अध्याय) का मासिक पाठ कराया, रामजन्म भूमि न्यास को हनुमान की प्रतिमा बनाने के लिए एक अनुरोध भेजे, और हनुमान की आदम-क़द प्रतिमाओं के साथ रैलियां निकालीं’.
भारद्वाज दिल्ली में एक कैबिनेट मंत्री रहे हैं, और उन्हें आप-कांग्रेस गठबंधन की पहली सरकार में जो सिर्फ 49 दिन चली, परिवहन, खाद्य एवं आपूर्ति, तथा सामान्य प्रशासन विभाग दिए गए थे. वो पार्टी के प्रवक्ता हैं, और फिलहाल दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष हैं.
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संजीव झा (छत्तीसगढ़)
सबसे लंबे समय तक 42 वर्षीय संजीव झा, जो दिल्ली की बुराड़ी सीट से तीसरी बार के एक और आप विधायक हैं, पार्टी का पूर्वांचली (दिल्ली में उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रवासियों के लिए इस्तेमाल लोकप्रिय शब्द) चेहरा रहे हैं. छठ पूजा के बंदोबस्त के दौरान वो टीवी पर दिखते रहे हैं, और दिल्ली की प्रवासी आबादी विशेषकर पूर्वांचल के लोगों के मुद्दों से संबंधित प्रेस वार्त्ताओं में, दूसरे वरिष्ठ आप नेताओं के साथ बैठे नज़र आते हैं.
बिहार में जन्मे और पले-बढ़े झा आप के महासचिव रहे हैं, और उन्होंने पार्टी की छात्र विंग- छात्र युवा संघर्ष समिति के गठन में सक्रिय भूमिका निभाई है.
झा ने अन्ना हज़ारे की अगुवाई में इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन में हिस्सा लिया, जहां उनकी मुलाक़ात अरविंद केजरीवाल तथा दूसरे शीर्ष नेताओं से हुई, जिन्होंने आगे चलकर आप का गठन किया.
दिलीप पाण्डेय (कर्नाटक)
41 वर्षीय पाण्डेय को आप पदाधिकारी, संकट प्रबंधन में पार्टी की एक सबसे बड़ी संपत्ति मानते हैं. जहां कोविड-19 संकट के दौरान वो पार्टी का चेहरा थे, जिन्होंने अनौपचारिक रूप से अपना ख़ुद का एक सहायता केंद्र खोला, जो चौबीसों घंटे बिस्तरों, दवाओं, ऑक्सीजन, और मरीज़ों के लिए सभी तरह की सहायता करने में व्यस्त था, वहीं बहुत लोग उस एक अलग घटना से वाक़िफ नहीं हैं, जिसने उनकी अहमियत की मिसाल पेश की.
साल 2019 था, और आप लोकसभा चुनावों की तैयारी कर रही थी. पाण्डेय स्टार प्रचारकों में से थे, जिन्हें उत्तरपूर्वी दिल्ली से टिकट दिया गया था. प्रचार जीत के लिए पार्टी एक लोकप्रिय संगीतकार पर भरोसा कर रही थी, जिसने आख़िर में अपनी दूसरी प्रतिबद्धताओं का हवाला देते हुए, पार्टी के सौंपे गए इस काम को करने से इनकार कर दिया.
ऊपर हवाला दिए गए दूसरे आप पदाधिकारी ने बताया, ‘ये पाण्डेय ही थे, जिन्होंने आख़िरी समय पर इस काम का ज़िम्मा लिया, और एक आकर्षक गीत लेकर आए जिसका शीर्षक था ‘पूर्ण राज’, जिसमें वो ख़ुद गायक की भूमिका में थे, और समूहगान के हिस्सों में उनके पार्टी सहयोगी साथ दे रहे थे’.
पाण्डे 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए, लेकिन अगले साल असेम्बली चुनाव जीतकर, तिमारपुर से विधायक चुन लिए गए.
पेशे से इंजीनियर पाण्डेय अभी तक कई भूमिकाएं निभा चुके हैं, जिनमें पार्टी के प्रवक्ता और इसके दिल्ली संयोजक के पद शामिल थे, जिस पद से उन्होंने 2017 के नगर निगम चुनावों में, बीजेपी के हाथों आप की पराजय के बाद इस्तीफा दे दिया था.
विनय मिश्रा (राजस्थान)
39 वर्षीय मिश्रा वरिष्ठ कांग्रेस नेता महाबल मिश्रा के बेटे हैं, जो पश्चिमी दिल्ली से एक पूर्व सांसद, और चार बार के विधायक रहे हैं.
