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Sunday, 22 December, 2024
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उच्च न्यायालय ने पत्रकार राणा अय्यूब को दी विदेश यात्रा की अनुमति

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नयी दिल्ली, चार अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने पत्रकार राणा अय्यूब को सोमवार को विदेश यात्रा करने की अनुमति दे दी और उनके खिलाफ जारी लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से सवाल पूछा। इसके जरिये उनके विदेश यात्रा करने पर रोक लगाई गई थी।

न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने कहा कि अनुमति उचित शर्तों के साथ है और विस्तृत आदेश बाद में दिया जाएगा।

अदालत अय्यूब की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उनकी विदेश यात्रा पर रोक लगाने संबंधी एलओसी को रद्द करने का आग्रह किया गया था।

हालांकि, याचिका का ईडी ने विरोध किया। एजेंसी का आरोप है कि अय्यूब एक करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि से संबंधित एक गंभीर अपराध में शामिल रही हैं और इस बात की आशंका है कि वह भारत नहीं लौटेंगी।

सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने ईडी से पूछा, ‘‘आप अपने एलओसी का बचाव कैसे करेंगे? यह एक स्वीकृत तथ्य है कि जब भी कोई समन जारी किया गया, उन्होंने जवाब दिया और वह अधिकारियों के सामने पेश हुईं। आप कैसे कह रहे हैं कि वह जांच से बच रही हैं? क्योंकि एलओसी के लिए, सबूत संतोषजनक होने चाहिए।’

इस पर ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि जो व्यक्ति देश से भागना चाहेगा वह हमेशा कहेगा कि वह वापस आएगा।

उन्होंने कहा, “उनका (अय्यूब) आचरण देखो। बार-बार तलब करने के बाद भी दस्तावेज नहीं दिए गए। फर्जी बिल उपलब्ध कराए गए हैं। हमारे अनुसार, प्रथम दृष्टया धोखाधड़ी का मामला है। सहयोग का हिस्सा गायब है और एजेंसी के सामने उपस्थिति सहयोग नहीं है।”

अदालत ने कहा, ‘अगर कोई व्यक्ति एजेंसी के सामने पेश हो रहा है और एजेंसी कहती है कि वह व्यक्ति पेश तो हो रहा है लेकिन वह सहयोग नहीं कर रहा है, तो इसे दिखाने का क्या पैमाना है? अगर असहयोग है तो आप उसे गिरफ्तार क्यों नहीं करते?’

अय्यूब की ओर से पेश अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा कि ईडी के मुंबई कार्यालय के पास पहले से ही दस्तावेज मौजूद हैं और क्रेडिट कार्ड का पूरा विवरण भी है।

न्यायाधीश ने कहा कि इस स्तर पर, वह केवल एलओसी की पड़ताल कर रहे हैं और महिला को विदेश जाने की अनुमति दी जा सकती है या नहीं तथा अदालत मामले के गुण-दोष पर विचार नहीं कर रही।

अदालत द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या एजेंसी ने अय्यूब का बैंक खाता से लेन-देन पर रोक लगाई है, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने सकारात्मक जवाब दिया और कहा, ‘अब हम चाहते हैं कि वह हमारे साथ बैठें। हमारा मामला यह है कि पैसे का इस्तेमाल कोविड राहत के लिए नहीं किया गया।”

अदालत ने कहा कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल की आशंका यह है कि पत्रकार वापस नहीं आएंगी। इसने ग्रोवर से इस मुद्दे पर अदालत को संतुष्ट करने के लिए कहा।

ग्रोवर ने कहा कि पत्रकार मुंबई में एक संयुक्त परिवार में रहती हैं और हमेशा भारत में रही हैं। उन्होंने कहा कि वह धन के साथ कैसे भाग सकती हैं जिसके लेन-देन पर पहले ही रोक लगाई जा चुकी है। ग्रोवर ने उल्लेख किया कि अय्यूब एजेंसी के साथ सहयोग कर रही हैं।

अय्यूब की ओर से ग्रोवर ने कहा, ‘यह मेरी आवाज है जिसे दबाने की कोशिश की जा रही है। मैं वापस आऊंगी… क्या मेरे पेशे का पालन करने जैसे मौलिक अधिकारों से वंचित किया जा सकता है?’

अय्यूब को 29 मार्च को आव्रजन ब्यूरो ने मुंबई हवाई अड्डे पर तब हिरासत में ले लिया था , जब वह पत्रकारिता से जुड़े कुछ कार्यक्रमों में शामिल होने लंदन जा रही थीं।

अय्यूब ने अपने खिलाफ जारी एलओसी को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और उन्हें विदेश यात्रा से रोकने वाले किसी भी निर्देश को रद्द करने का आग्रह किया था।

ईडी के वकील ने पहले कहा था कि राहत कार्य के धन का गबन किया गया है और पैसा न केवल डॉलर में बल्कि रुपये में भी प्राप्त हुआ था तथा अय्यूब द्वारा कुछ फर्जी बिल जमा किए गए हैं।

पत्रकार ने अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर और सौतिक बनर्जी के माध्यम से अपनी याचिका में कहा कि 29 मार्च को वह महिला पत्रकारों पर साइबर हमलों की वैश्विक समस्या से संबंधित कार्यक्रमों में भाग लेने तथा भारत में पत्रकारिता की स्थिति पर एक मुख्य भाषण देने के लिए लंदन की उड़ान भरने के वास्ते मुंबई स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंची थीं।

हालांकि, हवाई अड्डे पर उन्हें हिरासत में ले लिया गया और आव्रजन ब्यूरो के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि ईडी से निर्देश है कि उन्हें विमान में चढ़ने की अनुमति न दी जाए और साथ ही उनके पासपोर्ट पर ‘रद्द’ की मुहर लगा दी गई।

बाद में, ईडी ने धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत उन्हें समन भी ईमेल किया और एक अप्रैल को एजेंसी के सामने पेश होने को कहा।

ईडी के मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय ने उनके खिलाफ पिछले साल विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत एक जांच शुरू की थी और उनसे कुछ दस्तावेज तथा जानकारी मांगी गई थी।

याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा कि उन्होंने धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत ईडी द्वारा जारी किए गए हर समन का जवाब दिया है और जांच में शामिल हुई हैं तथा अपना बयान दर्ज कराया है और आवश्यक दस्तावेज प्रदान किए हैं।

भाषा नेत्रपाल दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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