मिश्रा ने तकनीकी रूप से द्वारका सीट पर आदर्श शास्त्री की जगह ली थी. पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पोते शास्त्री, आप की स्थापना के समय से ही उसके साथ रहे थे. 2020 के असेम्बली चुनावों में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था, जिसके लिए पार्टी पदाधिकारियों ने उनके प्रदर्शन का हवाला दिया था. उन्होंने मिश्रा को टिकट दिया जिन्होंने अंत में द्वारका सीट जीत ली.
एक तीसरे वरिष्ठ पार्टी नेता ने कहा, ‘1980 के दशक में (महाबल) मिश्रा दिल्ली के सबसे प्रमुख बाहुबली राजनेताओं में शुमार किए जाते थे. 2020 के चुनावों से पहले अधिकतर कांग्रेस नेता इस बात को जानते थे, कि पार्टी के लिए कोई संभावना नहीं है. महाबल ने बहुत सक्रियता के साथ अपने बेटे को आप में शामिल कराने की कोशिशें कीं. 2020 में पार्टी में शामिल किए जाने के बाद भी, उन्हें (विनय) कोई अहम भूमिका दी जानी बाक़ी थी’.
लेकिन अब, विनय मिश्रा आप के राजस्थान प्रभारी हैं.
अजेश यादव (बिहार)
54 साल के अजेश यादव दिल्ली के उन कई विधायकों में से हैं, जिन्होंने हमेशा एक लो-प्रोफाइल बनाकर रखा है. वो मुश्किल से ही टीवी पर दिखाई देते हैं या प्रेस कॉनफ्रेंस करते हैं, भले ही वो एक विधायक के तौर पर, 2015 से बादली सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. पेशे से व्यवसायी यादव बेंक्वेट हॉल्स की एक चेन के मालिक हैं.
असेम्बली सत्रों के दौरान यादव को ख़ामोशी के साथ, गलियारों से गुज़रते हुए देखा जा सकता है, जहां वो पोलो टीशर्ट्स पहने और एविटर्स लगाए हुए, अच्छे से रखी अपनी मूछों के साथ नज़र आते हैं. उन्हें मुश्किल से ही पत्रकारों या पार्टी सहयोगियों के साथ बातचीत करते देखा जाता है. विधान सभा रिकॉर्ड्स के मुताबिक़, पिछले 10 असेम्बली सत्रों के दौरान यादव ने, सदन में एक शब्द भी नहीं बोला है.
लेकिन पार्टी के भीतर, अनाधिकृत कॉलोनियों के विकास में यादव की भूमिका की सराहना की जाती है. ऊपर हवाला दिए गए पहले आप नेता ने कहा, कि कई बार ये सराहना ख़ुद पार्टी प्रमुख के मुंह से हुई है.
बादली दिल्ली के सबसे उत्तरी छोर पर स्थित है. आबादी के प्रोफाइल के मामले में, ये सीट बुनियादी रूप से छितरे हुए गावों से मिलकर बनी है, जो अब अनाधिकृत आवासीय कॉलोनियों में तब्दील हो गए हैं. वरिष्ठ पार्टी नेता ने कहा कि ये कॉलोनियां, दक्षिण दिल्ली के संगम विहार जैसे इलाक़ों के काफी बाद में विकसित हुईं, और कुछ साल पहले तक यहां पानी की सप्लाई, सीवर कनेक्शंस, और कंक्रीट सड़कों जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ता था.
अजय दत्त (हिमाचल)
बात अगस्त 2019 की है. दिल्ली में एक रविदास मंदिर के गिराए जाने पर विवाद खड़ा हो गया था. दलित समुदाय का एक बड़ा वर्ग संत रविदास की पूजा करता है.
मंदिर गिराए जाने के विरोध में, अजय दत्त ने दिल्ली असेम्बली के बाहर टीवी कैमरों के सामने अपनी कमीज़ फाड़ ली थी, और ऊपर हवाला दिए गए दूसरे आप नेता के मुताबिक़, वही हरकत उनकी शोहरत का सबब बन गई. स्थानीय पार्टी नेता अकसर उस वीडियो को देखते हैं, और उन्हें वो विधायक बताते हैं, जिसने ‘दलित हित’ में अपनी कमीज़ फाड़ ली थी.
46 वर्षीय दत्त दिल्ली की आम्बेडकर नगर सीट से दूसरी बार के विधायक हैं.
दूसरे आप नेता ने बताया, ‘उनका बचपन मुश्किलों भरा रहा है. उनके पिता शारीरिक रूप से दिव्यांग थे, और मां एकमात्र कमाने वाली सदस्य थीं. छात्र जीवन में वो शादी आयोजनों में लाइटें लगाया करते थे. लेकिन उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन कर लिया, और बाद में बिज़नेस मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री भी हासिल कर ली. पार्टी के अंदर वो उन नेताओं में से हैं, जो दूसरों के लिए मिसालें पेश करते हैं’.
दत्त अभी तक कई विधायी पैनलों का हिस्सा रह चुके हैं, जिनमें अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजातियों के कल्याण की समिति, लोक लेखा, सरकारी उपक्रम, पर्यावरण, और विधान सभा के पटल पर रखे गए कागज़ात शामिल हैं. लेकिन अभी तक वो सरकार में किसी पद पर नहीं रहे हैं.
आप के भीतर उन्हें अपने चुनाव क्षेत्र के लोगों के लिए, सबसे सुलभ विधायक के रूप में देखा जाता है.
गुलाब सिंह यादव (गुजरात)
दिल्ली की मटियाला सीट से दूसरे बार के विधायक 43 वर्षीय गुलाब सिंह यादव, गुजरात में पर्दे के पीछे काम करने वाले आप कार्यकर्त्ताओं में से एक हैं.
एक तीसरे वरिष्ठ आप पदाधिकारी ने बताया, कि जब केजरीवाल और उनके पंजाब समकक्षी भगवंत मान ने, 2 अप्रैल को अहमदाबाद में एक रैली को संबोधित किया, तो ये यादव ही थे जिन्होंने उसे संभव बनाया था.
वरिष्ठ पार्टी नेताओं के अनुसार, यादव 2015 से स्थानीय आप नेताओं के साथ मिलकर, गुजरात में काम कर रहे हैं.
वरिष्ठ पदाधिकारी ने याद किया: ‘ये वो समय था जब दिल्ली पुलिस बेबुनियाद आरोपों पर, आप नेताओं को गिरफ्तार कर रही थी. अक्तूबर 2016 में, पुलिस गुलाब को ढूंढती हुई आई और पूरे चुनाव क्षेत्र में उन्हें तलाश किया. आख़िरकार जब उन्होंने गुलाब को गुजरात के सूरत से गिरफ्तार किया, तो उन्होंने (पुलिस) ने दावा किया कि गुलाब वहां छिपे हुए थे. लेकिन वास्तविकता ये है कि वो कुछ समय से गुजरात में काम कर रहे हैं, और अकसर वहां आते जाते रहते हैं’.
सोमनाथ भारती (तेलंगाना)
मालवीय नगर से आप के तीसरी बार के विधायक, 47 वर्षीय सोमनाथ भारती आप के सबसे अधिक पहचाने जाने वाले चेहरों में से एक हैं. लेकिन ऊपर हवाला दिए गए तीसरे आप नेता ने कहा, कि वो विवादों में रहने, और मतदाताओं के बीच सुलभ रहने के लिए ज़्यादा जाने जाते हैं.
उन पर एक स्पैमिंग वेबसाइट के साथ संबंध रखने के आरोप लगाए गए हैं. 2014 में वो उस वक़्त सुर्ख़ियों में आए, जब उन्होंने दक्षिण दिल्ली के खिड़की एक्सटेंशन में स्थानीय लोगों के साथ मिलकर, आधी रात के समय एक छापेमारी की, जिसके निशाने पर कुछ अफ्रीकी नागरिक थे. 2015 में उन्हें घरेलू हिंसा के एक मामले में गिरफ्तार किया गया.
भारती 49 दिन चलने वाली आप-कांग्रेस गठबंधन सरकार में मंत्री थे, जिनके पास क़ानून, पर्यटन, प्रशासनिक सुधार, और कला व संस्कृति विभागों का प्रभार था.
ऊपर हवाला दिए गए तीसरे आप पदाधिकारी ने कहा, ‘विवादों में रहना उनकी शख़्सियत का एक पहलू है. और वो सभी विवाद निराधार साबित हुए हैं. दूसरा पहलू है अपने क्षेत्र (क़ानून और लोक प्रशासन) में महारत. और यही कारण है कि वो पार्टी में अहम पदों पर रहे हैं, और अब उन्हें एक नया ज़िम्मा दिया गया है’.
2014 से 2021 के बीच, भारती ने कई पैनलों की अध्यक्षता की है, जिनमें लोक लेखा तथा विशेषाधिकारों की कमेटी से लेकर, दिल्ली में आवारा कुत्तों और बंदरों की समस्या से निपटने की कमेटी तक शामिल हैं.
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